फोन कॉल, इंटरनेट के लिये न्यूनतम मूल्य तय करने के पक्ष में नीति आयोग के सीईओ, 5 गुना महंगा हो जाएगा डेटा

By भाषा | Published: March 10, 2020 05:53 AM2020-03-10T05:53:01+5:302020-03-10T05:53:01+5:30

कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया ने डेटा की न्यूनतम दर 35 रुपये तथा भारती एयरटेल ने 30 रुपये प्रति जीबी रखने का प्रस्ताव किया है। वहीं रिलायंस जियो चाहती है कि दरों को धीरे-धीरे बढ़ाकर 20 रुपये प्रति जीबी किया जाए।

Set floor price for phone calls, data; No other option for telecom sector NITI Aayog CEO to Trai | फोन कॉल, इंटरनेट के लिये न्यूनतम मूल्य तय करने के पक्ष में नीति आयोग के सीईओ, 5 गुना महंगा हो जाएगा डेटा

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsफिलहाल मोबाइल ग्राहकों को 4 जी डेटा 3.5 रुपये प्रति जीबी की दर से मिल रहा हैं।अगर दूरसंचार कंपनियों की मांग के अनुसार न्यूनतम मूल्य तय कर दिया जाता है, मोबाइल इंटरनेट की दरें 5-10 गुना ऊंची हो जाएंगी।

नई दिल्ली: नीति आयोग के आधिकारिक रुख से अलग आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत मोबाइल कॉल और इंटरनेट की न्यूनतम दरें तय करने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र पर भारी कर्ज और कीमतों में काफी गिरावट को देखते हुए इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

फिलहाल दूरसंचार कंपनियां कॉल और डेटा की दरें तय करने के लिये स्वतंत्र हैं। लेकिन कड़ी प्रतिस्पर्धा को देखते हुए उन्होंने मामले में नियामकीय हस्तक्षेप का आग्रह किया है। फिलहाल मोबाइल ग्राहकों को 4 जी डेटा 3.5 रुपये प्रति जीबी की दर से मिल रहा हैं लेकिन अगर दूरसंचार कंपनियों की मांग के अनुसार न्यूनतम मूल्य तय कर दिया जाता है, मोबाइल इंटरनेट की दरें 5-10 गुना ऊंची हो जाएंगी।

कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया ने डेटा की न्यूनतम दर 35 रुपये तथा भारती एयरटेल ने 30 रुपये प्रति जीबी रखने का प्रस्ताव किया है। वहीं रिलायंस जियो चाहती है कि दरों को धीरे-धीरे बढ़ाकर 20 रुपये प्रति जीबी किया जाए। कांत ने दूरसंचार नियामक ट्राई को चार मार्च को लिखे पत्र में कहा, ‘‘हम इस बात पर जोर देना चाहेंगे कि न्यूनतम मूल्य तय किया जाना समय की जरूरत है ताकि क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिये अधिक कंपनियां बनी रहे।

क्षेत्र के समक्ष भारी कर्ज तथा कीमतों में हाल की गिरावट टिकाऊ स्तर से नीचे आ गयी है। ऐसे में न्यूनतम मूल्य तय करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचता।’’ कांत का पत्र सामने आने से पहले नीति आयोग ने आधिकारिक रूप से इस प्रस्ताव को लेकर सवाल उठाया था। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) कॉल और डेटा के लिये उद्योग की न्यूनतम मूल्य नियत किये जाने की मांग को लेकर संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श कर रहा है।

नीति आयोग में संयुक्त सचिव अर्चना जी गुलाटी ने परामर्श प्रक्रिया के दौरान टिप्पणी देने के अंतिम दिन 28 फरवरी को न्यूनतम मूल्य तय किये जाने के प्रस्ताव को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि इसके क्रियान्वयन से नई कंपनियों के लिये क्षेत्र में आने में बाधा उप्तन्न हो सकती है और ग्राहकों को प्रतिस्पर्धा का लाभ नहीं मिलेगा।

गुलाटी ने सुझाव दिया था कि अगर दूरसंचार कंपनियों के वित्तीय दबाव के समाधान लिये न्यूनतम मूल्य नियत किये जाने को अनिवार्य समझा जाता है तो यह बेहद अल्पकालीन पहल होनी चाहिए और इसे लागू करने के बाद तीन महीने के भीतर समीक्षा की जानी चाहिए।

हालांकि कांत ने कहा कि न्यूनतम मूल्य तबतक के लिये किया जा सकता है जबतक क्षेत्र पूरी तरह से संकट से पार नहीं पा लेता। वोडाफोन आइडिया ने बयान में कहा कि उसे आय स्तर फिर से प्राप्त करने के लिये तीन साल का समय लगेगा। प्रतिस्पर्धा आयोग ने अपने सुझाव में कहा है कि मोबाइल सेवाओं के लिये न्यूनतम मूल्य तय किये जाना प्रतिगामी कदम होगा और बाजार प्रतिस्पर्धा के लिये नुकसानदायक हो सकता है।

Web Title: Set floor price for phone calls, data; No other option for telecom sector NITI Aayog CEO to Trai

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