नेपाल की संसद में संशोधित मानचित्र पर चर्चा शुरू, लिपुलेख व कालापानी को बताया अपना
By भाषा | Published: June 9, 2020 09:27 PM2020-06-09T21:27:19+5:302020-06-09T21:27:19+5:30
भारत ने हाल में इसपर क्षोभ जाहिर करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में नेपाल के इस दावे को हिंदुस्तान स्वीकार नहीं करेगा।
काठमांडू: नेपाल की संसद में देश के राजनीतिक मानचित्र में बदलाव करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा मंगलवार को शुरू हुई। भारत के साथ सीमा गतिरोध के बीच इस मानचित्र में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया है। कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया थुम्भांगफे ने देश के मानचित्र में बदलाव के लिए संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए इसे पेश किया।
संविधान संशोधन प्रस्ताव पिछले महीने संसद में पेश किया जाना था लेकिन प्रधानमंत्री के. पी़ शर्मा ओली ने कहा कि मामले पर चर्चा के लिए वह सर्वदलीय बैठक बुलाना चाहते हैं जिसके बाद इस पर आगे नहीं बढ़ा जा सका। विधेयक में संविधान की तीसरी अनुसूची में शामिल नेपाल के राजनीतिक मानचित्र में बदलाव का प्रस्ताव है।
संविधान में संशोधन के लिए संसद में प्रस्ताव के समर्थन में दो-तिहाई मत होना जरूरी-
संविधान में संशोधन के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत है। सत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) और विपक्षी दल के सांसद चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं। नेपाल की संसद में एनसीपी को दो-तिहाई बहुमत है लेकिन संविधान संशोधन प्रस्ताव को निचले सदन में पारित कराने के लिए उसे दूसरे दलों का समर्थन चाहिए, क्योंकि वहां उसके पास दस सीट कम हैं। मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने विधेयक का समर्थन करने का निर्णय किया है।
नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक मानचित्र जारी किया था जिसमें उसने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा पर दावा किया था।
भारत ने कहा कि वह नेपाल के इस फैसले को नहीं करेगा स्वीकार-
भारत ने हाल में इसपर क्षोभ जाहिर करते हुए कहा कि क्षेत्र पर ‘‘कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर दावा करने’’ को वह स्वीकार नहीं करेगा और उसने पड़ोसी देश से कहा कि वह इस तरह के ‘‘अनुचित मानचित्र दावे’’ से बचे। दोनों देशों के बीच संबंध तब तनावपूर्ण हो गए थे जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाले 80 किलोमीटर लंबे मार्ग का आठ मई को उद्घाटन किया था। भाषा नीरज नीरज दिलीप दिलीप