‘फेफड़ों का तापमान कैसे कोरोना वायरस की प्रतिकृति को प्रभावित करता है, इसका पता चला’

By भाषा | Updated: April 1, 2021 16:34 IST2021-04-01T16:34:38+5:302021-04-01T16:34:38+5:30

'How lung temperature affects the replication of corona virus is detected' | ‘फेफड़ों का तापमान कैसे कोरोना वायरस की प्रतिकृति को प्रभावित करता है, इसका पता चला’

‘फेफड़ों का तापमान कैसे कोरोना वायरस की प्रतिकृति को प्रभावित करता है, इसका पता चला’

लंदन, एक अप्रैल ऊपरी व निचली श्वसन नलिका के प्राकृतिक तापमान का अंतर नए कोरोना वायरस की प्रतिकृति और उसके बाद प्रतिरोधी तंत्र की सक्रियता को प्रभावित करता है। यह जानकारी एक नए अध्ययन में सामने आई है जिससे कोविड-19 के खिलाफ नए उपचारात्मक और निरोधी उपायों के विकास में मदद मिल सकती है।

पीएलओएस बायोलॉजी नाम की पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 की वृद्धि और प्रतिरोधी तंत्र की कोशिकीय रक्षा प्रणाली के सक्रिय होने के आकलन किया गया है।

इस शोध में स्विट्जरलैंड स्थित बर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं समेत वैज्ञानिकों ने नए कोरोना वायरस के संक्रमण के मार्गों की तुलना श्वसन नलिका का अनुकरण करने वाले विशेष कोशिका तंत्र में 2002-03 सार्स-सीओवी महामारी के विषाणु से की।

इस अध्ययन के सह-लेखक बर्न विश्वविद्यालय के रोनाल्ड डिज्कमैन ने कहा, “सार्स सीओवी-2 और सार्स सीओवी में आनुवांशिक रूप से काफी समानताएं हैं, यह वायरल प्रोटीन के एक जैसे लक्षण प्रदर्शित करते हैं और मानव कोशिका को संक्रमित करने के लिये समान संग्राहक का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, इन समानताओं के बावजूद दोनों के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर भी हैं।”

वैज्ञानिकों ने कहा कि 2002-03 की महामारी के विषाणु की विशेषता जहां बीमारी की गंभीरता और निचले श्वसन तंत्र में सूजन थी, वहीं सार्स सीओवी-2 अधिमान्य रूप से नासिका गुहा और श्वसन नली समेत ऊपरी वायुमार्ग पर असर डालता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक सार्स विषाणु से संक्रमित लोग लक्षणों की शुरुआत के बाद ही संक्रामक थे, ऐसे में उनकी पहचान और इस संक्रमण की कड़ी को बाधित करना आसान था जबकि नया कोरोना वायरस बीमारी के लक्षण प्रकट होने से पहले ही एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सुगमता से चला जाता है।

वैज्ञानिकों ने सार्स-सीओवी और सार्स सीओवी-2 की प्रतिकृति पर श्वसन नली के तापमान के प्रभाव को जानने के लिये इंसानों की विशेषीकृत श्वसन कोशिकाओं का इस्तेमाल किया।

उन्होंने पाया कि सार्स सीओवी-2 वायरस की प्रतिकृति में तापमान की अहम भूमिका है और यह ऊपरी वायुमार्ग में करीब 33 डिग्री सेल्सियस के तापमान के करीब अपनी प्रतिकृति बनाना पसंद करता है।

जब शोधकर्ताओं ने ज्यादा ठंडी परिस्थितियां बनाईं तो उन्होंने पाया कि विषाणु ने तब के मुकाबले कहीं ज्यादा तेजी से प्रतिकृति बनाई जब वैज्ञानिकों ने 37 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर फेफड़ों के निचले हिस्से के अनुरूप परिस्थितियां तैयार की थीं।

उन्होंने कहा कि नए कोरोना वायरस के विपरीत सार्स-सीओवी की प्रतिकृति पर अलग-अलग तापमान का प्रभाव नजर नहीं आया।

डिज्कमैन ने कहा, “प्रतिरोधी तंत्र की ताकत क्योंकि सीधे तौर पर विषाणु की प्रतिकृति से प्रभावित होती है तो इससे यह बताने में मदद मिल सकती है कि क्यों सार्स-सीओवी-2 कम तापमान में ज्यादा सक्रियता से अपनी प्रतिकृति बनाता है।

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Web Title: 'How lung temperature affects the replication of corona virus is detected'

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