शादी में क्यों लिए जाते हैं 7 फेरे और क्यों होते हैं 7 वचन? जानिए इन अंकों के पीछे की रोचक मान्यता

By मेघना वर्मा | Published: December 14, 2019 09:26 AM2019-12-14T09:26:15+5:302019-12-14T09:26:15+5:30

विवाह में जब तक 7 फेरे नहीं होते वह शादी पूरी नहीं मानी जाती। हर एक फेरा हर एक वचन के लिए लिया जाता है। इस प्रक्रिया को सप्तपदी भी कहते हैं।

why marriage ceremony has a ritual of seven phere know interesting facts about it in hindi | शादी में क्यों लिए जाते हैं 7 फेरे और क्यों होते हैं 7 वचन? जानिए इन अंकों के पीछे की रोचक मान्यता

शादी में क्यों लिए जाते हैं 7 फेरे और क्यों होते हैं 7 वचन? जानिए इन अंकों के पीछे की रोचक मान्यता

Next
Highlightsहिन्दू धर्म में 16 संस्कारों को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। विवाह में जब तक 7 फेरे नहीं होते वह शादी पूरी नहीं मानी जाती।

हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में विवाह संस्कार को बेहद महत्वपूर्ण बताया जाता है। इस संस्कार में दो लोग जिंदगी भर के लिए एक-दूसरे से बंध जाते हैं। माना जाता है कि शादी दो आत्माओं का मिलन होती हैं। जिसमें समाज और अग्नि देव को साक्षी मानकर सात फेरे लिए जाते हैं। शादी में ही सात वचन भी लिए जाते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि शादी में सात फेरे या सात वजन ही क्यों लिए जाते हैं?

इसलिए होते हैं सात फेरे

दरअसल हिन्दू धर्म में 16 संस्कारों को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। विवाह में जब तक 7 फेरे नहीं होते वह शादी पूरी नहीं मानी जाती। हर एक फेरा हर एक वचन के लिए लिया जाता है। इस प्रक्रिया को सप्तपदी भी कहते हैं। इन वचनों और फेरों के साथ पति-पत्नी 7 जन्मों का साथ निभाने का वादा करते हैं। इन 7 फेरों को हिन्दू विवाह की स्थिरता का मुख्य स्तंम्भ माना जाता है। 

भारतीय संस्कृति में संख्या 7 की काफी महत्ता है। ये जीवन का विशिष्ट अंग माना जाता है। संगीत के 7 सुर, इंद्रधनुष के 7 रंग, 7 ग्रह, 7 ऋषि, सप्त लोक, सूरज के 7 घोड़े, सात धातु, 7 तारे, 7 दिन और 7 परिक्रमा का भी उल्लेख मिलता है। सिर्फ यही नहीं दैनिक क्रियाओं में भी सात का अत्यधिक महत्व होता है। सात अभिवादन, सात आतंरिक अशुद्धियां, सात प्रकार के स्नान।

ऊर्जा का केन्द्र हैं नंबर 7

माना जाता है कि हमारे शरीर में 7 ऊर्जा के केन्द्र होते हैं। जिन्हें चक्र कहा जाता है। ये सात चक्र हमारे शरीर से जुड़े हुए हैं। विवाह के समय सप्तपदी नाम के रस्म से इन सात शक्ति केन्द्रों और अस्तित्व की परतों या शरीर के गहनतम रूपों तक तादात्मय बिठाने का विधान रचा जाता है। विवाह करने वाले दोनों ही वर और वधू को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से एक-दूसरे के प्रति समर्पण और विश्वास का भाव निर्मित किया जाता है ।

सात फेरों में पहला फेरा भोजन व्यवस्था के लिए, दूसरा शक्ति, आहार तथा संयम के लिए, तीसरा धन प्रबंधन के लिए, चौथा आत्मिक सुख के लिए, पांचवां पशुधन संपदा के लिए, छटा हर ऋतुओं में सही रहन-सहन के लिए तथा अंतिम सातवें फेरे में पत्नी अपने पति का अनुसरण करते हुए ताउम्र साथ चलने का वचन लेती है।

Web Title: why marriage ceremony has a ritual of seven phere know interesting facts about it in hindi

पूजा पाठ से जुड़ी हिंदी खबरों और देश दुनिया खबरों के लिए यहाँ क्लिक करे. यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा लाइक करे