Odisha: दसवीं क्लास की आदत तीन दशक बाद भी नहीं छूटी, जानिए तुषार दास की पेन मैन बनने की कहानी

By धीरज मिश्रा | Published: November 4, 2023 11:19 AM2023-11-04T11:19:21+5:302023-11-04T11:34:19+5:30

तुषार कांता जब दसवीं क्लास में पढ़ते थे तो उन्हें पेन जमा करने का शौक शुरू हुआ। यह शौक उन्हें अपने दोस्तों की वजह से शुरु हुआ जो आज भी जारी है। क्लास में दोस्तों के लिए पेन लाना, किसी के पास पेन नहीं है तो उन्हें पेन देना। बचपन में शुरू किया गया यह कार्य आज तीन दशक बीत जाने के बाद भी वह जारी रखे हुए हैं।

Odisha Bhuvneshwar Tenth class habit not left even after three decades know the story of Tushar Das becoming a pen man | Odisha: दसवीं क्लास की आदत तीन दशक बाद भी नहीं छूटी, जानिए तुषार दास की पेन मैन बनने की कहानी

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Highlightsतुषार कांता ने अपने घर में ही एक मिनी लाइब्रेरी बना ली हैलाइब्रेरी में एक दो नहीं बल्कि 4 हजार पेन के कलेक्शन हैंअगले पेन फाउंडेशन डे तक 10 हजार पेन का कलेक्शन करना चाहते हैं।

Odisha: स्कूल के दिनों में आपके पास कई तरह के पेन रहे होंगे। कुछ पेन को आप खासतौर पर एग्जाम लिखने के लिए रखते होंगे। हालांकि, जब आप नौकरी में आए होंगे तो आपके पास शायद उतने पेन न हो, जितना कि स्कूल के दिनों में रहे होंगे। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिनके पास पुराने से लेकर नए पेन के लेटेस्ट कलेक्शन हैं। इन्हें पेन मैन भी कहा जाता है। आज बात ओडिशा में पेन मैन नाम से मशहूर तुषार कांता दास की करेंगे। चलिए जानते हैं पेन जमा करने का कार्य तुषार ने क्यों शुरू किया।

तुषार कांता जब दसवीं क्लास में पढ़ते थे तो उन्हें पेन जमा करने का शौक शुरू हुआ। यह शौक उन्हें अपने दोस्तों की वजह से शुरु हुआ जो आज भी जारी है। क्लास में दोस्तों के लिए पेन लाना, किसी के पास पेन नहीं है तो उन्हें पेन देना। बचपन में शुरू किया गया यह कार्य आज तीन दशक बीत जाने के बाद भी वह जारी रखे हुए हैं। खास बात यह है कि उन्होंने अपने घर में ही एक मिनी लाइब्रेरी बना ली है। जिसमें एक दो नहीं बल्कि 4 हजार पेन के कलेक्शन हैं। उनके लाइब्रेरी में रेनॉल्ड्स से लेकर हाई एंड वॉटरमैन तक का कलेक्शन है।

तषार कांता ने कहा कि साल 1992 में वह रेनॉल्ड्स पेन का इस्तेमाल लिखने के लिए करते थे। आज तीन दशक बाद उनके पास 5000 रुपये से लेकर उससे अधिक महंगे पेन भी है। उन्होंने बताया कि उनके पास गोल्ड प्लेटेड पेंस, के साथ कई विदेशी पेन भी हैं। साथ ही कई देशों के पेन भी उनकी मिनी लाइब्रेरी में मौजूद है। उन्होंने कहा कि उन्हें शुरू से ही पेन से काफी लगाव और प्रेम रहा है। जब मैं दसवीं क्लास में पढ़ता था तो मैं अपने दोस्तों के लिए पैंन जमा करता था। 1992 से लेकर 2005 तक मैंने  रेनॉल्ड्स पेन का इस्तेमाल बहुत किया।

धीरे धीरे मैंने कई पेन लेकर लिखना शुरू हुआ। धीरे धीरे मुझे पेन से प्यार हो गया। मेरे पास 4000 पेन हैं। जिसमें मेरे पास क्रॉस, ओलीवर, वाटरमेन सहित अन्य ब्रांड हैं। मेरे पास इनके अलावा अमेरिका, जापान और जर्मनी के पेन भी हैं। 5 रूपये से लेकर 5 हजार तक पेन शामिल हैं। उन्होंन बताया कि जब भी मेरे कोई जानकार, रिश्तेदार कहीं बाहर जाते हैं तो मैं उन्हें वहां से पेन लाने के लिए कहता हूं। में अपने सभी पेन को अपनी फैमिली की तरह मानता हूं और बच्चे की तरह ख्याल रखता हूं। उन्होंने बताया कि वह अगले पेन फाउंडेशन डे तक 10 हजार पेन का कलेक्शन करना चाहते हैं। 

Web Title: Odisha Bhuvneshwar Tenth class habit not left even after three decades know the story of Tushar Das becoming a pen man

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