Bangladesh crisis: चीन-पाकिस्तान ने मिलकर किया खेला! इस्लामी छात्र शिबिर को 6 महीने पहले मिली थी फंडिग, जानिए इस भारत विरोधी छात्र संगठन के बारे में
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: August 6, 2024 12:08 IST2024-08-06T12:06:40+5:302024-08-06T12:08:16+5:30
Bangladesh crisis: ये भी सामने आया है कि छात्र आंदोलन को भड़काने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और चीन का भी हाथ है। इस्लामी छात्र शिबिर (आईसीएस) कई महीनों से पूरे बांग्लादेश में व्यापक हिंसा भड़काने की योजना बना रहा था।

बांग्लादेश में मचा राजनीतिक उथल-पुथल
Bangladesh crisis: पड़ोसी देश बांग्लादेश में मचे राजनीतिक उथल-पुथल के बीच आई खुफिया जानकारी से पता चला है कि कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिबिर (आईसीएस) ने विरोध प्रदर्शन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह छात्र संगठन कट्टर इस्लामी विचारों और भारत विरोधी एजेंडे के लिए कुख्यात है। माना जा रहा है कि इस्लामी छात्र शिबिर (आईसीएस) ही इस पूरे आंदोलन के पीछे था।
इस्लामी छात्र शिबिर (आईसीएस) ने शेख हसीना के स्थान पर पाकिस्तान और चीन के साथ अधिक झुकाव रखने वाले राजनीतिक गठबंधन और भारत विरोधी आतंकवादी समूहों के प्रति सहानुभूति रखने वाले शासन को सत्ता में लाने के लिए कोटा सिस्टम के विरोध के नाम पर छात्रों को भड़काया।
शेख हसीना को सत्ता से हटाने के बाद बांग्लादेश में जो सरकार आएगी उसके भारत के साथ रिश्ते कैसे होंगे इसको लेकर चिंता जताई जा रही है। माना जा रहा है कि इसके दूरगामी प्रभाव होंगे इसलिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इस पर करीब से नजर बनाए हुए हैं।
ये भी सामने आया है कि छात्र आंदोलन को भड़काने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और चीन का भी हाथ है। इस्लामी छात्र शिबिर (आईसीएस) कई महीनों से पूरे बांग्लादेश में व्यापक हिंसा भड़काने की योजना बना रहा था। यह संगठन काफी समय से भारतीय खुफिया एजेंसियों के रडार पर है। इस पर भारत से सटे क्षेत्रों में जिहादी एजेंडे को बढ़ावा देने और बांग्लादेश में भारत विरोधी गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी करने का आरोप है। भारत विरोधी होने के कारण आईसीएस पाकिस्तान का भी दुलारा है।
भारतीय इंटेलिजेंस के पास इस बात की पुख्ता जानकारी थी कि कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की छात्र शाखा, इस्लामी छात्र शिबिर (आईसीएस) कुछ करने की तैयारी में है। खुफिया सूचनाओं में आईसीएस सदस्यों द्वारा कई महीने पहले बनाई गई सावधानीपूर्वक योजना की ओर इशारा किया गया था। इसका उद्देश्य पूरे देश में व्यापक हिंसा भड़काना था। आईएसआई समर्थित जमात-ए-इस्लामी को शेख हसीना सरकार को अस्थिर करने के लिए इस साल की शुरुआत में पर्याप्त वित्तीय सहायता मिली थी। इस फंडिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पाकिस्तान में सक्रिय चीनी संस्थाओं से आया था।