चीन ने समुद्र में उतारा पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत,भारत की बढ़ेगी चिंता
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: May 14, 2018 12:02 PM2018-05-14T12:02:00+5:302018-05-14T12:03:41+5:30
चीन ने रविवार(13 मई) को समुद्र में अपना पहला विमानवाहक युद्धपोत परीक्षण उतारा है। चीन का ये युद्धपोत पानी के जरिए दुश्मनों को पस्त करने का एक बहुत बड़ा जरिया माना जा रहा है।
नई दिल्ली,14 मई: चीन ने रविवार(13 मई) को समुद्र में अपना पहला विमानवाहक युद्धपोत परीक्षण उतारा है। चीन का ये युद्धपोत पानी के जरिए दुश्मनों को पस्त करने का एक बहुत बड़ा जरिया माना जा रहा है। खबर के मुताबिक इसके जरिए चीन अपनी सेना को मजबूत बनाने और विवादित समुद्री इलाकों पर पैठ बनाने की कोशिश करेगा।
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पचास हजार टन वजनी यह युद्धपोत चीन के जहाजी बेड़े का दूसरा युद्धपोत है। पेश किए गए इस युद्धपोत को अभी तक कोई नाम नहीं दिया गया है। लेकिन विशेषज्ञों की माने तो इससे एशिया में भले ही चीन की ताकत बढ़ जाए लेकिन इस युद्धपोत की तकनीक अमेरिका के मुकाबले काफी पिछड़ी हुई है। कहा जा रहा है ये 2022 तक चीन की सेना में पूरी तरह से शामिल कर लिया जाएगा।
क्या है युद्धपोत में खास
चीन का ये युद्धपोत पहले के युद्धपोत लियाओनिंग के मुकाबले बड़ा और अधिक भारी है। ये तकनीक के बजाय पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल करता है। इसके जरिए चीन दुनिया के सर्वक्षेष्ठ नौसैनिक क्षमताओं वाले देशों के समकक्ष आ गया है, जिसमें रूस, फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन शामिल हैं।
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इतना ही नहीं इसके बाद के एक और युद्धपोत की चीन ने तैयारी शुरू कर दी है। ये संघाई में बनना भी शुरू हो गया है। खबर के मुताबिक ये परमाणु ऊर्जा संचालित होगा। ये 2030 पेश कर दिया जाएगा।
चीन जिस गति से अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा कर रहा है वह भारत के लिए चिंता की बात है। भारत के पास इस तरह के युद्धपोत की फिलहाल कमी है।भारत के पास फिलहालसिर्फ 44,400 टन वजनी आइएनएस विक्रमादित्य विमानवाहक युद्धपोत सेवा में है। इसे देश ने रूस से 2013 में 2.33 अरब डॉलर में खरीदा गया था। ऐसे में भारत चीन के इस युद्धपोत के लिए अपनी तैयारी शुरू कर देगा।