नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम जैसे प्लेटफॉर्म पर मूवी और सीरीज देखने की है आदत तो हो जाएं अलर्ट, खतरे में है आपका डेटा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 29, 2019 03:20 PM2019-10-29T15:20:45+5:302019-10-29T15:20:45+5:30

हाल ही में विज्ञापने से जुड़े एक खेल का खुलासा हुआ है जिसके चलते एपल ने गुजरात की एक कंपनी के 17 एप्स को अपने एप स्टोर से हटा दिया। ये ऐसे एप थे जिन्हें यूजर ने अगर एक बार डाउनलोड कर लिया तो फिर ये ऑटोमैटिक यूजर के फोन की सेटिंग्स चेंज कर महंगी सर्विस उनके फोन के जरिये सब्सक्राइब कर देते थे।

Binge watching may be putting your data at risk | नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम जैसे प्लेटफॉर्म पर मूवी और सीरीज देखने की है आदत तो हो जाएं अलर्ट, खतरे में है आपका डेटा

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsयूजर्स के ईमेल एड्रेस, स्मार्टफोन और अन्य डिवाइस के सीरियल नंबर को कलेक्ट कर विज्ञापन करने वाली कंपनियों को बेच दिया जाता है।इन्हीं डिटेल्स के जरिये यूजर्स को ट्रैक कंपनियां लोगों को विज्ञापन दिखाती हैं।

देश-दुनिया में लोगों के बीच वीडियो स्ट्रीमिंग का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। इसी को देखते हुये कई बड़ी कंपनियां भी इस फील्ड की तरफ कदम बढ़ा रही हैं। ये कंपनियां अपने कई कंटेंट किसी से शेयर भी नहीं करते जिससे लोगों के बीच उनकी पकड़ कमजोर न होने पाये। लेकिन एक हालिया स्टडी के मुताबिक लगातार स्ट्रीमिंग सर्विसेज पर वीडियो देखने से डेटा प्राइवेसी का खतरा बढ़ रहा है।

मीडिया ग्रुप AT&T, स्ट्रीमिंग डिवाइस सेलर Roku, एडवर्टाइजिंग कंपनी Publicis ने स्ट्रीमिंग सर्विसेज के बैकग्राउंड में ऑपरेट होने वाले सर्विलेंस इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी विस्तार किया है।

दरअसल यूजर्स जब कोई मूवी, वीडियो, शो देख रहे होते हैं उस दौरान उनका ध्यान स्मार्टफोन की स्क्रीन पर होता है। और इसी दौरान ट्रैकिंग टेक्नॉलॉजी के जरिये यूजर हैबिट्स को ट्रैक कर उन्हें उसी से जुड़े विज्ञापन दिखाये जाते हैं। सेंटर फॉर डिजिटल डेमॉक्रेसी के जेफ चेस्टर ने कहा इसे दर्शकों का डेटा इकट्ठा करना की सीरीज कहते हैं। जेफ का कहना है कि स्मार्टफोन या लैपटॉप में वीडियो देखने के दौरान जिन विज्ञापन को यूजर्स स्किप नही करते हैं उसी से जुड़े अन्य प्रॉडक्ट यूजर्स को दिखाये जाते हैं।

जब यूजर किसी प्रॉडक्ट के विज्ञापन को पूरा देख रहा होता है और स्किप नहीं करता तो कंपनियां नोटिस करती हैं। कंपनियां इस बात का अंदाजा लगाती हैं कि यूजर्स की शायद इस प्रॉडक्ट में रुचि है। इसके बाद यूजर्स के ईमेल एड्रेस, स्मार्टफोन और अन्य डिवाइस के सीरियल नंबर को कलेक्ट कर विज्ञापन करने वाली कंपनियों को बेच दिया जाता है। इन्हीं डिटेल्स के जरिये यूजर्स को ट्रैक कंपनियां लोगों को विज्ञापन दिखाती हैं।

हाल ही में आयी कुछ रिसर्च में सामने आया है कि कई बार यूजर अपनी डिटेल छिपाने का प्रयास भी करते हैं इसके बाद भी यूजर्स का डेटा बिना उसकी परमिशन के इकट्ठा कर फेसबुक, गूगल और नेटफ्लिक्स जैसी कंपनियों के साथ शेयर किया जाता है।

हालांकि सभी कंपनियां ऐसा नहीं करती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई वीडियो स्ट्रीमिंग चैनल्स अपने यूजर्स का वॉच पैटर्न किसी से शेयर नहीं करते हैं।

हाल ही में विज्ञापने से जुड़े एक खेल का खुलासा हुआ है जिसके चलते एपल ने गुजरात की एक कंपनी के 17 एप्स को अपने एप स्टोर से हटा दिया। ये ऐसे एप थे जिन्हें यूजर ने अगर एक बार डाउनलोड कर लिया तो फिर ये ऑटोमैटिक यूजर के फोन की सेटिंग्स चेंज कर महंगी सर्विस उनके फोन के जरिये सब्सक्राइब कर देते थे। इसके साथ ही उसमें विज्ञापन का खेल भी चल रहा था जहां पर क्लिक के हिसाब से रेवेन्यू पैदा किया जा रहा था।

Web Title: Binge watching may be putting your data at risk

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