भारत ‘महत्वपूर्ण’ निष्कर्ष दस्तावेजों पर परामर्शी दृष्टिकोण’’अपना रहा : तिरुमिूर्ति

By भाषा | Published: August 24, 2021 11:28 AM2021-08-24T11:28:56+5:302021-08-24T11:28:56+5:30

India taking "consultative approach" on 'important' findings documents: Tirumurti | भारत ‘महत्वपूर्ण’ निष्कर्ष दस्तावेजों पर परामर्शी दृष्टिकोण’’अपना रहा : तिरुमिूर्ति

भारत ‘महत्वपूर्ण’ निष्कर्ष दस्तावेजों पर परामर्शी दृष्टिकोण’’अपना रहा : तिरुमिूर्ति

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने कहा है कि भारत ने सुरक्षा परिषद की अपनी अध्यक्षता के दौरान अहम कार्यक्रमों के ‘महत्वपूर्ण’ निष्कर्ष दस्तावेजों पर काम करने के लिए ‘‘परामर्शी दृष्टिकोण’’ अपनाया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संयुक्त राष्ट्र की इकाई के सभी 15 सदस्यों की जरूरतों और चिंताओं पर विचार हो। तिरुमूर्ति ने साथ ही कहा कि इससे संयुक्त राष्ट्र को काफी लाभ होगा। अगस्त माह के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भारत की अध्यक्षता इस सप्ताह समाप्त हो रही है। देश ने अपनी अध्यक्षता के दौरान समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना और आतंकवाद निरोधी विषयों पर तीन अहम कार्यक्रम आयोजित किए । तिरुमूर्ति ने ‘पीटीआई-भाषा’ को एक साक्षात्कार में कहा,‘‘ तीन अहम कार्यक्रमों से महत्वपूर्ण निष्कर्ष दस्तावेज तैयार किए गए हैं। हमने परिषद में प्रवेश के समय से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। हमने पहले संयुक्त राष्ट्र की संबंधित एजेंसियों के साथ व्यापक चर्चा की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन कार्यक्रमों के निष्कर्ष पर आधारित दस्तावेज विषय पर केंद्रित हों और इनसे संयुक्त राष्ट्र को क्षेत्र में लाभ मिले।’’ उन्होंने कहा,‘‘ हम इन दस्तावेजों पर काम करने के लिए परामर्शी दृष्टिकोण अपना रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी 15 सदस्यों की जरूरतों और चिंताओं पर विचार हो। इस प्रकार की परामर्शी प्रक्रिया में वक्त लगता है, लेकिन अंतत: इससे ठोस नतीजे निकलते हैं, जिसे सुरक्षा परिषद के सभी सदस्यों का निर्विरोध समर्थन भी है। यह हमारी ताकत है और सभी ने विचार विमर्श में हमारे समावेशी रुख की सराहना की है।’’ तिरुमूर्ति ने कहा कि वह,‘‘ इस बात से प्रसन्न हैं कि तीनों कार्यक्रम बेहद सफल रहे।’’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नौ अगस्त को हुए समुद्री सुरक्षा कार्यक्रम को सफल करार दिया। तिरुमूर्ति ने कहा, "यह पहली बार था जब हमने समुद्री सुरक्षा की समग्र अवधारणा और इसके मायने पर व्यापक चर्चा की।" उन्होंने कहा कि समुद्री सुरक्षा पर राष्ट्रपति का बयान भी आया जो संयोग से इस अवधारणा पर राष्ट्रपति का पहला वक्तव्य भी था। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के बयान में समुद्री सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे थे, जिसमें समुद्री सुरक्षा में यूएनसीएलओएस (समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन) का स्थान, नौवहन की स्वतंत्रता, आतंकवाद, हथियारों, मादक पदार्थों और मानव तस्करी, इस संदर्भ में क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय संगठनों की जगह, पायरेसी आदि शामिल हैं।’’ कई अन्य गैर-परिषद सदस्यों ने भी लिखित में बयान दिए। उन्होंने कहा कि, ‘‘कुल मिलाकर विषय की जटिलताओं और विभिन्न विचारों को एक सहमति बयान में साथ लाने के हमारे दल की काबिलियत को देखते हुए हमारे कार्यक्रम को काफी सराहा गया।’’ विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 18 अगस्त को शांतिस्थापना और प्रौद्योगिकी पर और 19 अगस्त को आईएसआईएल या दाएश पर सम्मेलन जैसे दो अहम कार्यक्रमों की अध्यक्षता की।

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Web Title: India taking "consultative approach" on 'important' findings documents: Tirumurti

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