बसंत पंचमी: सरस्वती पूजा में पीली साड़ी ही क्यों पहनें, जानें इसके दो बड़े कारण
By गुलनीत कौर | Published: February 10, 2019 12:11 PM2019-02-10T12:11:17+5:302019-02-10T12:11:17+5:30
हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। पतझड़ बीत जाने और बसंत ऋतु के आगमन की खुशी में इस पर्व को उत्तर भारत समेत देश के कई क्षेत्रों में मनाया जाता है।
मां सरस्वती की पूजा का दिन बसंत पंचमी कोलकाता में धूमधाम से मनाया जाता है। यूं तो देशभर में हर हिन्दू परिवार द्वारा इसदिन मां सरस्वती की पूजा अथवा व्रत का पालन किया जाता है। इस बार 10 फरवरी, 2019 को बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा है। इसदिन हिन्दू सुबह जल्दी उठकर, स्नान करके पूजा-अर्चना करेंगे।
हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। पतझड़ बीत जाने और बसंत ऋतु के आगमन की खुशी में इस पर्व को उत्तर भारत समेत देश के कई क्षेत्रों में मनाया जाता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार इसीदिन विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती का भी जन्म हुआ था।
इस वजह से बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इसदिन मां सरस्वती की पूजा होती है, लोग व्रत करते हैं। देवी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान जैसे कि दान, हवन आदि कार्य भी किए जाते हैं। इन सभी को शास्त्रीय नियमों को ध्यान में रखकर किया जाता है।
उपरोक्त चीजों के अलावा सरस्वती पूजा या बसंत पंचमी पर पीले वस्त्र पहनने की भी मान्यता होती है। खासतौर से पीली साड़ी। सरस्वती पूजा पंडालों में लड़कियां पीली साड़ी में दिखाई देती हैं। इसके पीछे धार्मिक मान्यताएं हैं। कोलकाता में दुर्गा पूजा के अलावा सरस्वती पूजा पर भी कई पूजा पंडाल अलगे जाते हैं। इन पंडालों में छोटी लड़कियों से लेकर मध्य उम्र की और बूढ़ी महिलाएं भी पीली साड़ी में दिखती हैं।
सरस्वती पूजा पर पीली साड़ी क्यों?
इसके पीछे दो कारण बताए जाते हैं। पहला ये कि बसंत ऋतु आते ही सूखे पत्तों पर पीले फूल उगने लगते हैं। उत्तर भारत के खेतों में उगी फसल भी पककर पीले सुनहरे रंग में परिवर्तित हो जाती है। चारों ओर सुनहरे पीले खेत दिखते हैं। जिन्हें देख दिल खुश हो जाता है।
बसंत ऋतु के आने की खुशी पीले वस्त्र पहनकर दर्शाई जाती है इसलिए महिलाएं इसदिन पारंपरिक पहनावा यानी पीली साड़ी पहनती हैं। मान्यता यह भी है कि मां सरस्वती को पीला रंग अत्यंत प्रिय होता है। इसलिए उन्हें खुश करने के लिए भी पीली साड़ी पहनते हैं।
बसंत पंचमी 2019 तिथि, शुभ मुहूर्त
9 फरवरी की दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से पंचमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी, जो कि अगले दिन 10 फरवरी की दोपहर 2 बजकर 8 मिनट तक मान्य रहेगी। इस वर्ष पंचमी तिथि रविवार को है, साथ ही रवि सिद्धि योग एवं अबूझ नक्षत्र भी बन रहा है। इसे अत्यंत शुभ माना जा रहा है। सुबह 6 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक का समय पूजा के लिए शुभ बताया गया है।
बसंत पंचमी पर क्या करें:
1) बसंत पंचमी पर लोग पीले वस्त्र पहनते हैं और पीली चीजों का ही दान करते हैं
2) चूंकि यह दिन मां सरस्वती से जुड़ा है तो प्रातःकाल देवी की पूजा के बाद दिनभर के उपवास का सांकल भी लिया जाता है
3) ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा, व्रत करने से बुद्धि, विवेक एवं सफलता प्राप्त होती है
4) बसंत पंचमी पर शिक्षा संबंधित वस्तुएं जैसे कि पेन, कॉपी, किताब आदि का भी दान किया जाता है
5) उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में पतंगबाजी करके भी बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है