अमेरिकी सांसदों ने 'तिब्बत-दलाई लामा' से जुड़ा कानून पेश किया, बढ़ सकता है अमेरिका-चीन के बीच तनाव
By शिवेंद्र राय | Published: February 10, 2023 02:55 PM2023-02-10T14:55:14+5:302023-02-10T14:57:41+5:30
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा और और सीनेट में पेश किया गया कानून चीन और तिब्बत के बीच बातचीत शुरू करने की अमेरिकी नीति के बारे में है। पेश किए गए कानून में तिब्बती लोगों की स्वतंत्रता और चीन से साथ लंबे समय से चले आ रहे टकराव के शांतिपूर्ण समाधान की बात की गई है।
नई दिल्ली: चीन से जारी तनाव के बीच अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा और और सीनेट में तिब्बत नीति को लेकर एक कानून पेश किया है। सांसदों के एक द्विदलीय समूह ने जो कानून पेश किया है वह तिब्बत और तिब्बत के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से जुड़ा है। ऐसे में माना जा रहा है कि चीन इस कानून के मसौदे से भड़क सकता है और दोनों देशों के बीच रिश्ते और खराब हो सकते हैं।
क्या है कानून में
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा और और सीनेट में पेश किया गया कानून चीन और तिब्बत के बीच बातचीत शुरू करने की अमेरिकी नीति के बारे में है। पेश किए गए कानून में तिब्बती लोगों की स्वतंत्रता और चीन से साथ लंबे समय से चले आ रहे टकराव के शांतिपूर्ण समाधान की बात की गई है।
कानून पेश करने वाले समूह के सदस्य अमेरिकी सांसद जिम मैकगवर्न ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत तिब्बती लोग भी अपने अधिकारों को पाने के हकदार हैं। उनके अधिकारों को चीनी सरकार ने बाधित कर रखा है। यह कानून चीन और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच बातचीत शुरू करना चाहता है।"
अभी तक इस कानून के बारे में चीन की आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन दलाई लामा का जिक्र तिब्बती लोगों के हक की बात करने से चीन का भड़कना तय माना जा रहा है। बता दें कि साल 2010 के बाद से ही चीनी अधिकारियों और दलाई लामा के बीच कोई आधिकारिक बातचीत नहीं हुई है।
कौन हैं दलाई लामा
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा तिब्बती आध्यात्मिक नेता हैं। चीन दलाई लामा को अलगाववादी मानता है। जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा जमाया तो तिब्बत की राजधानी ल्हासा से पैदल चलकर दलाई लामा 1959 में भारत आ गए। जब से लेकर आज तक दलाई लामा का ठिकाना भारत ही है। चीन दलाई लामा को तिब्बत का विद्रोही नेता मानता है। हालांकि दलाई लामा का कहना है कि वह चीन से आज़ादी नहीं चाहते हैं, लेकिन स्वायतता चाहते हैं। 1950 के दशक से ही शुरू हुआ ये विवाद आज तक नहीं सुलझ सका है। तिब्बत के लोगों के लिए दलाई लामा सबसे बड़े धर्मगुरु और तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक मुखिया हैं। लेकिन जिस देश में भी दलाई लामा जाते हैं वहां की सरकारों से चीन आधिकारिक तौर पर आपत्ति जताता है।