कांग्रेस फिर ज़ीरो पर आउट, दिग्विजय सिंह को EVM पर शक
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 11, 2020 01:30 PM2020-02-11T13:30:06+5:302020-02-11T13:30:06+5:30
दिल्ली विधान चुनाव अगर कोई पार्टी थी तो वो थी कांग्रेस जो बिल्कुल प्रेशर में नहीं थी. कांग्रेस को अपनी परफॉरमेंस का कोई डर नहीं था..क्यों कि जो होता अच्छा ही होता वैसे भी कांग्रेस को बस जीरो से ही आगे तो जाना था..लेकिन लगता है कांग्रेस इस बार भी अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने वाली है मतलब जीरो पर बरकार रह सकती है..इन रुझानों-नतीजों से कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी संत मुद्रा में चले गये हैं ..कह रहे है दिल्ली में कांग्रेस पार्टी ने सत्ता पर कब्ज़ा करने का कभी नहीं सोचा, हमने सोचा था कि कांग्रेस कुछ सीटें जीते और दिल्ली में कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व बना रहे.
लेकिन सब संत नहीं है..दिल्ली विधानसभा चुनाव की मतगणना हो रही है और अभी तक कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल रहा लेकिन काग्रेसी नेताओं के मुंह खुल रह रहे हैं.. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ईवीएम को लेकर सवाल खड़े किए और कहा कि चिप वाली ऐसी कोई मशीन नहीं है जिससे छेड़छाड़ नहीं की जा सके.. कांग्रेस नेता ने यह सवाल भी किया कि क्या चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर नए सिरे से विचार करेगा? चिप वाली ऐसी कोई मशीन नहीं है जो टैम्पर प्रूफ हो.. एक क्षण के लिए जरा सोचिए कि कोई विकसित देश ईवीएम का इस्तेमाल क्यों नहीं करता? ''चुनाव आयोग की लगातार यह दलील रही है कि ईवीएम से हर किसी को विश्वास होगा और समय बचेगा.. क्या चुनाव आयोग और उच्चतम न्यायालय ईवीएम से मतदान पर नए सिरे से विचार करेंगे? '' कांग्रेस नेता ने कहा, "हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं और हम ऐसा नहीं होने दे सकते कि अनैतिक लोग नतीजों को हैक करें और 1.3 अरब लोगों के जनादेश की चोरी करें.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एग्जिट पोल के पूर्वानुमानों को खारिज कर दिया जिनमें पार्टी के लिए 2015 चुनाव जैसे नतीजों की बात कही गई थी मतलब जीरो सीट की.. कांग्रेस ने कहा कि 11 फरवरी को आने वाले मतगणना के नतीजे सभी को चौंका देंगे. लेकिन लगता है चौकने की बारी कांग्रेस की है..कांग्रेस दिल्ली में 1998 से 2013 तक सत्ता में रही लेकिन 2015 विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं आयी थी..कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव राजद के साथ गठबंधन में लड़ा था. कांग्रेस ने 66 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जबकि चार सीटें राजद के लिए छोड़ी थीं.