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शीतकालीन ओलंपिक से पहले क्या चीन वैश्विक समर्थन फिर हासिल कर सकता है?

By भाषा | Updated: December 28, 2021 19:12 IST

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जेनिफर वाईजे सू, द यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स

सिडनी, 28 दिसंबर (द कन्वरसेशन) बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक खेल केवल कुछ सप्ताह दूर हैं और चीन को अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और अन्य पश्चिमी देशों द्वारा आहूत राजनयिक बहिष्कार के कारण रक्षात्मक रूख अपनाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

शिनजियांग में उइगरों और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों और मानवाधिकार के पक्षकारों तथा सरकार के खिलाफ बोलने की हिम्मत करने वाले व्यक्तियों के प्रति चीन सरकार के बर्ताव के कारण पश्चिमी सरकारों पर महीनों से बहिष्कार की घोषणा करने का दबाव था।

पोलित ब्यूरो के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली चीनी टेनिस स्टार पेंग शुआई के लापता होने के बाद यह दबाव और बढ़ गया। महिला टेनिस संघ ने चीन में अपने सभी टूर्नामेंटों को निलंबित कर दिया - चीन के खिलाफ एक खेल संगठन द्वारा अब तक का सबसे मजबूत रुख जो चीनी बाजार पर बहुत अधिक निर्भर करता है।

कोविड महामारी के प्रकोप और इस संकट से निपटने में बीजिंग के शुरूआती रवैए के कारण कई पश्चिमी देशों में चीन की अंतर्राष्ट्रीय छवि पहले से ही अपने सबसे निचले स्तर पर थी।

ऐसे में, पश्चिम में देश के प्रति तेजी से बढ़ते नकारात्मक विचारों के बीच चीन केवल कुछ ही हफ्ते दूर बीजिंग ओलंपिक के संबंध में कैसी प्रतिक्रिया देगा? क्या यह आक्रामक नीति अपनाएगा? या यह जवाबी कार्रवाई करेगा क्योंकि उसे लगता है कि उसके साथ गलत व्यवहार किया गया है?

व्यवसायों को अभी भी चीन तक पहुंच की आवश्यकता है

सरकार द्वारा अपनाई गई हालिया रणनीतियों से पता चलता है कि बीजिंग के लिए अपनी नीतियों के आलोचकों का मुकाबला करने के लिए अन्य रास्ते हैं। उदाहरण के लिए आर्थिक दबाव को ही लें।

नवंबर के अंत में चीन के उप विदेश मंत्री, ज़ी फेंग और अमेरिकी व्यापार लॉबी समूहों के बीच एक आभासी बैठक में, ज़ी ने अमेरिकी व्यवसायों से अमेरिकी सरकार के साथ चीन के लिए बात करने के लिए कहा।

संदेश स्पष्ट था - बीजिंग को उम्मीद है कि चीन के आकर्षक बाजार तक उसकी पहुंच जारी रखने के लिए व्यापारिक समुदाय अपनी ओर से पैरवी करेगा। जैसा कि झी ने कहा,

यदि दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़ते हैं, तो व्यापारिक समुदाय 'चुपचाप देखता नहीं रह सकता'।

लंबे समय से यह वह कीमत है जो व्यापारिक समुदाय को चीन में पैर जमाने के लिए भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया है - सरकार की मांगों का अनुपालन।

2019 को याद करें, जब ह्यूस्टन रॉकेट्स के पूर्व महाप्रबंधक डेरिल मोरे ने हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों के समर्थन में ट्वीट किया था? एनबीए ने शुरू में एक बयान जारी किया जिसकी अमेरिकी राजनेताओं ने मानवाधिकारों पर वित्तीय हितों को प्राथमिकता देने के लिए आलोचना की थी। (लीग ने बाद में स्पष्ट किया कि यह ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’’ के पक्ष में था।)

नतीजतन एनबीए को करोड़ो डॉलर का नुकसान हुआ। इस घटना के बाद से एनबीए गेम्स चीन के सरकारी टेलीविजन पर नहीं हैं।

आकर्षक चीनी बाजार तक पहुंच अभी भी बेहद मायने रखती है - यह वह लाभ है जिसका उपयोग चीनी सरकार अभी भी विदेशी हितों के खिलाफ कर सकती है। यह बहुत कुछ कहता है कि प्रमुख ओलंपिक प्रायोजक चीन की मानवाधिकार स्थिति पर चुप रहे हैं, जबकि सरकारों ने राजनयिक बहिष्कार की घोषणा की है।

चीन को परवाह नहीं है कि पश्चिम क्या सोचता है

फिर सवाल उठता है कि क्या चीन को अभी भी पश्चिम की जरूरत है या इस बात की परवाह है कि पश्चिम उसके बारे में क्या सोचता है।

चीन ने राजनयिक बहिष्कार को ‘‘एक स्पष्ट राजनीतिक उकसावे और 1.4 अरब चीनी लोगों के लिए एक गंभीर अपमान’’ के रूप में पेश किया है। लेकिन इसने संयुक्त राष्ट्र के 173 सदस्य देशों की ओर भी इशारा किया है जिन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ओलंपिक संघर्ष विराम पर हस्ताक्षर किए हैं कि संघर्ष खेलों को बाधित न करें।

हां, बीजिंग वाशिंगटन और अन्य से मिले अपमान से नाराज है, लेकिन वह इस बात पर जोर दे रहा है कि उसे अभी भी शीतकालीन ओलंपिक के लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ‘‘खुशी के साथ’’ उद्घाटन समारोह में भाग लेने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस भी इसमें शामिल होंगे और निश्चित रूप से अन्य लोग भी इसमें शामिल होंगे।

चीन के विकास के मॉडल ने लंबे समय से अफ्रीकी देशों से प्रशंसा प्राप्त की है, विशेष रूप से राज्य द्वारा निर्देशित पूंजीवाद के रूप में। 20 साल से भी कम समय में अपने दूसरे ओलंपिक की मेजबानी करके चीन विकासशील देशों को यह संदेश दे रहा है कि उसका विकास मॉडल काम करता है।

चीन को खेलों के आयोजन का अधिकार देकर, आईओसी दुनिया को यह भी दिखा रहा है कि उसे चीन की सत्तावादी सरकारों के साथ निकटता से कोई फर्क नहीं पड़ता है, और उससे भी ज्यादा वह उन्हें वैध बना रहा है।

बहिष्कार के प्रति अपनी प्रतिक्रिया पर यूरोपीय संघ की ढिलाई ने भी बीजिंग की स्थिति को मजबूत किया है और इस मामले पर पश्चिम के असंगत रुख का फायदा उठाने का मौका दिया है।

ओलम्पिक नाटकीय परिवर्तन नहीं लाते

इस बात की बड़ी उम्मीद थी कि 2008 के बीजिंग ग्रीष्मकालीन ओलंपिक चीन को बेहतरी की तरफ बदल देंगे - सरकार अधिक जवाबदेह हो जाएगी और मानवाधिकारों का अधिक सम्मान करेगी।

हालांकि, तिब्बत में चीन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए और दुनिया भर में फैल गए। लगभग 30 तिब्बतियों को जेल में डाल दिया गया, कुछ को जीवन भर के लिए।

2008 के ओलंपिक ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की इस गलतफहमी का खुलासा किया कि खेल राजनीतिक परिवर्तन ला सकते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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