भगत सिंह का जन्म 27/28 सितंबर 1907 को ब्रिटिश कालीन भारत के पंजाब सूबे में सरदार किशन सिंह और विद्यावती के घर हुआ था। भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह स्वतंत्रतासेनानी थे और दोनों ने इसके लिए जेल भी काटी थी। भगत सिंह का पारिवारिक वातावरण देश की स्वतंत्रता के लिए कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित करने वाला था। गदर पार्टी के करतार सिंह सराभा भगत सिंह के आदर्श हुआ करते थे। लाहौर के नेशनल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान भगत सिंह सक्रिय रूप से राजनीति से जुड़ गए। यहीं उनकी अपने सहपाठी सुखदेव से भी दोस्ती हुई जो फांसी के तख्ते तक साथ चली। भगत सिंह मार्च 1926 में नौजवान भारत सभा से जुड़ गये थे। इसी दौरान उनका परिचय हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से भी हुआ जिसके अग्रणी नेता रामप्रसाद बिस्लिम, चंद्रशेखर आजाद और अशफाकउल्लाह खान थे। बाद में इस संगठन का नाम हिंदुस्तानी सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन हुआ जिसके नेता चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह थे। 1928 में साइमन कमीशन के विरोध में प्रदर्शन कर रहे भारतीय स्वतंत्रतासेनानियों के समूह पर ब्रिटिश पुलिस ने निर्मम लाठीचार्ज किया। इस लाठीचार्ज में भारत के अग्रणी नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी। भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव और राजगुरु इत्यीदि ने ब्रिटिश शासन से इस हत्या का बदला देने की ठानी। भारतीय क्रांतिकारियों ने लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार स्कॉट के बजाय सॉन्डर्स नामक ब्रिटिश पुलिस अफसर की हत्या कर दी। इस हत्या के बाद भगत सिंह एवं अन्य भारतीय क्रांतिकारी फरार हो गए। ब्रिटिश पुलिस जब एक-एक कर भारतीय क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करने लगी। इस बीच ब्रिटिश सरकार भारतीय संसद में पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट बिल पेश करने जा रही थी। तो भगत सिंह एवं उनके साथियों ने तय किया कि वो इन औपनिवेशक क्रूरता को बढ़ाने वाले विधेयकों को विरोध करेंगे। आठ अप्रैल 1929 को बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह ने भारतीय संसद में बम फेंककर अपना विरोध जताया। भारतीय क्रांतिकारियों ने जानबूझकर संसद में खाली जगह पर बम फेंका ताकि किसी को किसी तरह का नुकसान न हो। भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने संसद में बगैर किसी प्रतिरोध के गिरफ्तारी दी। ब्रिटिश अदालत ने भगत सिंह पर संसद बम काण्ड के अलावा साॉन्डर्स हत्याकाण्ड के लिए भी मुकदमा चलाया। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर की सेंट्रल जेल में 23 मार्च 1931 को अपने वतन की आजादी के लिए लड़ने की सजा के तौर पर फाँसी दे दी गयी। Read More
पिछली सदी के आखरी वर्षों में इंटरनेट की दुनिया में एक बड़ी घटना हुई जो आज हम सबकी जिंदगी से जुड़ी है। दरअसल 1998 में आज ही के दिन पीएचडी के दो छात्रों ने इंटरनेट सर्च इंजन गूगल की स्थापना की। ...
15 मई का इतिहास: आज के दिन भगत सिंह और राजगुरु के साथ हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर लटकने वाले सुखदेव थापर का जन्म हुआ था। साथ ही आज बॉलीवुड की धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित का जन्मदिन है। पढ़ें आज का इतिहास.. ...
आज का इतिहास: देश में धधकती आजादी की आंच पूरी दुनिया तक पहुंचाने के लिए भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त जैसे आजादी के परवानों ने आठ अप्रैल 1929 को दिल्ली के सेंट्रल एसेंबली हॉल में बम फेंका था। ...
Martyrs' Day 2020 (Shaheed Diwas): 23 मार्च 1931 को आज ही के दिन ब्रिटिश हुकूमत ने लाहौर के जेल में स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटकाया गया था। ...
शहीद दिवस: अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटना है। इन तीनों वीर सपूतों ने साल 1928 में लाहौर में एक ब्रिटिश जूनियर पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की गोली मार दी थी ...
23 मार्च का इतिहास: इस दिन की जब भी बात होती है तो सबसे पहले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की कुर्बानी याद आती है। साथ ही ये दिन कई और अहम घटनाओं का गवाह रहा है। ...
Martyrs' Day 2020 (Shaheed Diwas): 23 मार्च 1931 को लाहौर के जेल में स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटकाया गया था। फांसी पर चढ़ने के पहले तीनों देशभक्तों ने एक-दूसरे को लगे लगाकर इंक़लाब ज़िन्दाबाद के नारे लगाए थे। ...
सत्रह दिसम्बर की तारीख में इतिहास में दर्ज दूसरी बड़ी घटना 1903 की है जब 115 साल पहले 1903 में राइट बंधुओं ऑरविल और विलबर ने उत्तरी कैरोलिना में ‘राइट फ्लायर’ नामक विमान से सफल उड़ान भरी थी। उनका यह विमान 120 फुट की ऊंचाई पर 12 सेकेंड तक उड़ान भर पाय ...