दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का निधन हो गया। वह 81 साल की थीं। वह लंबे समय से बीमार चल रही थीं. उनका एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। शीला दीक्षित साल 1998 से 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। उनके नेतृत्व में लगातार तीन बार कांग्रेस ने दिल्ली में सरकार बनाई। वह सबसे लंबे समय (15 साल) तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। Read More
यूसुफ 2001 से 2013 तक दीक्षित के मंत्रिमंडल में शामिल थे। उन्होंने नागरिक एवं खाद्य आपूर्ति और परिवहन जैसे विभाग संभाले थे। एक दिन वह एक ऐसे अधिकारी के संबंध में शीला से बातचीत करने गए, जो काम नहीं करने के लिए जाने जाते थे। ...
रविवार शाम छह बजे तक विभिन्न फाइलों से जारी मुख्य समाचार इस प्रकार हैं :पूरे राजकीय सम्मान से शीला दीक्षित का किया गया अंतिम संस्कारदिल्ली की पूर्व शीला दीक्षित का पूरे राजकीय सम्मान के साथ रविवार को निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। दि9 - गृह ...
शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकीं दीक्षित एक मित्र और एक बड़ी बहन के समान थीं। उनका निधन कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी क्षति है। ...
दिल्ली कांग्रेस प्रमुख के तौर पर शीला दीक्षित का पार्टी कार्यकर्ताओं को आखिरी निर्देश था कि अगर पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच गतिरोध शनिवार को भी खत्म नहीं हो तो वे भाजपा मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करें। कैबिनेट के ...
शीला दीक्षित का कहना था कि दिल्ली की मुख्यमंत्री यह उनका दायित्व है कि वह सभी तक पहुंचे और सभी पक्षों की बात सुने. इसकी वजह यह है कि जब तक वह सभी आवाज को नहीं सुनेंगी उस समय तक उन्हें यह नहीं पता चल पाएगा कि क्या कहीं कुछ गड़बड़ी है. इसी तरह से वह अप ...
वर्ष 2014 के आम चुनाव के नतीजे आ गए थे और मनमोहन सिंह के लिए पूर्व प्रधानमंत्री के तौर पर टाइप-8 के बंगले की तलाश में केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने शुरू कर दी थी. ...
एक नेता ने कहा, ‘‘नेताओं की मौजूदा जमात में कोई भी दीक्षित की लोकप्रियता से मेल नहीं खाता है। तीन कार्यकारी अध्यक्षों हारुन युसूफ, देवेन्द्र यादव और राकेश लिलोठिया क्रमश: वरिष्ठ नेताओं जे पी अग्रवाल, ए के वालिया और सुभाष चोपड़ा से कनिष्ठ है।’’ ...
कांग्रेस ने इस साल लोकसभा चुनाव में जब पूरा जोर लगा दिया था, तो शीला दीक्षित को 81 वर्ष की उम्र में एक बार फिर दिल्ली प्रदेश का अध्यक्ष नियुक्त किया. उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण बहुत अधिक प्रचार नहीं कर सकीं और भाजप ...