Blog: ''मेरा खून से सना पैड मेरे दोस्त और भगवान के लिए शर्मनाक नहीं है'' ईरानी जी आप पूरी तरह गलत हैं!
By पल्लवी कुमारी | Published: October 28, 2018 09:42 AM2018-10-28T09:42:54+5:302018-10-29T09:08:04+5:30
क्या आप खून ने सना सैनिटरी पैड लेकर दोस्त के घर जा सकते है, या भगवान के घर में( मंदिर)? ये सवाल टेक्सटाइल मिनिस्टर स्मृति ईरानी ने पूछा है। इनके बयान की चर्चा सोशल मीडिया पर हर तरफ हो रही है।
क्या आप खून ने सना सैनिटरी पैड लेकर दोस्त के घर जा सकते है, या भगवान के घर में (मंदिर)? ये सवाल टेक्सटाइल मिनिस्टर स्मृति ईरानी ने पूछा है। इनके बयान की चर्चा सोशल मीडिया पर हर तरफ हो रही है। 23 अक्टूबर को मुंबई में स्मृति ईरानी ने यंग थिंकर्ज कॉन्फ्रेंस नाम के एक कार्यक्रम में पहुंची थी। बातों-बातों में महिला मंत्री से यहां सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में पूछ लिया गया।
स्मृति ईरानी ने इस पर कहा, मुझे प्रार्थना करने का हक है लेकिन किसी को बेइज्जत करने का नहीं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करने वाली मैं कौन होती हूं, मैं एक मंत्री हूं। मैं सिर्फ इतना बोलूंगी कि जब आप अपने दोस्त के घर जाते हैं, आप अपने हाथ में खून से सना सैनिटरी पैड तो नहीं लेकर जाते है ना? तो फिर आप भगवान के मंदिर में यह चीज लेकर जाना क्यों सही है?
लेकिन आपको मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्मृति का ये बयान एक फेक न्यूज पर आधारित है। जी हां, कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एक फेक न्यूज वायरल हुई, कि फेमिनिस्ट एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा खून से सना सैनिटरी नैपकिन लेकर सबरीमाला मंदिर गई थीं, और उन्होंने अपने दोस्त के साथ प्लानिंग की थी कि वह मंदिर के देवता अयप्पा पर ये पैड फेकेंगी, हालांकि फतिमा ने इस खबर को सिरे से नाकार दिया था।
असल में घटना की सच्चाई कुछ और ही थी, रेहाना जब मंदिर जा रही थी तो उनके पीरियड्स चल रहे थे, इसी वजह से उन्होंने अपने साथ ले गए सामान में सैनिटरी पैड्स का पैकेट रखा था। रेहाना ने इसकी पूरी सिक्यूरिटी चेकिंग भी कराई थी लेकिन हर बात में राजनीति करने वालों लोगों ने इस पर हिंदू-मुस्लिम का फैक्टर का नाम देकर एजेंडा बनाया।
आखिर मंदिर में पैड लेकर क्यों ना जाए
ये तो था महिला मंत्री के बयान का सच था लेकिन अब बात सैनिटेरी नैपकिन और पीरियड्स पर। पीरियड्स एक नेचुरल प्रोसेसे है, इसमें कहीं से भी कोई हीन और घृणा का भाव तो है ही नहीं। पीरियड्स में स्कूल-कॉलेज ऑफिस दुनिया के तमात काम कर रही हैं? फिर वह इसके रहते मंदिर क्यों नहीं जा सकती है? और अगर मंदिर जाए तो पैड्स लेकर क्यों ना जाए, अपने साथ पैड कैरी करने का एक महिला को पुरा अधिकार है।
महिला मंदिर में या कोई पार्टी क्लब में वो जहां चाहे पैड लेकर जाए, इसमें किसी को कोई आपती क्यों है? और इस शारीरिक बनावट से किसी मंदिर के देवता या सो कोल्ड किसी के धर्म को खतरा महसूस होता है तो इसमें अब जल्द ही कोई बदलाव की जरूरत है। जब सुप्रीम कोर्ट को इस पर कोई आपत्ति नहीं है तो बाकियों को क्यों? हम पीरियड्स के हाईजीन पर बात करने की बजाय इन पैड को कैरी करने के विवाद में फंसे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का सबरीमाल पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला में हर उम्र की महिला के प्रवेश करने का फैसला सुनाया था। इस फैसले के विरोध में दोबार याचिका भी दायर हुई थी लेकिन वह खारिज कर दी गई। सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। सबरीमाला मंदिर की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया था कि 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। जिन महिलाओं की उम्र 50 से अधिक है वह दर्शन के लिए आते वक्त अपने साथ आयु प्रमाण पत्र लेकर आए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी सबरीमाला मंदिर 17 अक्टूबर को खोला गया था। लेकिन मंदिर में 10 से 50 साल की कोई महिला प्रवेश नहीं कर सकी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुए और ये हिंसक भी हो उठे थे। चार महिलाओं समेत केरल की एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की। लेकिन, विरोध की वजह से उन्हें लौटना पड़ा था।