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वैज्ञानिकों का दावा, बचपन में लगाए जाने वाले सामान्य टीके कोविड-19 की गंभीर जटिलताओं को रोक सकते हैं

By भाषा | Updated: June 27, 2020 18:43 IST

कोविड-19 के टीके की खोज में दुनियाभर के वैज्ञानिक लगे हैं ौर इस बीच एक अध्ययन में पाया गया है कि बचपन में लगाए जाने वाले सामान्य टीके कोविड-19 की गंभीर जटिलताओं को रोक सकते हैं।

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ठळक मुद्देखसरे जैसी बीमारी को रोकने में इस्तेमाल होने वाले टीके कोविड-19 की वजह से फेफड़ों में होने वाली गंभीर सूजन को रोक सकते हैं।एक अध्ययन में यह पाया गया और यह इस महामारी से लोगों को बचाने की दिशा में नयी रणनीति साबित हो सकती है। ‘

वॉशिंगटन। खसरे जैसी बीमारी को रोकने में इस्तेमाल होने वाले टीके कोविड-19 की वजह से फेफड़ों में होने वाली गंभीर सूजन को रोक सकते हैं। एक अध्ययन में यह पाया गया और यह इस महामारी से लोगों को बचाने की दिशा में नयी रणनीति साबित हो सकती है। ‘एमबायो’ नाम के जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक कमजोर रोगजनक वाले टीके प्रतिरोधक तंत्र की सफेद रक्त कोशिकाओं को असंबंधित संक्रमणों के खिलाफ अधिक प्रभावी बचाव के लिये प्रशिक्षित करने को प्रतिरोधी कोशिकाओं को सक्रिय कर सकते हैं।

अमेरिका के लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी (एलएसयू) के सदस्यों समेत अनुसंधानकर्ताओं ने प्रयोगशाला में किये गए प्रयोग में दिखाया कि जीवित कमजोर कवक तनाव के साथ टीकाकरण सेप्सिस के खिलाफ जन्मजात प्रशिक्षित सुरक्षा प्रदान करता है जो बीमारी पैदा करने वाले कवक और बैक्टीरिया का संयोजन होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक असंबंधित जीवित कमजोर रोगजनक वाले टीके से मिलने वाली सुरक्षा लंबे समय तक जीवित रहने वाली प्रतिरोधी कोशिकाओं के बनती है जो पूर्व में कई प्रयोगात्मक मॉडलों में विषाक्तता युक्त सूजन और मृत्युदर को रोकने के लिये बताई गई है।

उन्होंने कहा कि जीवित कमजोर एमएमआर (खसरा, गलसुआ, हलका खसरा-रुबेला-) टीके की परिकल्पना को कोविड-19 के खिलाफ इस्तेमाल का सुझाव नहीं दिया जाता लेकिन यह महामारी के गंभीर लक्षणों के खिलाफ एक प्रतिरक्षा उपाय के तौर पर काम कर सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक सामान्य प्रतिरोधी प्रतिक्रिया वाले व्यक्तियों में एमएमआर के टीकाकरण से किसी तरह का विरोधाभास नहीं मिला और यह खास तौर पर स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिये प्रभावी हो सकता है जो आसानी से कोविड-19 की चपेट में आ सकते हैं।

एलएसयू से अध्ययन के सह लेखक पॉल फिडेल कहते हैं, “एमएमआर जैसे बचपन में लगने वाले टीकों का इस्तेमाल वयस्कों में प्रतिरोधी कोशिकाओं को प्रेरित करने के लिये किया जा सकता है जो कोविड-19 संक्रमण से जुड़ी गंभीर जटिलताओं को खत्म या कम कर सकती हैं, जो महामारी के इस जटिल दौर में कम जोखिम और अधिक फायदे वाला ऐहतियाती उपाय हो सकता है।”

फिडेल ने कहा, यह कोशिकाएं दीर्घजीवी होती हैं लेकिन आजीवन नहीं रहतीं। उन्होंने कहा, “जिस किसी का भी बच्चे के तौर पर एमएमआर का टीकाकरण हुआ होगा उसमें संभव है कि अब भी इन बीमारियों से प्रतिरक्षा के लिये एंटीबॉडी हों, लेकिन यह संभावना नहीं होगी कि उनमें सेप्सिस के खिलाफ निर्देशित प्रतिरक्षा कोशिकाएं हों।”

फिडेल के मुताबिक यह महत्वपूर्ण हो सकता है कि कोविड-19 से संबंधित सेप्सिस के खिलाफ बेहतर सुरक्षा के लिये वयस्क के तौर पर भी एमएमआर का टीका लगवाया जाए। फिडेल ने कहा, “अगर हम सही हैं तो एमएमआर टीका लगवाए व्यक्ति को कोविड-19 संक्रमण से कम पीड़ा हो सकती है। अगर हम गलत हैं तोभी उस व्यक्ति को खसरा, गलसुआ और हल्के खसरे से बेहतर प्रतिरक्षा मिलेगी। इसमें किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है।”

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