ठग सुकेश चंद्रशेखर द्वारा अभिनेत्री फर्नांडीज और फतेही को लिखे पत्रों से ‘दुखी’ था फैंस, उच्च न्यायालय ने ‘प्रशंसक’ पर 25000 का जुर्माना लगाया, जानें वजह
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 31, 2023 09:21 PM2023-07-31T21:21:01+5:302023-07-31T21:22:26+5:30
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अगुवाई वाली पीठ ने सोमवार को जारी आदेश में कहा कि एक "प्रशंसक" के तौर पर याचिकाकर्ता निशांत सिंह की कथित स्थिति उन्हें उन अभिनेत्रियों की ओर से राहत मांगने का अधिकार नहीं देती है जो अपने हितों की खुद रक्षा करने में सक्षम हैं।
नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस व्यक्ति की जन हित याचिका को 25 हजार रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया है जो कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर द्वारा अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीज और नोरा फतेही को लिखे पत्रों से ‘दुखी’ था। इस शख्स ने खुद को अभिनेत्रियों का ‘बड़ा प्रशंसक’ बताया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अगुवाई वाली पीठ ने सोमवार को जारी आदेश में कहा कि एक "प्रशंसक" के तौर पर याचिकाकर्ता निशांत सिंह की कथित स्थिति उन्हें उन अभिनेत्रियों की ओर से राहत मांगने का अधिकार नहीं देती है जो अपने हितों की खुद रक्षा करने में सक्षम हैं।
अदालत ने कहा कि याचिका के जरिए कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया गया है और इसमें अस्पष्ट और लापरवाही से आरोप लगाए गए हैं और यह सस्ता प्रचार पाने का गलत प्रयास है। पीठ ने कहा, “अदालत याचिका में वास्तविकता और तथ्यों की कमी पाती है और यह मूल्यवान न्यायिक समय को खेदजनक रूप से बर्बाद करती है।
बावजूद इसके श्रीमान सिंह ने यह प्रतिबद्धता जाहिर की कि वह इसे जनहित का मामला मानते हैं। अदालत याचिका की तुच्छ प्रकृति से निराश है।” पीठ ने आदेश में कहा, “ जनहित याचिका न्यायकि प्रक्रिया का दुरुपयोग है जो जुर्माने के साथ खारिज किए जाने के लायक है।
याचिकाकर्ता को निर्देशित किया जाता है कि वह ‘आर्मी बेटल कैजुअल्टीज वेलफेयर फंड’ में आज से 30 दिन के अंदर 25 हजार रुपये जमा कराएं।” अदालत ने रेखांकित किया उंगुलियों के निशान (फिंगर प्रिंट) के विशेषज्ञ याचिकाकर्ता के मुताबिक, चंद्रशेखर द्वारा लिखे गए पत्र अपमानजनक थे और उसमें अश्लील टिप्पणियां थी जो भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल) के तहत अपराध है।
याची ने कहा कि ये सोशल मीडिया मंचों और समाचार चैनलों पर प्रसारित किए गए। अदालत ने कहा कि कथित कृत्यों को लेकर अच्छी तरह से परिभाषित दीवानी और फौजदारी उपचार हैं और मामले में शामिल अभिनेत्रियां अपने हितों और अपने निजी अधिकारों की रक्षा करने के लिए सक्षम हैं।
इसके लिए उन्हें याची जैसे किसी तीसरे पक्ष के प्रतिनिधित्व की जरूरत नहीं है। याचिका पर 28 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान याची के वकील ने कहा था कि वह अभिनेत्रियों के बड़े प्रशंसक हैं और चंद्रशेखर द्वारा अभिनेत्रियों को लिखे पत्र से दुखी हैं।