तुलसीदास जयंती: यहां पहली बार हुए थे तुलसीदास को 'राम दर्शन', आज भी दिखते हैं प्रभु राम के निशान

By मेघना वर्मा | Published: August 17, 2018 09:31 AM2018-08-17T09:31:27+5:302018-08-17T09:31:27+5:30

Tulsidas Jayanti 2018 Special: रामघाट से 2 किमी. की दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनारे जानकी कुण्ड स्थित है। माना जाता है कि जानकी यहां स्नान करती थीं।

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तुलसीदास जयंती: यहां पहली बार हुए थे तुलसीदास को 'राम दर्शन', आज भी दिखते हैं प्रभु राम के निशान

तुलसीदास जी को भगवान राम का दूसरा सबसे बड़ा भक्त कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। तुलसीदास जी प्रभु राम के इतने दीवाने थे कि उनकी एक झलक पाने के लिए किसी भी परीक्षा को पार करने के लिए तैयार थे। उनकी जिन्दगी का हर पल 'राम-नाम' के साथ बीता था। इनके लिए राम का नाम श्वास लेने के बराबर था। श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गोस्वामी तुलसीदास के जन्मोत्सव यानी तुलसीदास जयंती के रूप में मनाया जाता है।

तुलसीदास की इसी जयंती के अवसर पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं उस जगह के बारे में जहां राम दर्शन के लिए गोस्वामी तुलसीदास ने सालों अपना डेरा जमा लिया था। उत्तर प्रदेश का चित्रकूट धाम ही वो जगह है जहां तुलसीदास जीत को राम दर्शन हुए थे। खास बात यह है कि आज भी इस जगह पर करोड़ो भक्त राम दर्शन करने आते हैं। क्या है इस तीर्थस्थल की खासियत आइए हम बताते हैं आपको। 

राम-लक्ष्मण और सीता ने यही बिताया था वनवास

मंदाकिनी नदी के किनारे पर बसा चित्रकूट धाम भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में एक है। उत्तर-प्रदेश के 38.2 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला चित्रकूट प्रकृति सुन्दरता से भरा है। चारों ओर से विन्ध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट के दर्शन को हर साल लोखों लोग आते हैं।

माना जाता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के चौदह वर्षो में ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे। इसी स्थान पर ऋषि अत्री और सती अनसुइया ने ध्यान लगाया था। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनसुइया के घर जन्म लिया था।

जब तुलसीदास को हुए राम और लक्ष्मण के दर्शन

तुलसी दास जी को भगवान राम की भक्ति की प्रेरणा अपनी पत्नी रत्नावली से प्राप्त हुई थी। तुलसी दास भगवान की भक्ति में लीन होकर लोगों को राम कथा सुनाया करते थे। एक बार काशी में रामकथा सुनाते समय इनकी भेंट एक प्रेत से हुई। प्रेत ने इन्हें हनुमान जी से मिलने का उपाय बताया। तुलसीदास जी हनुमान जी को ढूंढते हुए उनके पास पहुंच गए और प्रार्थना करने लगे कि राम के दर्शन करवा दें। 

हनुमान जी ने तुलसी दास जी को बहलाने की बहुत कोशिश की लेकिन जब तुलसीदास नहीं माने तो हनुमान जी ने कहा कि राम के दर्शन चित्रकूट में होंगे। तुलसीदास जी ने चित्रकूट के रामघाट पर अपना डेरा जमा लिया। एक दिन मार्ग में उन्हें दो सुंदर युवक घोड़े पर बैठे नज़र आए, इन्हें देखकर तुलसीदास जी सुध-बुध खो बैठे। जब युवक इनके सामने से चले गए तब हनुमान जी प्रकट हुए और बताया कि यह राम और लक्ष्मण जी थे।

इन जगहों पर भगवान राम और सीता के आज भी दिखते हैं निशां

चित्रकूट आने वाले भक्त यहां की कुछ खास जगहों के दर्शन करने जाते हैं। इन जगहों पर आज भी भगवान राम और सीता से जुड़ी कुछ प्राचीन और अद्भुत चीजें देखने को मिलती है। आप भी अगर चित्रकूट का प्लान बनाएं तो इन जगहों पर जाना बिल्कुल ना भूलें। 

1. कामदगिरी पर्वत

इस पवित्र पर्वत का काफी धार्मिक महत्व है। श्रद्धालु कामदगिरी पर्वत की 5 किमी. की परिक्रमा कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करते हैं। जंगलों से घिरे इस पर्वत के तल पर अनेक मंदिर बने हुए हैं। चित्रकूट के लोकप्रिय कामतानाथ और भरत मिलाप मंदिर भी यहीं स्थित है।

2. चित्रकूट में रामघाट

रामघाट मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट में अनेक धार्मिक क्रियाकलाप चलते रहते हैं। घाट में गेरूआ वस्त्र धारण किए साधु-सन्तों को भजन और कीर्तन करते देख बहुत अच्छा महसूस होता है। शाम को होने वाली यहां की आरती मन को काफी सुकून पहुंचाती है।

3. जानकी कुण्ड

रामघाट से 2 किमी. की दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनारे जानकी कुण्ड स्थित है। जनक पुत्री होने के कारण सीता को जानकी कहा जाता था। माना जाता है कि जानकी यहां स्नान करती थीं। जानकी कुण्ड के समीप ही राम जानकी रघुवीर मंदिर और संकट मोचन मंदिर है।

4. स्फटिक शिला

जानकी कुण्ड से कुछ दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार ही यह शिला स्थित है। माना जाता है कि इस शिला पर सीता के पैरों के निशान मुद्रित हैं। कहा जाता है कि जब वह इस शिला पर खड़ी थीं तो जयंत ने काक रूप धारण कर उन्हें चोंच मारी थी। इस शिला पर राम और सीता बैठकर चित्रकूट की सुन्दरता निहारते थे।

5. गुप्त गोदावरी

नगर से 18 किमी. की दूरी पर गुप्त गोदावरी स्थित हैं। यहां दो गुफाएं हैं। एक गुफा चौड़ी और ऊंची है। प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण इसमें आसानी से नहीं घुसा जा सकता। गुफा के अंत में एक छोटा तालाब है जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है। दूसरी गुफा लंबी और संकरी है जिससे हमेशा पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि इस गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था।

6. हनुमान धारा

पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में हनुमान की एक विशाल मूर्ति है। मूर्ति के सामने तालाब में झरने से पानी गिरता है। कहा जाता है कि यह धारा श्रीराम ने लंका दहन से आए हनुमान के आराम के लिए बनवाई थी। पहाड़ी के शिखर पर ही सीता रसोई है। यहां से चित्रकूट का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है।

English summary :
Tulsidas Jayanti 2018 Special: Tulsidas Ji is called the second famous devotee of Lord Rama.Tulsidas ji was so passionate about Lord Rama that he was ready to pass any situation to get a glimpse of Lord Rama.


Web Title: tulsidas jayanti know more about chitrakoot wherelord ram and sita live in vanvaas

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