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चीन को साइबर हमले के लिए कोसना जोखिम भरा - लेकिन कानूनविहीन डिजिटल दुनिया और भी जोखिमपूर्ण

By भाषा | Updated: July 20, 2021 12:48 IST

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अलेक्जेंडर गिलेस्पी, कानून के प्रोफेसर, वाइकाटो विश्वविद्यालय,

मेलबर्न, 20 जुलाई (द कनवरसेशन) विभिन्न देशों ने चीन की राज्य-प्रायोजित एजेंसियों के साइबर हमलों की आज जो निंदा की है, वह उनके हाल के व्यवहार पर बढ़ती निराशा का संकेत थी। लेकिन यह वास्तविक समस्या को भी छिपाती है - इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून पर्याप्त मजबूत या सुसंगत नहीं है।

अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित कई देशों द्वारा समन्वित घोषणा, अमेरिकी खुफिया समुदाय के सबसे हालिया खतरे के आकलन को प्रतिध्वनित करती है: राष्ट्र राज्यों और उनके सरोगेट से साइबर खतरे निकट भविष्य में बने रहेंगे।

चीन के खिलाफ इस समूह में शामिल होना न्यूजीलैंड और अन्य के लिए कूटनीतिक रूप से जोखिम भरा हो सकता है, और चीन पहले ही दावों को ‘‘निराधार और गैर-जिम्मेदार’’ बता चुका है। लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि समस्या वाकई है।

न्यूजीलैंड के सरकारी संचार सुरक्षा ब्यूरो (जीसीएसबी) की नवीनतम रिपोर्ट में पिछले वर्ष की 339 घटनाओं की तुलना में 2020 के मध्य तक 12 महीनों में 353 साइबर सुरक्षा घटनाएं दर्ज की गईं।

यह देखते हुए कि इस दौरान सारा ध्यान राष्ट्रीय महत्व के संगठनों को लक्षित करने वाली अधिक प्रभावी घटनाओं पर केंद्रित किया गया है, यह कुल घटनाओं का केवल एक छोटा सा हिस्सा है। लेकिन जीसीएसबी का अनुमान है कि 2019-20 में दर्ज की गई घटनाओं में राज्य प्रायोजित हमलों का हिस्सा 30 प्रतिशत तक है।

उस रिपोर्ट के बाद से, स्टॉक एक्सचेंज और वाइकाटो अस्पताल पर हमले सहित और भी गंभीर घटनाएं हुई हैं। हमले अधिक परिष्कृत होते जा रहे हैं और अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं।

विश्व स्तर पर, चेतावनियां हैं कि एक बड़ा साइबर हमला सामूहिक विनाश के हथियार के रूप में घातक हो सकता है। इनपर रोक के उपायों की तत्काल आवश्यकता है।

आपराधिक, गोपनीयता और यहां तक ​​कि हानिकारक डिजिटल संचार कानूनों का उपयोग करके न्यूजीलैंड घरेलू घटनाओं से निपटने के लिए अपेक्षाकृत अच्छी तरह से तैयार होगा। लेकिन अधिकांश साइबर अपराध दूसरे देशों से किए जाते हैं, और वैश्विक समाधान वास्तव में मौजूद नहीं होते हैं।

सिद्धांत रूप में, हमलों को दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है - एक अपराधियों द्वारा और दूसरा विदेशी सरकारों द्वारा। वास्तव में, दोनों के बीच की रेखा धुंधली है।

दूसरे देशों की सरकारों के हमलों का मुकाबला करने की तुलना में विदेशी अपराधियों से निपटना थोड़ा आसान है, और प्रधान मंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने इस तरह के साइबर अपराध से लड़ने के लिए वैश्विक प्रयास की आवश्यकता पर जोर दिया है।

इन्हीं प्रयासों के तहत, सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि न्यूजीलैंड साइबर अपराध पर यूरोप के सम्मेलन की परिषद में शामिल हो रहा है, जो साझा बुनियादी कानूनी मानकों, पारस्परिक सहायता और प्रत्यर्पण नियमों के आधार पर 66 देशों द्वारा हस्ताक्षरित एक वैश्विक समझौता है।

दुर्भाग्य से, कुछ देश, जिनपर अक्सर यह संदेह होता है कि वह अपनी सीमाओं के भीतर से अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध करने की अनुमति देते हैं, ने इसपर दस्तखत नहीं किए हैं, जिसका अर्थ है कि वे इसके दायित्वों को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं।

इनमें रूस, चीन और उत्तर कोरिया सहित कई अन्य देश शामिल हैं, जो खुले, मुक्त और सुरक्षित इंटरनेट के प्रति सहनशीलता के लिए नहीं जाने जाते हैं, वे एक वैकल्पिक अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो अब संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से एक मसौदा प्रक्रिया में प्रवेश कर रहा है।

अन्य देशों की सरकारों (अपराधियों के मुकाबले) के हमलों से निपटना और भी कठिन है।

केवल व्यापक सिद्धांत मौजूद हैं, जिनमें यह भी शामिल है कि देशों को किसी भी राज्य की क्षेत्रीय अखंडता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ बल के खतरे या प्रयोग से बचते हुए एक दूसरे के प्रति मैत्रीपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। यदि किसी पर हमला किया जाता है, तो उसे आत्मरक्षा का एक अंतर्निहित अधिकार प्राप्त है।

दुर्भावनापूर्ण राज्य-प्रायोजित साइबर गतिविधि जिसमें जासूसी, फिरौती या गोपनीयता का उल्लंघन शामिल है, अमित्र और अविश्वास के रूप में माना जाता है, लेकिन वे युद्ध के कार्य नहीं हैं।

हालांकि, अन्य सरकारों द्वारा निर्देशित साइबर हमले युद्ध के कृत्यों के बराबर हो सकते हैं यदि वे लक्षित राज्य को मृत्यु, गंभीर चोट या महत्वपूर्ण क्षति का कारण बनते हैं। साइबर हमले जो विदेशी चुनावों में हस्तक्षेप करते हैं, उनके प्रभाव के आधार पर, खतरनाक रूप से शांति को कमजोर कर सकते हैं।

फिर भी, इन चरम जोखिमों के बावजूद, राज्य-आधारित साइबर हमलों को नियंत्रित करने वाला कोई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन नहीं है, जिस तरह से जिनेवा कन्वेंशन युद्ध के नियमों से संबंधित हैं या हथियार नियंत्रण सम्मेलन सामूहिक विनाश के हथियारों को सीमित करते हैं।

चीन से जुड़े साइबर हमले की ताजा निंदा के बावजूद समस्या थमने का नाम नहीं ले रही है।

घटनाक्रम तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसमें बहुत आश्वस्त करने वाला कुछ नहीं है। साइबर हमलों से बढ़ते खतरे का सामना कर रहे एक परस्पर जुड़े हुए विश्व में, हम व्यवस्था, स्थिरता और सुरक्षा से दूर अराजकता के अंधेरे की ओर बढ़ते प्रतीत होते हैं।

न्यूजीलैंड और अन्य द्वारा चीन की समन्वित निंदा ने काफी हद तक एक माहौल तैयार कर दिया है। सभी पक्षों को अब नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय समाधान की तलाश करनी चाहिए अन्यथा जोखिम बढ़ता ही रहेगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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