Coronavirus: एचआईवी व डेंगू की तरह हो सकता है कि कोरोना बीमारी का भी न बन पाए वैक्सीन: रिपोर्ट
By अनुराग आनंद | Published: May 4, 2020 06:02 PM2020-05-04T18:02:43+5:302020-05-04T18:26:06+5:30
दुनिया भर में इस समय 100 से अधिक वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है। इनमें से कई मानव पर भी परीक्षण किया जा रहा है।
देश और दुनिया में जिस तेजी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है। उसे रोकने के लिए अभी तक दुनिया भर में कोई वैक्सीन नहीं बन पाया है और कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो इस बीमारी के लिए वैक्सीन का बन पाना भी बेहद चुनौतीपूर्ण है।
बता दें कि दुनिया भर में इस समय 100 से अधिक वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है। इनमें से कई मानव पर भी परीक्षण किया जा रहा है। इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में एक चिंपांज़ी के वायरस पर रिसर्च हो रहा है। वहीं, अमेरिका में टीका बनाए जाने के लिए रिसर्च लगातार चल रहा है।
एचटी के मुताबिक, एक रिपोर्ट में प्रमुख स्वास्थ्य विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि वैज्ञानिक कोरोनो वायरस बीमारी (कोविड-19) के खिलाफ टीका विकसित करने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को कोरोना के साथ ही जीवन को आगे बढ़ाना होगी ठीक उसी तरह जैसे एचआईवी और डेंगू के वैक्सीन अब तक नहीं बन पाए हैं और यह बीमारी हमारे समाज में बना हुआ है।
इंपीरियल कॉलेज लंदन में वैश्विक स्वास्थ्य विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर डेविड नाबरो ने रविवार को सीएनएन के हवाले से कहा, "कुछ ऐसे वायरस हैं जिनके खिलाफ अभी भी हमारे पास टीके नहीं हैं।" इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम एक पूर्ण धारणा नहीं बना सकते हैं कि इस बीमारी से लड़ने के लिए हम वैक्सीन बना ही लेंगे। बता दें कि डेविड नाबरो विश्व स्वास्थ्य संगठन में भी एक विशेष अधिकारी के तौर पर काम करते हैं।
नाबारो ने आगे कहा, ''हम दावे के साथ नहीं कह सकते हैं कि एक वैक्सीन आ ही जाएगा और यदि आता भी है प्रभाव और सुरक्षा के सभी टेस्ट पास कर लेगा या नहीं।'' उन्होंने कहा कि जब तक वैक्सीन नहीं बन जाता है हमें खुद को बचाव के लिए तैयार करना एक विकल्प हो सकता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के निदेशक एंथनी फौसी उन लोगों में शामिल हैं जिनके मुताबिक, इस बीमारी का टीका एक साल से 18 महीने के भीतर आ जाएगी, जबकि इस संस्थान के अन्य विशेषज्ञों ने कहा है कि इससे अधिक समय लग सकता है।
अधिकांश विशेषज्ञों को भरोसा है कि एक कोरोना बीमारी के लिए वैक्सीन अंततः विकसित किया जाएगा क्योंकि एचआईवी और मलेरिया जैसी पिछली बीमारियों की तुलना में कोरोना वायरस के काफी अलग व विपरीत नेचर हैं।