आक्रामक कीट पौधों और जानवरों से बचाव पर हर वर्ष अरबों डॉलर खर्च करता है आस्ट्रेलिया, अभी कम है

By भाषा | Updated: July 30, 2021 19:14 IST2021-07-30T19:14:58+5:302021-07-30T19:14:58+5:30

Australia spends billions of dollars every year on protecting plants and animals from invasive pests, just less | आक्रामक कीट पौधों और जानवरों से बचाव पर हर वर्ष अरबों डॉलर खर्च करता है आस्ट्रेलिया, अभी कम है

आक्रामक कीट पौधों और जानवरों से बचाव पर हर वर्ष अरबों डॉलर खर्च करता है आस्ट्रेलिया, अभी कम है

कोरी जे.ए. ब्रैडशॉ, फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी और एंड्रयू होस्किन्स, शोध वैज्ञानिक सीएसआईआरओ स्वास्थ्य और जैव सुरक्षा, सीएसआईआरओ

एडीलेड (ऑस्ट्रेलिया), जुलाई 30 (द कन्वरसेशन) यह अपने आप में शर्मनाक है कि विलुप्त प्रजातियों की संख्या के लिहाज से ऑस्ट्रेलिया दुनिया में सबसे अधिक दर वाले देशों में से एक है। और हमारी प्रजातियों को सबसे बड़ा खतरा आक्रामक या ‘‘विदेशी’’ पौधों और जानवरों से है।

लेकिन आक्रामक प्रजातियां न केवल प्रजातियों के विलुप्त होने और जैव विविधता के नुकसान का कारण बनती हैं - वे एक गंभीर आर्थिक बोझ भी पैदा करती हैं। आज प्रकाशित हमारे शोध से पता चलता है कि आक्रामक प्रजातियों ने पिछले 60 वर्षों में ऑस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था पर कम से कम 390 अरब डालर का बोझ डाला है।

हमारा पेपर - इस देश में अब तक प्रकाशित अपनी तरह का सबसे विस्तृत मूल्यांकन - यह भी बताता है कि कुल खर्च के मामले में जंगली बिल्लियाँ सबसे खराब आक्रामक प्रजाति हैं, इसके बाद खरगोश और एक प्रकार की चींटियाँ, जिन्हें फायर ऐंट्स कहा जाता है, आती हैं।

तत्काल कार्रवाई न की गई तो, ऑस्ट्रेलिया को हर साल आक्रामक प्रजातियों पर अरबों डॉलर खर्च करते रहना होगा।

भारी आर्थिक बोझ

आक्रामक प्रजातियां वे होती हैं जो किसी विशेष पारिस्थितिकी तंत्र की मूल निवासी नहीं होती हैं। वे या तो दुर्घटनावश या जानबूझकर लाई जाती हैं और नुकसान का कारण बन जाती हैं।

कुछ कृषि को सीधा नुकसान पहुंचाती हैं, जैसे कि कीड़े या फल को नष्ट करने वाले कवक। अन्य उदाहरणों में जंगली बिल्लियों और विशाल मेंढक जैसी आक्रामक प्रजातियों को नियंत्रित करने के उपाय शामिल हैं, जैसे फील्ड स्टाफ की सेवाएं लेना और ईंधन, गोला-बारूद, जाल और जहर खरीदना।

हमारे पिछले शोध ने आक्रामक प्रजातियों से होने वाले वैश्विक नुकसान का आंकड़ा 1.7 खरब डॉलर रखा था। लेकिन यह निश्चित रूप से वास्तविकता से कम आंकलन है क्योंकि बहुत सारे डेटा गायब हैं।

एक समृद्ध राष्ट्र के रूप में, ऑस्ट्रेलिया ने अधिकांश अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक विश्वसनीय लागत डेटा जमा किया है। इस मद पर आने वाली लागत में समय के साथ तेजी से वृद्धि हुई है - 1970 के दशक से प्रत्येक दशक में छह गुना तक।

हमने पाया कि आक्रामक प्रजातियों की वजह से आस्ट्रेलिया पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ लगभग 24.5 अरब डॉलर प्रति वर्ष या देश के सकल घरेलू उत्पाद का औसतन 1.26% है। पिछले 60 वर्षों में कुल नुकसान कम से कम 390 अरब डॉलर रहा।

बदतर से बदतरीन

हमारे विश्लेषण में पाया गया कि 1960 के बाद से जंगली बिल्लियां आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली प्रजाति रही है। उनपर हुआ कुल 18.7 अरब डॉलर का खर्च मुख्य रूप से उनकी बढ़वार और पहुंच को नियंत्रित करने के प्रयासों से जुड़ा है, जैसे कि बाड़ लगाना, फंसाना, चारा और शूटिंग।

