Lok Sabha Elections 2024: यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र ने रालोद प्रमुख जयंत को आने का न्योता दिया, सपा से नाता टूटने की चर्चा तेज!, जानें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समीकरण
By राजेंद्र कुमार | Published: July 10, 2023 06:09 PM2023-07-10T18:09:31+5:302023-07-10T18:13:29+5:30
Lok Sabha Elections 2024: जयंत चौधरी के करीबी नेता और प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय आरएलडी के भाजपा के साथ गठबंधन की संभावना को मनगढ़ंत कहानी बता रहे हैं.
Lok Sabha Elections 2024: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी की पकड़ को मजबूत करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के मुखिया जयंत चौधरी को भाजपा के साथ आने का निमंत्रण दिया है.
भूपेंद्र चौधरी ने कहा है कि यदि जयंत चौधरी वैचारिक रूप से भाजपा के साथ आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काम करना चाहते हैं तो उनका स्वागत है. भूपेंद्र चौधरी के इस कथन के बाद एक बार फिर यूपी में जयंत चौधरी का समाजवादी पार्टी (सपा) से नाता तोड़ने की चर्चा होने लगी है.
फिलहाल जयंत चौधरी ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के कथन पर कोई जवाब नहीं दिया है. वही आरएलडी के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा है कि भाजपा के नेता भ्रम फैलाने के लिए बयानबाजी कर रहे हैं. सपा के साथ आरएलडी का गठबंधन पहले ही तरह मजबूत है. आरएलडी नेताओं की इस सफाई के बाद भी भूपेंद्र चौधरी के कथन को गंभीरता के लिया जा रहा है.
कहा जा रहा कि कोई सीनियर नेता बिलावजह ही किसी को ऐसा निमंत्रण नहीं देता. बीते विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने आरएलडी को अपने साथ जोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन तब बात नहीं बनी थी. इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को पश्चिम यूपी में कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था.
ऐसे में भाजपा के नेता चाहते हैं कि लोकसभा चुनावों के पहले आरएलडी से चुनावी गठबंधन हो जाए. लेकिन आरएलडी के मुखिया जयंत चौधरी भाजपा के साथ गठबंधन करने को लगातार मना कर रहे हैं. इसके बाद भी भाजपा के नेता उन्हें मनाने में लगे हैं. जयंत चौधरी बीते छह वर्षों से अखिलेश यादव के साथ हैं.
उनके पिता चौधरी अजीत सिंह ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के पहले सपा से चुनावी गठबंधन का फैसला किया था. और जयंत चौधरी आज भी अपने पिता के फैसले पर कायम हैं. लेकिन जयंत को लेकर तरह तरह की खबरें आ रही हैं. चर्चा है कि वह भाजपा के साथ जा सकते हैं. कुछ लोग तो 18 जुलाई को दिल्ली में होने वाली एनडीए की बैठक में उनके शामिल होने की संभावना जता रहे हैं.
उन्हें मोदी सरकार में मंत्री भी बनाया जा सकता है. ऐसी चर्चाओं को आरएलडी के महासचिव अनिल दुबे ने पूरी तरह से अफवाह बताया है. अनिल दुबे का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष यह ऐलान कर चुके हैं कि वह बेंगलुरु में विपक्षी नेताओं की होने वाली बैठक में वे ज़रूर शामिल होंगे. तब उन्हे लेकर हो रही चर्चाओं पर अंकुश लग जाएगा.
सपा के साथ जयंत चौधरी के मन बदलने की चर्चा उनके 23 जून को पटना में हुई मीटिंग में विपक्षी दलों की बैठक में ना शामिल होने की बाद से शुरू हुई थी. हालांकि जयंत चौधरी ने बैठक में ना शामिल हो पाने के बाबत नीतीश कुमार को चिट्ठी लिख कर था कि व्यक्तिगत व्यस्तता के कारण उनका बैठक में आना संभव नहीं है.
इसकी के बाद से यह कहा जाने लगा कि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी मैं पहले जैसे रिश्ते नहीं रहे. फिर यह कहा गया कि दोस्त होने के बावजूद जयंत चौधरी ने तो अखिलेश यादव को ट्वीट कर जन्मदिन की बधाई तक नहीं दी. जबकि मायावती ने अखिलेश को जन्मदिन की बधाई ट्वीट करके दी थी.
ऐसे में कहा गया कि जयंत चौधरी अब अखिलेश यादव से दूरी बना रहे हैं. इसके बाद 6 जुलाई को जयंत चौधरी ने ने ट्वीट किया, खिचड़ी, पुलाव और बिरयानी जो पसंद है खाओ, वैसे चावल खाने ही हैं तो खीर खाओ अब लोग उनके इस ट्वीट का अपने अपने हिसाब से मतलब निकाल रहे हैं.
पूछा जा रहा है कि आख़िर जयंत का इशारा किधर है ! फिलहाल इस के ट्वीट के बाद सोमवार को भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने यह कह दिया कि अगर जयंत चौधरी हमारे साथ आते हैं उनका स्वागत है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के इस कथन पर जयंत के करीबी नेता और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय आरएलडी के भाजपा के साथ गठबंधन की संभावना को मनगढ़ंत कहानी बता रहे हैं.
रामाशीष राय का दावा है कि सपा के साथ गठबंधन में आरएलडी 12 लोकसभा सीटों पर यूपी में चुनाव लड़ेगी. वह यह भी कहते हैं कि भाजपा नेता वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से लेकर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में आरएलडी को अपने साथ जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन पहले भी वह असफल रहे हैं और आगे भी नाकाम रहेंगे.