रेवंत रेड्डी ने 11 कैबिनेट मंत्रियों के साथ संभाली कमान, जानिए नई सरकार के मंत्रियों के बारे में, कौन हैं वे?
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 7, 2023 02:25 PM2023-12-07T14:25:23+5:302023-12-07T14:31:11+5:30
तेलंगाना के पहले और लगातार दो बार के मुख्यमंत्री रहे के चंद्रशेखर राव को हराकर कांग्रेस का परचम लहराने वाले रेवंत रेड्डी ने आज दोपहर को बतौर मुख्यमंत्री पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के साथ कांग्रेस के 11 वरिष्ठ नेताओं को मंत्री बनाया गया है।
हैदराबाद: तेलंगाना की सत्ता के सिंहासन पर गुरुवार को कांग्रेस पार्टी विराजमान हो गई। तेलंगाना के पहले और लगातार दो बार के मुख्यमंत्री रहे के चंद्रशेखर राव को हराकर कांग्रेस का परचम लहराने वाले रेवंत रेड्डी ने आज दोपहर को बतौर मुख्यमंत्री पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।
राजधानी हैदराबाद के एलबी स्टेडियम में हुए भव्य समारोह में 54 साल के रेवंत रेड्डी ने अपने ग्यारह अन्य सहयोगियों के साथ शपथ ली। जिनमें मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल मल्लू भट्टी विक्रमार्क भी शामिल थे। जिन्होंने कांग्रेस पार्टी ने रेड्डी की कमान का डिप्टी सीएम नियुक्त किया है।
समाचार वेबसाइट एनडीटीवी के मुताबिक इस मौके पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस के विभिन्न राज्य प्रमुखों ने हिस्सा लिया।
वहीं विकाराबाद विधानसभा सीट से जीतने वाले गद्दाम प्रसाद कुमार को पार्टी ने तेलंगाना का अध्यक्ष बनाया है।
अब बात करते हैं मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के साथ शपथ लेने वाले 11 मंत्रियों की। यहां हम सिलसिलेवार तरीके से बता रहे हैं कि तेलंगाना की रेड्डी सरकार में कौन-कौन कांग्रेस के नेता मंत्री बने हैं।
मल्लू भट्टी विक्रमार्क: यह रेवंत रेड्डी के मुकाबले सीएम पद की रेस में शामिल थे। कांग्रेस के दिग्गज नेता विक्रमार्क पिछली विधानसभा में नेता विपक्ष रहे हैं। वह अनुसूचित जाति के माला समुदाय से आते हैं। इन्होंने खम्मम जिले में कांग्रेस को 12 में से 11 सीटें दिलाईं हैं।
उत्तम कुमार रेड्डी: मुख्यमंत्री की दौड़ में तीसरे कांग्रेस नेता और रेवंत रेड्डी से पहले तेलंगाना कांग्रेस की कमान इन्हीं के हाथों में थी। उत्तम कुमार रेड्डी अब तक अब सात बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। चुनाव से पहले वो तेलंगाना के नलगोंडा से पार्टी के लोकसभा सांसद थे। रेड्डी ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया है क्योंकि विधायक बनने के लिए उन्हें वो सीट छोड़नी ही थी।
श्रीधर बाबू: कांग्रेस के वफादार सिपाही, वह चुनाव के लिए बनी पार्टी की घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष थे। बाबू ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। वह अविभाजित आंध्र प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की ओर से विधायक रहे हैं और संयुक्त आंध्र सरकार में नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रहे हैं। बाबू ने विधायक के रूप में पांचवीं बार चुनाव जीता है।
पोन्नम प्रभाकर: छात्र जीवन से कांग्रेस की राजनीति कर रहे हैं। प्रभाकर करीमनगर के पूर्व लोकसभा सांसद हैं। उन्होंने 2009 में यह सीट जीती थी, जो पहले तेलंगाना के निवर्तमान मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव के पास थी लेकिन 2014 में बीआरएस के बीवी कुमार और 2019 में भाजपा के बंदी संजय कुमार ने उन्हें हार दिया था। पिछड़े वर्ग के गौड़ समुदाय से आने वाले प्रभाकर ने हुस्नाबाद सीट जीती है।
कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी: कांग्रेस में तीन दशकों से अधिक समय से सक्रिय । रेड्डी भी कांग्रेस के लोकसभा सांसद थे, जिन्हें इस चुनाव में मैदान में उतरने के लिए और मंत्री बनने के लिए सांसद पद से इस्तीफा दिया है। विक्रमार्क की तरह उन्होंने पार्टी को नलगोंडा में 12 में से 11 सीटें दिलाई हैं।
दामोदर राजा नरसिम्हा: संयुक्त आंध्र प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री रहे नरसिम्हा सूबे के उच्च शिक्षा और कृषि मंत्री रहे हैं। तेलंगाना के मेडक क्षेत्र से आते हैं और दलित समुदाय से संबंध रखते हैं।
पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी: 2014 में आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के टिकट पर खम्मम लोकसभा सीट से चुने गए। साल 2018 में बीआरएस में शामिल हुए और इस चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हो गए।
दाना अनसूया: सीथक्का के नाम से लोकप्रिय दाना अनसूया मुलुगु जिले के एक आदिवासी समुदाय की सदस्य हैं और मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी उन्हें अपनी "बहन" कहते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि अनसूया राजनीति में आने से पहले नक्सली समूह की सदस्य थीं। नक्सल समूह में वह एक युवा लड़की के रूप में शामिल हुईं लेकिन मोहभंग होने के बाद उसे छोड़ दिया। वो राजनीति विज्ञान में पीएचडी के साथ वकील भी हैं। उन्होंने मुलुग विधानसभा सीट से जीत हासिल की है।
थुम्मला नागेश्वर राव: पहले आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के साथ थे। साल 2014 में राव बीआरएस में शामिल होने गये। उससे पहले वो तीन बार विधायक रहे थे। उन्होंने सड़क और भवन मंत्री के रूप में कार्य किया है। इस चुनाव से पहले उन्होंने बीआरएस छोड़ दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए क्योंकि उन्हें टिकट नहीं दिया गया था।
कोंडा सुरेखा: एक अनुभवी तेलंगाना राजनीतिज्ञ सुश्री सुरेखा ने वारंगल (पूर्व) विधानसभा सीट जीती है। वह आठ चुनावी मुकाबलों में केवल दो बार हारी हैं। वह पद्मशाली समुदाय से आती हैं, जिसे पिछड़ा वर्ग के रूप में जाना जाता है।
जुपल्ली कृष्णा राव: साल 1999 से लगातार पांच बार कोल्लापुर विधानसभा सीट के लिए चुने जाने से पहले उन्होंने एक बैंक कर्मचारी के रूप में शुरुआत की। पहला कार्यकाल एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में था और अंतिम दो साल 2012 और 2014 में वह बीआरएस के सदस्य के रूप में कार्य कर रहे थे। साल 2018 में वह कांग्रेस से हार गए थे। वह वेलामा जाति के ताल्लूक रखते हैं।