पद्मनाभस्वामी मंदिर: कलियुग के पहले दिन हुआ था इसका निर्माण, अनेकों रहस्य छिपे हैं यहां

By मेघना वर्मा | Published: March 28, 2018 01:41 PM2018-03-28T13:41:56+5:302018-03-28T13:41:56+5:30

पद्मनाभस्वामी मंदिर भारतीय वास्तुकला का एक बेजोड़ नमूना है। इस मंदिर के सामने एक बहुत बड़ा सरोवर है, जिसे 'पद्मतीर्थ कुलम' कहते हैं।

Padmanabhaswamy Temple: The mystery behind this temple and its overview | पद्मनाभस्वामी मंदिर: कलियुग के पहले दिन हुआ था इसका निर्माण, अनेकों रहस्य छिपे हैं यहां

पद्मनाभस्वामी मंदिर: कलियुग के पहले दिन हुआ था इसका निर्माण, अनेकों रहस्य छिपे हैं यहां

केरल की खूबसूरती दुनिया भर में प्रसिद्ध है। मुनार हो या केरल का ब्लैक वाटर, पर्यटकों का साल भर भारत के इस राज्य में आना जाना लगा रहता है। सिर्फ हसीं वादियों चलते ही नहीं, बल्कि केरल शहर आलिशान मंदिरों के लिए भी फेमस है। इन्हीं खूबसूरत मंदिरों में से एक है यहां का प्रसिद्ध 'पद्मनाभस्वामी मंदिर'। तिरुवनंतपुरम में स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस विशाल मंदिर से बहुत सारी मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। संस्कृति और साहित्य के संगम इस मंदिर के एक ओर खूबसूरत समुद्र तट हैं और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाड़ियों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य है।

मंदिर की स्थापना

पद्मनाभस्वामी मंदिर का निर्माण राजा मार्तड द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर के पुनर्निर्माण में अनेक महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा गया है। सर्वप्रथम इसकी भव्यता को आधार बनाया गया। मंदिर को विशाल रूप में निर्मित किया गया, जिसमें उसका शिल्प सौंदर्य सभी को प्रभावित करता है। इस भव्य मंदिर का सप्त सोपान स्वरूप अपने शिल्प सौंदर्य से दूर से ही प्रभावित करता है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का उत्‍कृष्‍ट उदाहरण है।

ऐसा है मंदिर के आस-पास का नजारा

पद्मनाभस्वामी मंदिर भारतीय वास्तुकला का एक बेजोड़ नमूना है। इस मंदिर के सामने एक विशाल सरोवर है, जिसे 'पद्मतीर्थ कुलम' कहते हैं। इसी सरोवर में लोग पवित्र स्नान करके मंदिर में दर्शन करने के लिए प्रवेश कर सकते हैं। मंदिर के आसपास बहुत सारी छोटी-छोटी दुकानें भी हैं जहां आपको दीये, फूल, पूजा-आरती का सामान मिल जायेगा। 

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मंदिर में प्रवेश

मंदिर में प्रवेश करते ही आपको अचानक ही शांति का अनुभव होगा। फिल्मों में दिखाए जाने वाले राजा-महाराजा के किले जैसी फीलिंग भी आ सकती है। लेकिन मंदिर की विशाल दीवारें और पत्थर आपको उमस का एहसास भी करा सकती हैं। खैर मंदिर के आगे बढ़ने पर आप दीवारों और हर खिड़कियों या झरोखों में दीये जलते  देखेंगे, हैरानी की बात ये है कि मंदिर के गर्भगृह में एक भी लाइट जलती नहीं दिखाई देती है। सोने से बने तीन विशाल दरवाजों के पीछे आपको सोने की ही बनी शेषनाग पर लेटी भव्य भगवान विष्णु की प्रतिमा दिखाई देगी। तीन दरवाजों को बनाने का सबसे बड़ा कारण यही है कि सिर्फ एक दरवाजे से आपको भगवान विष्णु के दर्शन नहीं हो पाएंगे। पहले द्वार से भगवान विष्णु का मुख एवं सर्प की आकृति के दर्शन होते हैं। दूसरे द्वार से भगवान का मध्यभाग तथा कमल में विराजमान ब्रह्मा के दर्शन होते हैं। तीसरे भाग में भगवान के 'श्री' चरणों के दर्शन होते हैं। 

ये है मंदिर का इतिहास

पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है।  महाभारत में जिक्र आता है कि बलराम इस मंदिर में आए थे और यहां पूजा की थी। बताया जाता है मंदिर की स्थापना पांच हजार साल पहले कलियुग के पहले दिन हुई थी। लेकिन 1733 में त्रावणकोर के राजा मार्तंड वर्मा ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ और केरल शैली का मिला जुला उदाहरण देती है। मंदिर का स्वर्ण जड़ित गोपुरम सात मंजिल का, 35 मीटर ऊंचा है। कई एकड़ में फैले मंदिर परिसर के गलियारे में पत्थरों पर अद्भुत नक्काशी देखने को मिलती है। 

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कलियुग में हुआ था इसका निर्माण

वैसे तो पद्मनाभस्वामी की मूर्ति प्रतिष्‍ठा यहां कब और किसके द्वारा की गई, इसकी निश्‍चित जानकारी के लिए कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता है, लेकिन इतिहासकार एवं शोधकर्ताओं के अनुसार यहां की मूर्ति प्रतिष्‍ठा आज से पांच हजार वर्ष से भी पहले की है। पौराणिक उल्लेख की मानें तो कलियुग की प्रथम तिथि को इस मंदिर की मूर्ति स्थापित की गई थी। परंपरागत जनश्रुति के अनुसार यह मंदिर अतिप्राचीन है। इस मंदिर से संबंधित कई किंवदन्‍तियां हैं। उनमें से एक के अनुसार, जिसकी पुष्‍टि मंदिर में सुरक्षित ताड़-पत्रों पर किये गये अभिलेखों से भी होती है, कि इस मंदिर की मूर्ति-प्रतिष्‍ठा का श्रेय दिवाकर मुनि नामक तुलु ब्राह्मण को जाता है। 

ये हैं मंदिर के अजीबो-गरीब नियम

1. हिन्‍दू धर्म में आस्‍था रखने वाले स्‍त्री-पुरुष स्‍नान के उपरांत ही इस मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं।
2. आप इस मंदिर में शोर-गुल नहीं कर सकते क्यूंकि माना जाता है कि यहां भगवान विष्णु सो रहे हैं। 
3. पुरुष या बालक कुर्ता, शर्ट, टी-शर्ट, कोट आदि पहनकर इस मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते।
4. लुंगी के साथ चाहे तो पुरुष अंगवस्‍त्र धारण कर सकते हैं। लेकिन गर्भगृह के सामने आते ही अंगवस्‍त्र को कमर में लपेटकर बांधना अनिवार्य है।
5. महिलाएं धोती-चोली या साड़ी में ही इस मंदिर के भीतर प्रवेश कर सकती हैं।
6. गर्भगृह के सामने वाले मंडप की शिला पर बैठने की अनुमति किसी को भी नहीं है।

(फोटो- विकिमीडिया, विकिपीडिया, फ्लिकर)

Web Title: Padmanabhaswamy Temple: The mystery behind this temple and its overview

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