अभिजीत बनर्जी भारतीय मूल के अर्थशास्त्री हैं जिन्हें वर्ष 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। बनर्जी ने भारत में कलकत्ता विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की। इसके बाद 1988 में उन्होंने हावर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। वर्तमान में वह मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन अंतरराष्ट्रीय प्रोफेसर हैं। बनर्जी ने वर्ष 2003 में डुफ्लो और सेंडिल मुल्लाइनाथन के साथ मिलकर अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लैब (जे-पाल) की स्थापना की। वह प्रयोगशाला के निदेशकों में से एक हैं। Read More
अभिजीत के बारे में कहा जाता है कि विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान वह किसी छात्र संगठन के सदस्य नहीं बने लेकिन अपनी बात रखने से कभी पीछे नहीं हटते थे। ...
सेंटर फॉर इकोनॉमिक स्टडीज एंड प्लानिंग में बनर्जी को पढ़ाने वाले अंजन मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने अपने पूर्व छात्र को बधाई देते हुए ईमेल किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने उन्हें एक ईमेल किया है। वह बहुत अच्छे छात्र थे, सर्वश्रेष्ठ छात्रों में से एक। हमे ...
बनर्जी अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में अपनी पत्नी एस्थर के पीएचडी सुपरवाइजर भी रहे हैं। बनर्जी वर्तमान में एमआईटी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं। 1990 में जोशुआ एंगरिस्ट के साथ वह डुफ्लो के पीएच ...
डुफ्लो अर्थशास्त्र का नोबल पाने वाली दूसरी महिला हैं। वहीं वह यह पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की अर्थशास्त्री भी है। नोबेल पुरस्कार के तहत 90 लाख क्रोनर (स्वीडन की मुद्रा) यानी 9,18,000 डॉलर का नकद पुरस्कार, एक स्वर्ण पदक और एक प्रशस्ति पत्र दिया ...
इसी साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने न्यूनतम आय योजना (NYAY) स्कीम का वादा किया था। इसके तहत भारत के 20 प्रतिशत गरीब परिवारों को सालाना 72000 रुपये देने की बात कही गई थी। ...