श्रीनगर के एसएमएचएस ऑस्पताल के एंटी रेबीज क्लिनिक में 6,500 से ज्‍यादा केस, कुत्तों से ज्यादा बिल्लियों ने काटा

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: December 23, 2025 10:45 IST2025-12-23T10:44:07+5:302025-12-23T10:45:39+5:30

पालतू जानवर पालना चाहता है, उसे उसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए मानसिक और आर्थिक रूप से तैयार रहना चाहिए - सही खाना, रहने की जगह, स्वास्थ्य देखभाल और व्यवहार प्रबंधन।

6,500 cases reported anti-rabies clinic SMHS Hospital in Srinagar more cases being bitten by cats than dogs | श्रीनगर के एसएमएचएस ऑस्पताल के एंटी रेबीज क्लिनिक में 6,500 से ज्‍यादा केस, कुत्तों से ज्यादा बिल्लियों ने काटा

सांकेतिक फोटो

Highlights एसएमएचएस में कुत्ते के काटने के मामलों की तुलना में बिल्ली के काटने के मामले ज्‍यादा हैं।अधिकारी ने बताया कि बिल्लियां भी कुत्तों की तरह रेबीज फैलाती हैं।बिल्लियां हानिरहित होती हैं और उन्हें वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं होती।

जम्‍मूः यह सच में चौंकाने वाली बात है कि कश्मीर में बिल्ली के काटने के मामलों में तेजी से और चिंताजनक बढ़ोतरी देखी जा रही हैा इस साल अब तक श्रीनगर के एसएमएचएस हास्पिटल के एंटी रेबीज क्लिनिक में 6,500 से ज्‍यादा मामले सामने आए हैं, जो बिल्ली पालने वालों के बीच पालतू जानवरों की देखभाल, वैक्सीनेशन और जागरूकता में गंभीर कमियों को उजागर करता है। आधिकारिक डेटा से पता चलता है कि इस साल एसएमएचएस में 6500 से ज्‍यादा बिल्ली के काटने के मामले सामने आए, और एसएमएचएस में कुत्ते के काटने के मामलों की तुलना में बिल्ली के काटने के मामले ज्‍यादा हैं।

एसएमएचएस के एक अधिकारी ने बताया कि यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से बिल्लियों को पालतू जानवर के तौर पर रखने के बढ़ते चलन के कारण है, खासकर कोविड महामारी के बाद, जिसमें जानवरों की देखभाल के बुनियादी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। अधिकारी ने बताया कि बिल्लियां भी कुत्तों की तरह रेबीज फैलाती हैं,

लेकिन दुर्भाग्य से, कई मालिकों को लगता है कि बिल्लियां हानिरहित होती हैं और उन्हें वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं होती। हम बिल्ली के संपर्क में आने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देख रहे हैं। अब हमारे क्लिनिक में आने वाले जानवरों के काटने के आधे से ज्‍यादा मामले बिल्लियों के कारण होते हैं।

उन्होंने बताया कि कई पालतू जानवरों के मालिक अपनी बिल्लियों को वैक्सीन नहीं लगवाते, डीवर्मिंग नहीं करवाते, या समय पर मेडिकल देखभाल नहीं देते, जिससे जूनोटिक बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है - ये ऐसी बीमारियां हैं जो जानवरों से इंसानों में फैल सकती हैं।

उन्‍होंने बतायाकि पिछले कुछ सालों में कश्मीर में पालतू जानवर पालने का चलन लगातार बढ़ा है, और बिल्लियां लोकप्रिय साथी जानवर बन गई हैं। आर्थिक लाभ देने वाले पशुओं के विपरीत, पालतू जानवरों को साथ और भावनात्मक सहारे के लिए पाला जाता है, इसलिए जिम्मेदार मालिक होना बहुत जरूरी है।

