देश में शरणार्थियों के मुद्दे का 'फैक्चुअल पोस्टमॉर्टम' है नई डॉक्युमेंट्री 'फुटलूज: ए स्टोरी ऑफ बिलॉन्गिंग'

By रजनीश | Published: July 22, 2020 03:26 PM2020-07-22T15:26:17+5:302020-07-22T15:26:17+5:30

डॉक्युमेंट्री 'फुटलूज: ए स्टोरी ऑफ बिलॉन्गिंग' पिछले कुछ समय में देश के सबसे अधिक चर्चा वाले मुद्दों जैसे- शाहीन बाग, CAA, NRC, दिल्ली दंगे का 'फैक्चुअल पोस्टमॉर्टम' भी है। 

footloose a story of belongings review world refugee day pakistan myanmar caa nrc delhi riots | देश में शरणार्थियों के मुद्दे का 'फैक्चुअल पोस्टमॉर्टम' है नई डॉक्युमेंट्री 'फुटलूज: ए स्टोरी ऑफ बिलॉन्गिंग'

डॉक्युमेंट्री 'फुटलूज: ए स्टोरी ऑफ बिलॉन्गिंग' का पोस्टर

Highlightsडॉक्युमेंट्री शरणार्थियों से जुड़े कई पहलूओं को कुरेदती हुई आगे बढ़ती है जो आपको सोचने पर मजबूर कर देते हैं।डॉक्युमेंट्री में दर्शाया गया है कि कैसे एक कानून (CAA) आने के बाद पाकिस्तानी शरणार्थी हिंदुओं के कैंप में खुशी का माहौल होता है और रोहिंग्या मुस्लिम कैंप में भय और डर का।

शरणार्थी वे होते हैं जिनसे रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत जरूरतों के साथ-साथ उनका देश भी छीन लिया गया हो। शरणार्थियों के दर्द का अनुभव शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। भारत में भी पिछले काफी समय से देश में राजनीति का केंद्र या कहें कि केंद्र की राजनीति शरणार्थियों पर आधारित रही है। इसमें पाकिस्तानी हिंदू और रोंहिग्या मुस्लिम शामिल रहे। केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू किया और शरणार्थियों को दी जाने वाली भारतीय नागरिकता को धर्म के आधार पर बांट दिया।

किन-किन हालातों और परिस्थितियों में रहकर दो देशों (पाकिस्तान और बर्मा) से आए शरणार्थी (पाकिस्तानी हिंदू और रोहिंग्या मुस्लिम) भारत में अपना जीवन यापन कर रहे हैं और कैसे देश, धर्म के आधार पर दोनों शरणार्थियों में भेदभाव हो रहा है। इसको अच्छे से दर्शाती है एक नई डॉक्युमेंट्री 'फुटलूज: ए स्टोरी ऑफ बिलॉन्गिंग्स'। इसे निर्देशित किया है गुलशन सिंह ने और इसके रिसर्च का काम किया है रोहित उपाध्याय ने। 

1 घंटे 33 मिनट की इस डॉक्युमेंट्री में देश के शरणार्थियों से जुड़े हर पहलू को अच्छे से दिखाया गया है। मसलन उन्हें यहां रहने में आने वाली दिक्कतें, पिछले देशों (पाकिस्तान और बर्मा) में झेले गए अत्याचारों, दोनों शरणार्थियों में धर्म और देश के आधार पर होने वाले भेदभाव। डॉक्युमेंट्री में दर्शाया गया है कि कैसे एक कानून (CAA) आने के बाद पाकिस्तानी शरणार्थी हिंदुओं के कैंप में खुशी का माहौल होता है और रोहिंग्या मुस्लिम कैंप में भय और डर का। यह डॉक्युमेंट्री पिछले कुछ समय में देश के सबसे अधिक चर्चा वाले मुद्दों जैसे- शाहीन बाग, CAA, NRC, दिल्ली दंगे का 'फैक्चुअल पोस्टमॉर्टम' भी है। 

यह शरणार्थियों से जुड़े कई पहलूओं को कुरेदती हुई आगे बढ़ती है जो आपको सोचने पर मजबूर कर देते हैं। इसमें दिखाया गया है कि कैसे समान दर्द और तिरस्कार झेलकर भारत आए शरणार्थियों के साथ लोग और सरकार कैसे दोहरा रवैया अपनाते हैं। डॉक्युमेंट्री में दिखाए गए विजुअल्स आपको इमोशनल कर देंगे। जैसे- एक जगह पर बाइट देने वाला शख्स भी रोने लगता है। ऐसे सीन देखकर आप उनका थोड़ा दर्द महसूस कर पाएंगे। इसके अलावा इसका बैकग्राउंड म्यूजिक डॉक्युमेंट्री में जान डालने का काम करता है। एडिटिंग के लेवल पर थोड़ा और अच्छा काम हो सकता था।

क्यों देखें: शरणार्थियों के मामले और उनके दर्द को अच्छे से महसूस करने और CAA कानून सहित बाकी मुद्दों की महीन परतें समझने के लिए जरूर देखें। यह डॉक्युमेंट्री इस मुद्दे पर 1.30 घंटे का एक पर्फेक्ट पैकेज है जो आपको बांधे रखती है।

Web Title: footloose a story of belongings review world refugee day pakistan myanmar caa nrc delhi riots

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