चंदेरी साड़ियों का ये है खूबसूरत इतिहास, इन्हीं पर आधारित है फिल्म 'सुई-धागा'
By मेघना वर्मा | Published: March 24, 2018 07:26 AM2018-03-24T07:26:58+5:302018-03-24T07:26:58+5:30
अनुष्का शर्मा और वरुण धवन की 'सुईधागा' फिल्म में चंदेरी शहर की खूबसूरती और चंदेरी साड़ियों को दिखाया गया है।
मध्यप्रदेश का चंदेरी शहर इन दिनों काफी चर्चा में हैं। बॉलीवुड की अपकमिंग फिल्म 'सुईधागा' की शूटिंग इस शहर में ही हो रही हैं। बता दें कि अनुष्का शर्मा और वरुण धवन की इस फिल्म में चंदेरी शहर की खूबसूरती और चंदेरी साड़ियों को दिखाया गया है। आज हम आपको इसी शहर की ख़ूबसूरती के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका इतिहास 11 वीं सदी से जुड़ा है। इस वीकेंड आप भी बना सकते हैं मध्य भारत के इस ऐतिहासिक शहर का ट्रिप प्लान।
महाभारत में मिलता है इतिहास
चंदेरी मध्यप्रदेश के अशोक नगर जिले में स्थित है। आज के दौर में चंदेरी की पहचान यहां की कशीदाकारी और साड़ियों के लिए है। लेकिन चंदेरी का इतिहास भी उतना ही गौरवशाली है जितनी प्रसिद्ध यहांं की कशीदाकारी है। इस ऐतिहासिक शहर का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। 11वीं शताब्दी में यह एक महत्वपूर्ण सैनिक केंद्र था और प्रमुख व्यापारिक मार्ग भी यहीं से होकर गुजरता था। कहा जाता है कि विख्यात संगीतकार बैजू बावरा की कब्र भी यहीं पर है। यहां ऐसी कई एतिहासिक इमारतें हैं, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
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चंदेरी साड़ियों का 500 साल पुराना है इतिहास
चंदेरी साड़ियों के इतिहास की बात करें तो इसके निशान 13 शताब्दी से मिलते हैं। शुरूआती दौर में चंदेरी साड़ियों के बुनकर मुसल्मान हुआ करते थे। 1350 के आस-पास झांसी के कोश्ती बुनकरों ने इसे बुनना शुरू किया। मुगल साम्राज्य के समय चंदेरी का ये व्यापार सबसे ज्यादा बढ़ा। चंदेरी फैब्रिक बनाने के लिए मिलमेड यार्न के इस्तेमाल के बाद तकरीबन अंग्रेज़ मैनचेस्टर से कॉटन यार्न वाया कोलकाता लेकर आए। इससे चंदेरी फैब्रिक का टेक्सचर काफी बदल गया।
इसके बाद 1930 के करीब जब कपड़े के वार्प यानी ताने में जापानी सिल्क और वेफ्ट यानी बाने में कॉटन रखा तो साड़ी की म़जबूती कम हुई। दोनों फैब्रिक्स के धागे आपस में उस तरह नहीं जुड़ सके जैसे पहले जुड़ते थे। यही वजह है कि साड़ी को लंबे समय तक फोल्ड कर रखो तो साड़ी फोल्ड पर से कट जाती है।
चंदेरी में घूमने के लिए है ये खास
चन्देरी किला
बुंदेला राजपूतों द्वारा बनावाया गया यह किला चंदेरी का प्रमुख आकर्षण है। किले के मुख्य द्वार को खूनी दरवाजे के नाम से जाना जाता है।
कोशक महल
इस महल को महमूद खिलजी ने बनवाया था। चार हिस्सों में बंटे इस महल का निर्माण 1445 ईस्वी में किया गया था।
परमेश्वर ताल
बुंदेला राजपूत राजाओं द्वारा बनवाये गए इस ताल के समीप एक मंदिर है।
ईसागढ़
यह चंदेरी से लगभग 45 किलोमीटर दूर है जहां कई खूससूरत मंदिर हैं जो दसवीं शताब्दी की शैली में बनाए गए हैं। यहां एक क्षतिग्रस्त बौद्ध मठ भी देखा जा सकता है।
जामा मस्जिद
यह मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी मस्जिदों में शुमार है।
देवगढ़ किला
देवगढ़ किला चंदेरी से 25 किलोमीटर दूर स्थित है। इस किले में कई जैन मंदिर हैं। जहां कुछ अतिप्राचीम मूर्तियां देखी जा सकती हैं। किले के समीप ही 5वीं शताब्दी का विष्णु दशावतार मंदिर है जो अपनी नक्काशीदार स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है।
कैसे पहुंचें
ग्वालियर यहां से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है जो करीब 227 किलोमीटर दूर स्थित है। निकटतम रेलवे स्टेशन अशोक नगर, ललितपुर हैं। यहां से नियमित अंतराल पर चंदेरी के लिए बसें चलती हैं। इसके अलावा झांसी, ग्वालियर, टीकमगढ़ से भी सड़क मार्ग के जरिए यहां पहुंचा जा सकता है।