साल 2019 में भेजा गया चंद्रयान-2 मिशन पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया था। इसका लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग में असफल रहा था। लेकिन चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर 2019 से चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। ...
पूरा देश चंद्रयान-3 को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफल होते देखना चाहता है। इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम का सीधा प्रसारण 23 अगस्त, 2023 को भारतीय समयानुसार शाम 17:27 बजे शुरू किया जाएगा। ...
चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद अब यह 23 अगस्त को द्रमा पर उतरने का प्रयास करेगा। 18 अगस्त को एलएम ने सफलतापूर्वक एक डीबूस्टिंग ऑपरेशन किया जिससे इसकी कक्षा 113 किमी x 157 किमी तक कम हो गई। ...
चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद अब यह 23 अगस्त को द्रमा पर उतरने का प्रयास करेगा। यहीं से चंद्रयान-2 ऑर्बिटर की भूमिका भी शुरू हो जाएगी। अब चंद्रयान-3 लैंडर को संचार के लिए चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से जोड़ा जाएगा। ...
चंद्रयान-3 को 100 किमी की वृत्ताकार कक्षा में ले जाने के लिए नौ से 17 अगस्त के बीच सिलसिलेवा प्रक्रियाएं अपनाई जानी थीं। इसमें से दो प्रक्रियाएं योजना के अनुसार सफलता पूर्वक अंजाम दी जा चुकी हैं। ...
चंद्रयान-3 को चंद्रमा के करीब लाने के लिए तीन डी-ऑर्बिटिंग कवायद होनी थी जिसमें से दो 9 और 14 अगस्त को सफलतापूर्वक अंजाम दी जा चुकी हैं। आखिरी प्रक्रिया 16 अगस्त को अंजाम दी जाएगी। ...
चंद्रमा के आसपास भारत का यान अकेला नहीं है। फिलहाल चंद्रमा के आस-पास जो अन्य उपग्रह पहले से ही चक्कर काट रहे हैं उनमें नासा के चंद्र टोही ऑर्बिटर (एलआरओ), आर्टेमिस के तहत पुनर्निर्मित नासा के थीमिस मिशन के दो यान और भारत का चंद्रयान -2 भी है। ...
इसरो की दी जानकारी के अनुसार, चंद्रयान-3 चंद्रमा की तीसरी कक्षा में पहुंच गया है। अब यह चांद से महज 1437 किलोमीटर की दूरी पर है। अपडेट के मुताबिक, चंद्रयान-3 174किमी X 1437किमी वाली एक छोटी अंडाकार कक्षा में घूम रहा है। ...