JNU ने मशहूर इतिहासकार रोमिला थापर से मांगा सीवी, सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस, जानें क्या है पूरा विवाद और नियम

By पल्लवी कुमारी | Published: September 2, 2019 10:40 AM2019-09-02T10:40:33+5:302019-09-02T10:40:33+5:30

इतिहासकार रोमिला थापर से पत्र लिखकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU ) ने सीवी मांगा था। रोमिला थापर ने इसका जवाब देते हुये कहा है कि वो  प्रफेसर इमेरिटस के तौर पर जुड़े रहने के लिए यूनिवर्सिटी को बायोडेटा नहीं देना चाहतीं हैं।

JNU university asks historian Romila Thapar's CV, social media reacts demand apology | JNU ने मशहूर इतिहासकार रोमिला थापर से मांगा सीवी, सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस, जानें क्या है पूरा विवाद और नियम

रोमिला थापर( फाइल फोटो)

Highlightsजेएनयू का इस मामले पर कहना है कि उन्होंने यूनिवर्सिटी के नियमों के तहत की रोमिला थापर से सीवी मांगा है।रोमिला थापर से सीवी मांगे जाने की सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा हो रही है।

इतिहासकार रोमिला थापर से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने उनका बायोडेटा (CV) मांगा था। जिसको लेकर काफी विवाद हो गया है। रोमिला थापर से सीवी मांगे जाने को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। शिक्षकों और इतिहासकारों एक तबके का कहना है कि जेएनयू ने ऐसा करके प्रख्यात इतिहासकार रोमिला थापर का अपमान किया है। जेएनयू का इस मामले पर कहना है कि उन्होंने यूनिवर्सिटी के नियमों के तहत की रोमिला थापर से सीवी मांगा है। रोमिला थापर 1993 से बतौर एमेरिटस प्रोफेसर जेएनयू से जुड़ी हैं।

रोमिला थापर जेएनयू से कब से जुड़ी हैं? 

रोमिला थापर 1970 में जेएनयू से जुड़ी ।1992 तक प्राचीन भारतीय इतिहास की प्रोफेसर रहीं। 1993 से बतौर एमेरिटस प्रोफेसर सेवाएं दे रही हैं। यूनिवर्सिटी ने सीवी प्रशासन सेवा विस्तार के पूर्व उनके काम का मूल्यांकन के लिए मांगा है। रोमिला थापर से पत्र लिखकर यूनिवर्सिटी ने सीवी मांगा था। रोमिला थापर ने इसका जवाब देते हुये कहा है कि वो  प्रफेसर इमेरिटस के तौर पर जुड़े रहने के लिए यूनिवर्सिटी को बायोडेटा नहीं देना चाहतीं हैं।

रोमिला थापर से सीवी मांगने पर क्या कहता है जेएनयू?

यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि उन्होंने रोमिला थापर को पत्र लिखकर सीवी नियमों के तहत ही मांगे हैं। यूनिवर्सिटी के मुताबिक, रोमिला थापर की उम्र 75 के पार है, ये सीवी सिर्फ इसलिए ताकी उनकी उपलब्धता और विश्वविद्यालय के साथ उनके संबंध को जारी रखने की उनकी इच्छा का पता चल सके। यह पत्र सिर्फ उन प्रफेसर इमेरिटस को लिखे गए हैं जो इस श्रेणी में आते हैं। बायोडेटा के जरिए यूनिवर्सिटी की ओर से गठित एक कमिटी संबंधित प्रफेसर इमेरिटस के कार्यकाल में किए गए कार्यों का आकलन करती है। इसके बाद वह अपने सिफारिशें एग्जिक्युटिव काउंसिल को भेजती है, जो प्रफेसर के सेवा विस्तार को लेकर फैसला लेती है। 

क्या कहता है जेएनयू का मौजूदा नियम और क्या है सीवी मांगने वाला जेएनयू का नियम?

जेएनयू के एकेडमिक नियम संख्या 32(जी) की मानें तो 'इमेरिट्स प्रोफेसर की 75 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद उनकी नियुक्ति करने वाली अथॉरिटी एग्जिक्युटिव काउंसिल रिव्यू करती है। रिव्यू कर ये फैसला लिया जाता है कि उन्हें आगे सेवा करने का मौका दिया जायेगा या नहीं। इसके लिए चयन का आधार स्वास्थ्य, इच्छा, उपलब्धता और यूनिवर्सिटी की जरूरते होती है। 

सोशल मीडिया पर क्या उठ रहे हैं सवाल 

रोमिला थापर से सीवी मांगे जाने की सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा हो रही है। ट्विटर पर #RomilaThapar के साथ लोग अपनी प्रतिक्रिया लिख रहे हैं। मामले पर बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया, 'सिर्फ रोमिला थापर ही नहीं जेएनयू से जुड़े 75 वर्ष से अधिक के सभी प्रफेसर इमेरिटस के कार्यकाल की नियमों के मुताबिक समीक्षा हो रही है। इस भ्रम से बाहर आना चाहिए कि लेफ्ट लिबरल इंटलेक्चुअल्स पर सवाल नहीं किए जा सकते।'

रोमिला थापर से सीवी मांगने को लेकर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा है, यह एक अपमान ही नही बल्कि क्राइम है। क्या जेएनयू इससे नीचे भी गिर सकता है? 

एक यूजर ने लिखा है, मुझे पता है जसप्रीत बुमराह अच्छे बॉलर हैं लेकिन हमने उनसे अभी तक सीवी नहीं मांगा है। 

वहीं एक यूजर ने लिखा है, आप राम जी का जन्म प्रमाण-पत्र मांग सकते हैं लेकिन रोमिला थापर का सीवी नहीं।  

रोमिला थापर के बारे में? 

रोमिला थापर देश की प्रमुख इतिहासकारों और लेखकों में से एक हैं। रोमिला थापर का जन्म 30 नंवबर 1931 को लखनऊ में हुआ है। रोमिला थापर ने जाब विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में ग्रेजुएट की। उसके बाद लंदन विश्वविद्यालय से प्राचीन भारतीय इतिहास में स्नातक से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। थापर ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से शिक्षण की शुरुआत की थी। इसके बाद वह कुछ वर्षों तक डीयू में भी पढ़ाती रहीं। 1970 में वह जेएनयू से जुड़ीं। 

Web Title: JNU university asks historian Romila Thapar's CV, social media reacts demand apology

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