जंगली बिल्लियाँ ऑस्ट्रेलिया में प्रजातियों के विलुप्त होने की मुख्य कारक हैं, और इसलिए शायद उनके नुकसान को सीमित करने के लिए ज्यादा निवेश की भी दरकार है।

एक समूह के रूप में, आक्रामक पौधों का प्रबंधन और नियंत्रण सबसे खर्चीला साबित हुआ, इसपर सामूहिक रूप से लगभग 200 अरब डॉलर की लागत आई। इनमें से वार्षिक राईग्रास, पार्थेनियम और रैगवॉर्ट के प्रबंधन पर सबसे अधिक धन खर्च किया गया, क्योंकि इन्हें फसल से हटाने के लिए बहुत प्रयास की आवश्यकता थी।

आक्रामक स्तनधारी अगले सबसे बड़े बोझ थे, जिससे निपटने पर ऑस्ट्रेलिया ने 63 अरब डॉलर खर्च किए।

क्षेत्रों में भिन्नता

अगर इन खर्चों को राज्यवार देखें तो न्यू साउथ वेल्स का खर्च सबसे अधिक था, इसके बाद पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और फिर विक्टोरिया का स्थान था।

क्वींसलैंड में लाल आयातित चींटियों के नियंत्रण पर सबसे अधिक धन व्यय हुआ जबकि रैगवॉर्ट को तस्मानिया का आर्थिक अभिशाप कहना गलत नहीं होगा।

सामान्य हेलियोट्रोप पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया और विक्टोरिया दोनों में सबसे अधिक धन व्यय किया गया और वार्षिक राईग्रास डब्ल्यूए में सूची में सबसे ऊपर है।

उत्तरी क्षेत्र में, केले में झाई रोग का कारण बनने वाला डोथाइडोमाइसेट कवक सबसे बड़ा आर्थिक बोझ लाता है, जबकि बिल्लियाँ और लोमड़ियाँ एसीटी और एनएसडब्ल्यू में सबसे ज्यादा परेशान करने वाली प्रजातियां हैं।

बेहतर आकलन की जरूरत

हमारा अध्ययन आज जारी किए गए 19 क्षेत्र-विशिष्ट विश्लेषणों में से एक है। चूंकि आक्रामक प्रजातियों के बारे में संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना चाहिए, इसलिए हमारे लेख के सार का 24 भाषाओं में अनुवाद किया गया था।

इसमें व्यापक रूप से बोली जाने वाली स्वदेशी भाषा पितजंतजत्जारा शामिल है।

यहां तक ​​​​कि हमने जो बड़े पैमाने पर धन व्यय की सूचना दी है, वह भी कम है। इसका कारण यह है कि हमने अभी तक इन प्रजातियों के सभी स्थानों का सर्वेक्षण नहीं किया है, और प्रबंधन अधिकारियों और अन्य एजेंसियों द्वारा मानकीकृत रिपोर्टिंग की कमी है।

उदाहरण के लिए, हमारे डेटाबेस में कई कवक पौधों के रोगजनकों की सूची है। लेकिन कुछ सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली प्रजातियों के लिए कोई लागत डेटा मौजूद नहीं है, जैसे कि व्यापक फाइटोफ्थोरा सिनामोमी रोगज़नक़ जो प्रमुख फसलों को नुकसान और जैव विविधता को नुकसान का कारण बनता है।

आक्रामक प्रजातियों के पर्यावरणीय प्रभावों और प्रबंधन कार्यों के लाभ का अनुमान लगाने के लिए बेहतर तरीके विकसित करने से हम सीमित संसाधनों का अधिक कुशलता से उपयोग कर पाएंगे।

एक लगातार खतरा

कृषि और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली कई प्रजातियाँ अभी तक हमारे तटों तक नहीं पहुँच पाई हैं।

ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में फॉल आर्मीवर्म, एक प्रमुख कृषि कीट, का आगमन हमें याद दिलाता है कि कैसे आक्रामक प्रजातियां यहां और अन्य जगहों पर फैलती रहेंगी।

यह आक्रामक प्रजातियां आर्थिक क्षति के साथ साथ अन्य कई तरह के नुकसान पहुंचाती है, जिन्हें अभी तक पर्याप्त रूप से मापा नहीं गया है। इनमें पारिस्थितिक क्षति की वास्तविक सीमा, मानव स्वास्थ्य पर असर, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का क्षरण और सांस्कृतिक मूल्यों का नुकसान शामिल है।

बेहतर डेटा, निवेश में वृद्धि और एक मजबूत जैव सुरक्षा प्रणाली जैसे कदम नहीं उठाए गए तो आक्रामक प्रजातियां पूरे ऑस्ट्रेलिया में इसी तरह कहर बरपाती रहेंगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Australia spends billions of dollars every year on protecting plants and animals from invasive pests, just less

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