GHMC Election Result| टीवी पर भाग्यनगर vs हैदराबाद | भिड़ गए नेता | BJP-AIMIM में कांटे की टक्कर
By गुणातीत ओझा | Published: December 4, 2020 10:53 PM2020-12-04T22:53:47+5:302020-12-04T22:56:04+5:30
हैदराबाद चुनाव
टीवी पर भिड़ गए नेता!
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव नतीजों के रुझानों (GHMC Election trends 2020) के साथ ही भाग्यनगर और हैदाराबाद दोनों ट्रेंड करने लगा है। बता दें कि चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने कहा था कि अगर वह निगम में सत्ता में आएगी तो शहर का नाम भाग्यनगर कर दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने यहां की जनता से पूछा था कि क्यों न यहां का नाम बदलकर भाग्यनगर कर दिया जाए। हालांकि, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने इसका विरोध किया था। नतीजों की बात करें तो पहले नंबर पर टीआरएस है और दूसरे नंबर के लिए भाजपा और AIMIM में कांटे की टक्कर चल रही है। ताजा रुझानों के अनुसार, टीआरएस लगभग 50 सीट और भाजपा लगभग 40 सीटों पर आगे चल रही है। कांग्रेस ने एक वार्ड में जीत दर्ज की है। जबकि AIMIM 25 सीटों पर आगे चल रही है। पिछले चुनावों की बात करें तो भाजपा की झोली में सिर्फ 4 सीटें ही आईं थी। आइये अब बात करते हैं टीवी पर छिड़ी भाग्यनगर vs हैदराबाद की बहस के बारे में
'शुरू से ही था हैदराबाद नाम'
एक चैनल पर चर्चा में शामिल मौलाना सईद अल कादरी ने भाजपा के हैदराबाद का नाम बदलने के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि ये मुंगेरी लाल के हसीन सपने हैं। हैदराबाद का नाम तो हैदराबाद ही रहेगा। आखिर नाम बदलने की जरूरत ही क्या है। इसका पहला नाम ही हैदराबाद था।' उन्होंने कहा कि यहां पहाड़ी इलाका था। कुली कुतुब शाह ने इस शहर को बसाया था और उन्होंने चारमीनार बनाया था। हैदराबाद से पहले गोलकुंडा राजशाही थी।'
भाजपा ने किया राजा कृष्णदेव राय का जिक्र
इस बहस में भाजपा नेता सुंधाशु त्रिवेदी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हैदराबाद का भाग्योदय होगा। अभी शुरुआती रुझान आ रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि हैदराबाद का भाग्योदय का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा, 'हम किसी का नाम परिवर्तन करने का नहीं बल्कि परिवर्तन की बात करते हैं। जहां तक बात हैदाराबाद से पहले यहां कोई राज्य के नहीं होने की है तो राजा कृष्णदेव राय का राज्य तेलंगाना से लेकर कर्नाटक के हिस्से तक फैला था। पुर्तगाल के इतिहासकारों ने लिखा है कि राजा कृष्णदेव राय की राजधानी लंदन से भी बड़ी थी। निजाम साहब यहां क्या करने आए थे। अगर यहां कुछ नहीं था तो भारत में विदेशी क्यों आए थे?'