पाकिस्तान के मंत्री ने की 'औरत मार्च' पर रोक लगाने की मांग, जानिए कब और कैसे शुरू हुआ महिलाओं का ये आंदोलन
By अनिल शर्मा | Published: February 18, 2022 04:54 PM2022-02-18T16:54:45+5:302022-02-18T17:05:06+5:30
साल 2019 में यह मोर्चा अपने एक नारे- 'मेरा जिस्म मेरी मर्जी' के कारण विवादों में घिर गया जिसको लेकर काफी हंगामा हुआ। आयोजक महिलाओं को बलात्कार की धमकियां तक मिलीं।
लाहौरः पाकिस्तान में रुढ़िवादी समूहों को चुनौती देती 'औरत मार्च' के खिलाफ वहां की मौजूदा सरकार में आवाजें मुखर हो गई हैं। पाकिस्तान के धार्मिक और अल्पसंख्यक मामलों के संघीय मंत्री नूर-उल-हक कादरी ने प्रधानमंत्री इमरान खान को पत्र लिखकर औरत मार्च पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक कादरी ने पाकिस्तान के पीएम को लिखे पत्र में लिखा है कि 8 मार्च को औरत मार्च के बजाय अंतरराष्ट्रीय हिजाब दिवस के रूप में मनाया जाए। कादरी ने औरत मार्च को इस्लामी रीति-रिवाजों और मूल्यों के खिलाफ बताया और कहा कि औरत मार्च या किसी अन्य कार्यक्रम के जरिए किसी को भी इस्लामी रीति-रिवाजों, मूल्यों या हिजाब पहनने का मजाक उड़ाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। कादरी के पत्र पर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के संसदीय नेता शेरी रहमान ने हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि औरत मार्च पर प्रतिबंध लगाकर क्या साबित करना चाहते हैं?
आखिर क्या है ये औरत मार्च और क्यों इस पर इतना विवाद छिड़ा हुआ है? बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार इसकी शुरुआत साल 2018 में 8 मार्च यानी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हुई। इस दिन हिंसा और उत्पीड़न से आजादी की मांग को लेकर कुछ महिलाओं को जुटान हुआ जिसके बाद महिलाओं के उस समहू ने आंदोलन का रूप ले लिया। इसको औरत मार्च नाम दिया गया जिसमें ट्रांसजेंडर भी शामिल हुए।
औरत मार्च पर विवाद क्यों?
औरत मार्च के जरिए पाकिस्तान की महिलाएं अपने लिए सुरक्षा के बेहतर कानून लाने, आर्थिक न्याय दिलाने जैसी मांगों के साथ-साथ महिला विरोधी विचारधारा को चुनौती दे रही हैं। हालांकि साल 2019 में यह मोर्चा अपने एक नारे- 'मेरा जिस्म मेरी मर्जी' के कारण विवादों में घिर गया जिसको लेकर काफी हंगामा हुआ। आयोजक महिलाओं को बलात्कार की धमकियां तक मिलीं। नारे पर विवादो को लेकर आयोजक सामने आए और कहा कि इस नारे का मतलब है एक महिला का उसके अपने शरीर पर नियंत्रण होना है। लेकिन आलोचकों ने इसे अश्लील, यौन संबंध से जुड़ा और एक महिला की बेशकीमती मर्यादा के खिलाफ बताया। इसके साथ ही मार्च के आयोजकों पर भड़काऊ पोस्टर और प्लेकार्ड इस्तेमाल करने का भी आरोप लगता आ रहा है। इस बात को वहां के कुछ उदारवादी संगठनों ने भी माना।
औरत मार्च के खिलाफ डाली गई याचिका
साल 2020 में पाकिस्तान की एक अदालत में 'औरत मार्च' के खिलाफ याचिका दाखिल की गई। अजहर सिद्दिकी नाम के याचिकाकर्ता ने अदालत से मार्च पर रोक लगाने का अनुरोध किया। उसने मार्च को इस्लाम के प्रावधानों के खिलाफ बताया। उसने पोस्टर नारों और पोस्टरों का जिक्र करते हुए कहा कि 2019 के मार्च में ‘असभ्य’ पोस्टर लहराये गये थे जिससे देश और इस्लाम दोनों का अपमान हुआ था । हालांकि कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी ये कहते हुए कि पाकिस्तान के संविधान के अनुसार इस मार्च को रोका नहीं जा सकता है और पुलिस को आदेश दिया कि वह इस मार्च को पुख्ता सुरक्षा मुहैया कराये।
पितृसत्ता को समाप्त करने के लिए मार्च
औरत मार्च का एक इंस्टाग्राम पेज भी है जिसके जरिए वे अपने मुद्दों से जनसमहू को अवगत कराते हैं। मोर्चे ने मार्च में शामिल होने के लिए लोगों से अपील करते हुए एक पोस्ट साझा की। जिसमें लिखा, आज मार्च करना न भूलें। अपने लिए, अपनी माँ के लिए, परदादी के लिए और अपनी पोती के लिए जो अभी पैदा नहीं हुई है। आपकी बहनों और आपके भाइयों के लिए ताकि वे हमारी पिछली पीढ़ियों की तुलना में समानता को बेहतर ढंग से समझ सकें।
यह मत भूलो कि हम आज मार्च करते हैं क्योंकि हमारे सामने बहादुर महिलाओं ने मार्च करने का फैसला किया ताकि हम 2021 में समानता के करीब पहुंच सकें। आपके शरीर के लिए, और आपकी सहमति के लिए मार्च। अपने निर्णय लेने के अधिकार के लिए मार्च। आपकी सुरक्षा के लिए मार्च जो सरकार आपको इस देश के नागरिक के रूप में प्रदान करे। पितृसत्ता को समाप्त करने के लिए मार्च।