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Afghanistan Taliban: अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत आने के बाद बड़े पैमाने पर हमले, 3774 नागरिक हताहत, देखें आंकड़े

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 27, 2023 14:54 IST

Afghanistan Taliban: वर्ष 2021 के मध्य अगस्त में अफगानिस्तान में तालिबान का शासन लागू होने से लेकर इस साल मई तक देश में कुल 3,774 नागरिक हताहत हुए हैं, जिनमें हिंसा में मारे गए 1,095 लोग शामिल हैं।

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ठळक मुद्देअकेले 2020 में अफगानिस्तान में हताहत हुए कुल 8,820 नागरिकों से काफी कम है।हमलों में मारे गए लोगों में 92 महिलाएं और 287 बच्चे शामिल थे।आईईडी हमलों में से ज्यादातर को इस्लामिक स्टेट इन खोरासन प्रॉविन्स (आईएसकेपी) ने अंजाम दिया।

Afghanistan Taliban: संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत आने के बाद से हुए हमलों में बड़े पैमाने पर नागरिक मारे गए हैं और घायल हुए हैं। विश्व निकाय के अनुसार, युद्ध और आतंकवाद के दौर के मुकाबले देश में हताहतों की संख्या में भारी कमी आने के बावजूद देश में यह स्थिति है।

अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के मिशन (यूएनएएमए) की ओर से जारी नयी रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021 के मध्य अगस्त में अफगानिस्तान में तालिबान का शासन लागू होने से लेकर इस साल मई तक देश में कुल 3,774 नागरिक हताहत हुए हैं, जिनमें हिंसा में मारे गए 1,095 लोग शामिल हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, यह संख्या अकेले 2020 में अफगानिस्तान में हताहत हुए कुल 8,820 नागरिकों से काफी कम है, जिनमें मृतकों का आंकड़ा 3,035 है। अगस्त 2021 में दो दशक लंबे अफगान युद्ध के बाद देश से अमेरिकी और नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) बलों की वापसी के अंतिम दौर के दौरान तालिबान ने अफगानिस्तान की कमान अपने हाथों में ले ली थी।

संरा रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से हुए तीन-चौथाई हमलों में आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) के जरिये ‘भीड़ वाली जगहों, मसलन-धार्मिक स्थलों, स्कूलों और बाजारों को निशाना बनाया गया।’ इन हमलों में मारे गए लोगों में 92 महिलाएं और 287 बच्चे शामिल थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में हुए कुल आईईडी हमलों में से ज्यादातर को इस्लामिक स्टेट इन खोरासन प्रॉविन्स (आईएसकेपी) ने अंजाम दिया, जो क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट (आईएस) आतंकवादी समूह का क्षेत्रीय सहयोगी है।

हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बड़ी संख्या में नागरिक ऐसे हमलों में मारे गए, जिनकी जिम्मेदारी किसी भी समूह ने नहीं ली या फिर संयुक्त राष्ट्र मिशन इन हमलों में शामिल समूहों का पता नहीं लगा सका। रिपोर्ट में ऐसे लोगों की संख्या नहीं स्पष्ट की गई है।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ‘आत्मघाती हमलों में वृद्धि’ के बारे में भी चिंता व्यक्त की गई है, जिसके कारण कम संख्या में ऐसे हमले होने के बावजूद बड़े पैमाने पर नागरिक हताहत हुए। इसमें कहा गया है कि तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान को मिलने वाली विदेशी मदद में कमी आने की वजह से पीड़ितों को ‘चिकित्सकीय, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक मदद’ हासिल करने में संघर्ष करना पड़ रहा है।

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