बसंत पंचमी का त्योहार माघ माल के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से माता सरस्वती की पूजा की परंपरा है। साथ ही भगवान विष्णु की भी पूजा कई जगहों पर की जाती है। ये बसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है। उत्तर भारत में इस दिन पीले वस्त्र पहने की भी परंपरा है। Read More
बसंत पंचमी का पीले रंग से विशेष संबंध है. इस दिन पीले वस्त्न धारण करने की परंपरा है, पीला भोजन बनता है, मां सरस्वती को पीले फूल अर्पण किए जाते हैं. ...
मां सरस्वती को पीला रंग प्रिय है इसलिए इसदिन लोग पीले वस्त्र पहनते हैं और पीली चीजों का ही दान भी करते हैं। देवी की पूजा के भोग के लिए भी पीली मिठाईयां, पकवान आदि बनाए जाते हैं। सरस्वती पूजा में पीले मीठे चावल बनाने की परंपरा है। ...
हिन्दू धर्म में वसंत माह का आगमन करने वाला पर्व वसंत पंचमी काफी लोकप्रिय है। इसदिन सभी मां सरस्वती की पूजा करते हैं और पीले वस्त्र धारण करते हैं। पीली वस्तुओं का ही दान करने का महत्व है। ...
9 फरवरी की दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से पंचमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी, जो कि अगले दिन 10 फरवरी की दोपहर 2 बजकर 8 मिनट तक मान्य रहेगी। इस वर्ष पंचमी तिथि रविवार को है, साथ ही रवि सिद्धि योग एवं अबूझ नक्षत्र भी बन रहा है। इसे अत्यंत शुभ माना जा रहा है। ...
इस वर्ष पंचमी तिथि रविवार को है, साथ ही रवि सिद्धि योग एवं अबूझ नक्षत्र भी बन रहा है। इसे अत्यंत शुभ माना जा रहा है। सुबह 6 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक का समय पूजा के लिए शुभ बताया गया है। ...
ब्रज में वसंत पंचमी के दिन मंदिरों में ठाकुरजी को गुलाल अर्पण कर, रसिया, धमार आदि होली गीतों का गायन प्रारम्भ हो जाता है और मंदिरों में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों पर भी गुलाल के छींटे डाले जाते हैं। ...