कोरोना संकट पर WHO की भूमिका की होगी जांच! भारत समेत 62 देश आए एक साथ, आज अहम बैठक
By रामदीप मिश्रा | Published: May 18, 2020 08:06 AM2020-05-18T08:06:10+5:302020-05-18T08:06:10+5:30
इस मसौदे में कोरोना वायरस संकट में "निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक" जांच के लिए कहा गया है। इसके अलावा, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कार्यों की जांच और कोविड-19 महामारी से संबंधित उनकी समयसीमा का मुद्दा उठाया गया है।
जेनेवाः कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में कहर बरपा हुआ है। इस बीच भारत ने 73वें वर्ल्ड हेल्थ असेंबली (डब्लूएए) की बैठक के लिए प्रस्तुत किए गए 62 देशों के प्रस्ताव का समर्थन किया है। इस मसौदे पर सोमवार से शुरू होने वाली दो दिवसीय बैठक के दौरान जवाब मांगा जाएगा। दरअसल, मसौदे में कोरोना वायरस कैसे फैला और कैसे इसका संक्रमण जानवर से इंसानों तक पहुंचा, इसकी जांच की मांग की गई है। 'कोविद -19 रिस्पांस' पर यूरोपीय संघ द्वारा प्रायोजित मसौदा प्रस्ताव सर्वसम्मति से विश्व स्वास्थ्य सभा में अपनाया जाएगा।
इस मसौदे में कोरोना वायरस संकट में "निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक" जांच के लिए कहा गया है। इसके अलावा, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कार्यों की जांच और कोविड-19 महामारी से संबंधित उनकी समयसीमा का मुद्दा उठाया गया है। मूल रूप से यह यूरोपीय संघ ने मसौदा तैयार किया गया है और 62 देशों ने समर्थन किया है।
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने समर्थन नहीं दिया है। जबकि पहले अमेरिका जैसे देशों ने कोरोना वायरस प्रकोप और इसकी फैलने की स्वतंत्र जांच की मांग की थी। यूरोपीय संघ के मसौदे में किसी भी देश के खिलाफ पूछताछ का उल्लेख नहीं किया गया है।
आपको बता दें, पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया पहला देश था जिसने कोरोना वायरस की शुरुआत कैसे हुई, इसकी स्वतंत्र जांच करने के लिए कहा था। साथ ही साथ कोरोना वायरस को फैले प्रकोप को लेकर डब्ल्यूएचओ पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने पक्षपात किया है।
कोरोना वायरस पिछले साल चीन के वुहान शहर से फैला है और आज तीन लाख से अधिक लोगों की जान निगल चुका है। वहीं, लाखों की संख्या में लोग इस घातक वायरस के शिकार हुए हैं, जिसके चलते पूरी दुनिया लड़खड़ा गई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपात परिस्थिति संबंधी प्रमुख डॉ. माइकल रयान कह चुके हैं यह अनुमान लगाना असंभव है कि इस वैश्विक महामारी पर कब तक नियंत्रण पाया जा सकेगा। संभवत: यह वायरस कभी न जाए। टीके के अभाव में लोगों के भीतर इस विषाणु के खिलाफ प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होने में वर्षों लग सकते हैं। यह हमारे समुदायों में एक अन्य महामारी विषाणु बन सकता है।