अटल टनल पर चीन की गीदड़भभकी, 'अगर युद्ध हुआ तो टनल को बर्बाद कर देंगे'
By गुणातीत ओझा | Published: October 5, 2020 04:14 PM2020-10-05T16:14:48+5:302020-10-05T16:14:48+5:30
भारत के सीमाई इलाके में इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत होते देखकर चीनी मीडिया भी बेचैन हो उठा है। हमेशा की तरह, चीन की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने अटल टनल को लेकर अपना प्रोपेगैंडा छापा है और भारत को धमकी देने की कोशिश की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में अटल टनल का उद्घाटन किया है। इस अवसर पर पीएम मोदी ने चीन का नाम लिए बिना संदेश दिया था कि बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर की कई परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और कई पर तेजी से काम चल रहा है। सीमा पर भारत को मजबूत होते देख चीन बौखला उठा है। चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने अटल टनल को लेकर भारत को धमकी देने की कोशिश की है। ग्लोबल टाइम्स ने एक आर्टिकल में लिखा है कि भारत को अटल टनल बनाने से बहुत ज्यादा फायदा नहीं होगा, इसका निर्माण सिर्फ सैन्य मकसद से किया गया है।
चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने यहां तक कह दिया है कि भारत को जंग के वक्त खासकर सैन्य संघर्ष में इससे कोई फायदा नहीं होगा। चाइना पीपल्स आर्मी के पास इस सुरंग को बर्बाद करने के कई तरीके हैं। अखबार ने भारत को संयम बरतने और किसी भी उकसावे वाली गतिविधि से बचने की सलाह दी है। इस आर्टिकल में यह लिखा गया है कि सुरंग से भारत की लड़ाकू क्षमता में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। भारत और चीन की लड़ाकू क्षमता में बड़ा फर्क है। भारत जंग के मैदान में चीन के सामने कहीं नहीं टिकता।
ग्लोबल टाइम्स ने अंत में लिखा है कि भारत यह नहीं जानता कि जंग छिड़ने पर अटल टनल किसी काम नहीं आएगी। भारतीय राजनेता इस सुरंग का इस्तेमाल सिर्फ दिखावे और अपने राजनीतिक लाभ के लिए कर रहे हैं। राजनीतिक हितों को साधने के लिए इस सुरंग को भारतीय सरकार हथियार बना रही है।
बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण और सभी मौसम में खुली रहने वाली अटल सुरंग का उद्घाटन किया। मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ने वाली 9.02 किलोमीटर लंबी अटल सुरंग दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। इससे मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर घट जाएगी और यात्रा के समय में चार से पांच घंटे तक कमी आएगी। प्रधानमंत्री ने बाद में लाहौल घाटी के सिस्सू गांव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विशेष रूप से टशी दावा को याद किया और सुरंग निर्माण में उनकी भूमिका को रेखांकित किया। यह सुरंग मनाली को वर्ष भर लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी। इससे पहले भारी बर्फबारी की वजह से घाटी छह महीने तक देश के अन्य हिस्सों से कटी रहती थी । सामरिक रूप से महत्वपूर्ण यह सुरंग हिमालय की पीर पंजाल श्रृंखला में औसत समुद्र तल से 10,000 फुट की ऊंचाई पर अत्याधुनिक विशिष्टताओं के साथ बनाई गई है।