'अब गाय पालना रिस्की हो गया है?', जानें क्यों कुमार विश्वास ने की ये टिप्पणी

By स्वाति सिंह | Published: October 27, 2020 04:59 PM2020-10-27T16:59:41+5:302020-10-27T17:00:58+5:30

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने प्रदेश में गोहत्या निषेध कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए रहमू और रहमुद्दीन नाम के दो व्यक्तियों को जमानत दे दी। ये दोनों व्यक्ति कथित तौर पर गोहत्या में शामिल थे। याचिकाकर्ता की दलील थी कि प्राथमिकी में उसके खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं हैं और उसे घटनास्थल से गिरफ्तार नहीं किया गया।

'Now cow rearing has become risky', know why Kumar Vishwas made this comment | 'अब गाय पालना रिस्की हो गया है?', जानें क्यों कुमार विश्वास ने की ये टिप्पणी

कुमार विश्वास ने गायों को पालने में आ रही समस्याओं पर भी अपनी चिंता जाहिर की है।

Highlightsकोर्ट ने पिछले सोमवार को पारित एक आदेश में उत्तरप्रदेश में गो हत्या निषेध कानून के दुरुपयोग पर चिंता इस एक्ट के दुरुपयोग के संदर्भ में की गई टिप्पणी का देश के मशहूर कवि कुमार विश्वास ने भी समर्थन किया है।

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले सोमवार को पारित एक आदेश में उत्तरप्रदेश में गो हत्या निषेध कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि यदि इस कानून को मूल भावना के साथ लागू किया जाए तो पशु स्वामियों द्वारा छोड़ी गई बूढ़ी या दूध नहीं देने वाली गायों की देखभाल की जरूरत है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की गायों की हालत और इस एक्ट के दुरुपयोग के संदर्भ में की गई टिप्पणी का देश के मशहूर कवि कुमार विश्वास ने भी समर्थन किया है। कुमार विश्वास ने गायों को पालने में आ रही समस्याओं पर भी अपनी चिंता जाहिर की है। कुमार विश्वास ने ट्वीट करते हुए लिखा है, 'चूँकि स्वयं लगभग 10 गायों-गौवंश की गोशाला रखता हूँ इसलिए माननीय उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी से 100% सहमत हूँ। पिछले कुछ सालों में गाय खरीदना,मँगवाना,भेजना, रखना, गर्भाधान कराना सबकुछ इतना जटिल और रिस्की हो गया है कि मेरे एक दर्जन जानने वाले गोपालकों ने तो गाय रखनी तक बंद कर दी हैं।'

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने प्रदेश में गोहत्या निषेध कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए रहमू और रहमुद्दीन नाम के दो व्यक्तियों को जमानत दे दी। ये दोनों व्यक्ति कथित तौर पर गोहत्या में शामिल थे। याचिकाकर्ता की दलील थी कि प्राथमिकी में उसके खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं हैं और उसे घटनास्थल से गिरफ्तार नहीं किया गया। इसके अलावा, बरामद किया गया मांस गाय का था या नहीं, इसकी पुलिस द्वारा जांच भी नहीं की गई। संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा, “इस कानून का निर्दोष लोगों के खिलाफ दुरुपयोग किया जा रहा है।

जब कभी मांस बरामद किया जाता है, इसे आम तौर पर गाय के मांस के तौर पर दिखाया जाता है और फॉरेंसिक लैब द्वारा इसकी जांच नहीं कराई जाती है। ज्यादातर मामलों में मांस को विश्लेषण के लिए नहीं भेजा जाता है। आरोपी एक ऐसे अपराध के लिए जेल में पड़े रहते हैं जो अपराध किया ही नहीं गया।” अदालत ने मालिकों या आश्रय स्थलों द्वारा गायों को खुला छोड़ने के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कहा, “गोशालाएं दूध नहीं देने वाली गायें या बूढ़ी गायें नहीं लेतीं और इन गायों को सड़कों पर घूमने के लिए छोड़ दिया जाता है।

ग्रामीण इलाकों में पशुओं को चारा देने में असमर्थ लोग उन्हें खुला छोड़ देते हैं। पुलिस के भय से इन पशुओं को प्रदेश के बाहर नहीं ले जाया जा सकता। अब चारागाह भी नहीं रहे। इसलिए ये जानवर यहां वहां घूमकर फसलें खराब करते हैं।” अदालत ने कहा, “चाहे गायें सड़कों पर हों या खेत में, उन्हें खुला छोड़ने से समाज बुरी तरह प्रभावित होता है। यदि गोहत्या कानून को सही ढंग से लागू करना है तो इन पशुओं को आश्रय स्थलों या मालिकों के पास रखने के लिए कोई रास्ता निकालना पड़ेगा।”  (भाषा इनपुट के साथ)

Web Title: 'Now cow rearing has become risky', know why Kumar Vishwas made this comment

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