ट्विटर पर ट्रेंड हुआ Nehru is BIG, संसद में पीएम मोदी ने 23 बार लिया नाम, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान ये कहा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 7, 2020 11:32 AM2020-02-07T11:32:07+5:302020-02-07T11:32:07+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में लगातार पंडित जवाहर लाल नेहरू का जिक्र करते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (6 फरवरी) को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का नाम कई बार लिया। पीएम मोदी का भाषण चर्चा का विषय बना हुआ है। पीएम मोदी ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध को लेकर निशाना साधते हुए लोकसभा में नेहरू के बयानों को उद्धृत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दल से पूछा कि क्या पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता की बात करने के लिये पंडित नेहरू को ‘साम्प्रदायिक’ कहा जायेगा ?
शुक्रवार को भारत के प्रतिष्ठित अखबार टेलीग्राफ ने एक खबर छापी जिसमें उसने बताया कि पीएम मोदी ने 23 बार नेहरू का नाम लिया। इसके बाद से ट्विटर पर Nehru Is Big ट्रेंड हो रहा है। प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने भी इस मसले पर ट्वीट किया। नागरिकता बिल के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए जा चुके गुहा ने लिखा, एक दिन एक राजनेता जो मूल रूप से गुजरात का है, वो अपनी आत्मकथा को शायद 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग की कहानी, आधा-सत्य और असत्य' का नाम देना चाहेगा।
One day a politician originally from Gujarat may wish to call his autobiography "THE STORY OF MY EXPERIMENTS WITH TRUTH, HALF-TRUTH, AND UNTRUTH":https://t.co/NpB2fVbCa9
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) February 7, 2020
पढ़ें संसद में पीएम मोदी ने क्या-क्या कहा
प्रधानमंत्री ने अपने करीब 100 मिनट के भाषण में कहा, ‘‘जो लोग हम पर आरोप लगा रहे हैं, उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या पंडित नेहरू सांप्रदायिक थे। क्या वह हिन्दू-मुस्लिम में भेद करते थे ? क्या पंडित नेहरू हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते थे ? ’’ उन्होंने नेहरू के हवाले से कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि जो प्रभावित लोग भारत में बसने के लिए आये हैं, ये नागरिकता मिलने के अधिकारी हैं और अगर इसके लिए कानून अनुकूल नहीं हैं तो कानून में बदलाव किया जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ भारत-पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए 1950 में नेहरु-लियाकत समझौता हुआ। नेहरु जी इतने बड़े विचारक थे, उन्होंने 'वहां के अल्पसंख्यकों' की जगह, 'वहां के सारे नागरिक' शब्द का उपयोग क्यों नहीं किया?’’ मोदी ने कहा कि जो बात हम आज बता रहे हैं, वही बात नेहरु जी ने भी कही थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की दिक्कत ये है कि वो बातें बनाती है, झूठे वादे करती है और दशकों तक वादों को टालती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 1963 में लोकसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव आया और नेहरू जी उस समय विदेश मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। तब नेहरू जी ने तब के विदेश राज्य मंत्री को टोकते हुए कहा था कि पूर्वी पाकिस्तान में वहां की ऑथोरिटी हिंदुओं पर जबरदस्त दवाब बना रही है । उन्होंने कहा, ‘‘ पाकिस्तान के हालात को देखते हुए गांधी जी के साथ ही नेहरू जी की भावनाएं भी जुड़ी थीं। सभी लोग इस तरह के कानून की बात कहते रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में जवाहर लाल नेहरू द्वारा असम के प्रथम मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई को लिखे पत्र का भी जिक्र किया और कहा कि हिन्दू शरणार्थी और मुस्लिम आप्रवासी में अंतर करने की जरूरत है।