कोलंबो, 22 नवंबर श्रीलंका में 2019 में ‘ईस्टर रविवार’ को हुए आतंकी हमले की पूर्व खुफिया जानकारी के बावजूद कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए पूर्व पुलिस प्रमुख पुजित जयसुंदरा के खिलाफ सोमवार को आपराधिक लापरवाही के 855 आरोप तय किये गये। इन आतंकवादी हमलों में 11 भारतीयों सहित लगभग 270 लोग मारे गए थे।
जब मामला सोमवार को उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखा गया तब अटॉर्नी जनरल ने ये आरोप पढ़े। पीठ में न्यायमूर्ति नमल बलाल्ले, आदित्य पाटाबेंडीगे और मोहम्मद इरशादीन शामिल थे।
वकीलों ने बताया कि जयसुंदरा के खिलाफ जब आरोप पढ़े जा रहे थे, उस वक्त वह खुद अदालत कक्ष में मौजूद थे। इस मामले में उनके खिलाफ 1,200 से अधिक गवाह हैं।
उनके वकीलों ने जोर देकर कहा कि पूर्व महानिरीक्षक पहले से प्राप्त खुफिया जानकारी की अनदेखी करने के दोषी नहीं थे।
अप्रैल 2019 में हमले के वक्त रक्षा मंत्रालय में एक प्रमुख सदस्य रहे पूर्व रक्षा सचिव हेमासिरी फर्नांडो पर भी इसी तरह के आरोप हैं।
जयसुंदरा और फर्नांडो को सेवा से निलंबित कर दिया गया था और इस सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि उन्हें बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया। तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने हमलों की पूर्व खुफिया जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद इसे रोकने में कथित तौर पर नाकाम रहने के लिए दोनों को अभियुक्त बनाया था।
पुलिस ने हमले की साजिश रचने, सहयोग करने और उकसाने के लिए संदिग्धों के खिलाफ 23,000 से अधिक आरोप दर्ज किये थे।
आईएसआईएस से जुड़े स्थानीय इस्लामी चरमपंथी समूह नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) से जुड़े नौ आत्मघाती हमलावरों ने 21 अप्रैल, 2019 को तीन चर्चों और इतने ही होटलों में शृंखलाबद्ध विस्फोटों को अंजाम दिया था, जिसमें कम से कम 270 लोग मारे गए थे और 500 से अधिक घायल हो गए थे।
इस हमले ने एक राजनीतिक तूफान को जन्म दिया, क्योंकि राष्ट्रपति सिरिसेना और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार को पूर्व खुफिया जानकारी उपलब्ध कराये जाने के बावजूद हमलों को रोकने में असमर्थता के लिए दोषी ठहराया गया था।
अपने कार्यकाल के दौरान, सिरिसेना ने हमलों की जांच के लिए एक अध्यक्षीय पैनल का गठन किया।
विशेष अध्यक्षीय जांच में स्वयं सिरीसेना के साथ फर्नांडो और जयसुंदरा सहित कई अन्य शीर्ष रक्षा अधिकारियों को पूर्व खुफिया जानकारी की अनदेखी करने का दोषी पाया गया था।
पैनल की रिपोर्ट में उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश की गई थी।
श्रीलंका में कैथलिक चर्च ने ‘ईस्टर रविवार’ आतंकी हमले की सरकार द्वारा की गई जांच पर बार-बार असंतोष व्यक्त किया था।
पूर्व खुफिया जानकारी होने के बावजूद हमलों को रोकने में लापरवाही के मामले में रिपोर्ट में नामित लोगों के खिलाफ चर्च ने कार्रवाई की मांग की है।
जिस दिन जयसुंदरा और फर्नांडो के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगी थी, प्रमुख कैथलिक पादरी फादर सिरिल जैमिनी अपना बयान दर्ज कराने के लिए अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के समक्ष पहुंचे।
वह तीसरे दिन सीआईडी दफ्तर पहुंचे थे, क्योंकि उन्हें पेश होने के लिए तलब किया गया था।
इस महीने की शुरुआत में, जेमिनी ने ईस्टर हमले में श्रीलंका के सरकारी खुफिया तंत्र के लोगों की संलिप्तता पर सवाल उठाने पर संभावित गिरफ्तारी के डर से मौलिक अधिकार आवेदन दायर किया था।
इस बीच, रविवार को कैथलिक समुदाय के सदस्यों ने हमले में मारे गए लोगों की याद में प्रदर्शन किया।
उन्होंने श्रीलंका सरकार से त्वरित न्याय सुनिश्चित करने और राजनीतिक हस्तक्षेप के बिना मुकदमे चलने देने की अपील की।
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