एसएमएचएस अस्‍पताल के अधिकारियों के बकौल, जो कोई भी पालतू जानवर पालना चाहता है, उसे उसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए मानसिक और आर्थिक रूप से तैयार रहना चाहिए - सही खाना, रहने की जगह, स्वास्थ्य देखभाल और व्यवहार प्रबंधन। अगर सही देखभाल सुनिश्चित नहीं की जाती है तो जानवर को घर लाने का कोई मतलब नहीं है।

स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पालतू जानवरों को संभालते समय खराब स्वच्छता, अनियमित ग्रूमिंग और दांतों की देखभाल की उपेक्षा से त्वचा संक्रमण, परजीवी संक्रमण और अन्य बीमारियां हो सकती हैं जो जानवरों और इंसानों दोनों को प्रभावित कर सकती हैं। मेडिकल विशेषज्ञ और पशु चिकित्सक जिम्मेदार बिल्ली पालने के लिए कई जरूरी सावधानियों की सलाह देते हैं।

इनमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि बिल्लियों को पशु चिकित्सा कार्यक्रम के अनुसार रेबीज और अन्य संक्रामक बीमारियों के खिलाफ टीका लगाया जाए। लंबे समय तक वैक्सीनेशन छोड़ना खतरनाक हो सकता है। आंतरिक परजीवियों को खत्म करने के लिए नियमित डीवर्मिंग जरूरी है जो इंसानों में फैल सकते हैं।

बिल्लियों को संभालने, कूड़े के डिब्बे साफ करने या उन्हें खाना खिलाने के बाद हाथों को अच्छी तरह धोना चाहिए। नियमित ग्रूमिंग और दांतों की देखभाल भी जरूरी है। पालतू जानवरों के मालिकों को बिल्लियों को उकसाने से बचना चाहिए, खासकर आवारा या अनजान बिल्लियों को, क्योंकि उनके काटने और खरोंचने का खतरा आम है।

उन्होंने कहा कि अगर बिल्ली काट ले या खरोंच दे, तो घाव को तुरंत साबुन और बहते पानी से कम से कम 15 मिनट तक धोना चाहिए, और बिना किसी देरी के डाक्टर को दिखाना चाहिए। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि बिल्लियों के काटने और खरोंचने से, दुर्लभ मामलों में, टाक्सोप्लाज्मोसिस फैल सकता है, जो एक पैरासिटिक बीमारी है जिससे प्रेग्नेंसी के दौरान खतरा हो सकता है, जिसमें गर्भपात भी शामिल है।

हालांकि, डाक्टरों ने साफ किया कि ऐसे मामले बहुत कम होते हैं और सही साफ-सफाई और रेगुलर वेटनरी केयर से इन्हें काफी हद तक रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन जागरूकता और साफ-सफाई बहुत जरूरी है, खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए। खास बात यह है कि रेबीज एक जानलेवा वायरल बीमारी है जिसके लक्षण दिखने के बाद इसका इलाज संभव नहीं है।

दुनिया भर में, इससे हर साल लगभग 59,000 लोगों की मौत होती है, जिनमें से लगभग 95 प्रतिशत मामले अफ्रीका और एशिया से सामने आते हैं। स्वास्थ्य अधिकारी चेतावनी देते हैं कि पालतू जानवरों के वैक्सीनेशन को लेकर लापरवाही के घातक परिणाम हो सकते हैं।

एसएमएचएस के अधिकारियों ने पालतू जानवरों के मालिकों से जिम्मेदारी से काम करने का आग्रह किया, और कहा कि निवारक देखभाल न केवल जानवरों की रक्षा करती है बल्कि इंसानों के स्वास्थ्य की भी रक्षा करती है, जिससे कश्मीर में लोगों और उनके पालतू जानवरों के बीच एक सुरक्षित और अधिक सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व सुनिश्चित होता है।

Web Title: 6,500 cases reported anti-rabies clinic SMHS Hospital in Srinagar more cases being bitten by cats than dogs

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