जानें पूजा में किस देवी-देवता को प्रिय है कौन सा फूल, चढ़ाते वक्त कतई न करें ये 5 गलतियां

By धीरज पाल | Published: January 25, 2018 01:02 PM2018-01-25T13:02:29+5:302018-01-25T13:49:35+5:30

शारदा तिलक नामक पुस्तक में कहा गया है-दैवस्य मस्तकं कुर्यात्कुसुमोपहितं सदा। अर्थात् देवता का मस्तक सदैव पुष्प से सुशोभित रहना चाहिए।

which flower for which god in puja | जानें पूजा में किस देवी-देवता को प्रिय है कौन सा फूल, चढ़ाते वक्त कतई न करें ये 5 गलतियां

जानें पूजा में किस देवी-देवता को प्रिय है कौन सा फूल, चढ़ाते वक्त कतई न करें ये 5 गलतियां

हिंदू धर्म में कर्मकांडों का विशेष महत्व होता है। देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के लिए मंदिरों और घरों में विधिवत कर्मकांड किए जाते हैं। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु पूजन, आरती, धार्मिक अनुष्ठान और प्रसाद चढ़ाते हैं। ये सभी अनुष्ठान कर्मकांड की श्रेणी में आते हैं। मान्यता है कि इनका विधिवत पालन करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। इसलिए हिन्दू धर्म में पूजा करते समय हर सामग्री को अनुष्ठानों के अनुसार ही देवताओं को अर्पित करने का चलन है।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको बताएंगे कि किस देवी-देवता को कैसा पुष्प यानी फूल पसंद है। पूजा करते समय प्रत्येक देवी-देवाओं को अलग-अलग फूल चढ़ाए जाते हैं। माना जाता है कि हर देवी-देवता को एक विशेष फूल प्रिय होता है। इन फूलों का वर्णन विभिन्न धर्म ग्रंथों में मिलता है। आइए जानते हैं कि किस देवता के पूजन में कौन से फूल चढ़ाएं। 

भगवान श्रीगणेश: आचार भूषण ग्रंथ के अनुसार भगवान श्रीगणेश को तुलसीदल को छोड़कर सभी प्रकार के फूल चढाए जा सकते हैं। पद्मपुराण में लिखा है, ‘न तुलस्या गणाधिपम’ अर्थात् तुलसी से गणेश जी की पूजा कभी न करें। गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा है। दूर्वा के ऊपरी हिस्से पर तीन या पांच पत्तियां हों तो बहुत ही उत्तम है।

भगवान शिव:  भगवान शंकर को धतूरे के फूल, हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के फूल चढ़ाने का विधान है। भगवान शिव को केवड़े का पुष्प नहीं चढ़ाया जाता है।

भगवान विष्णु: इन्हें कमल, मौलसिरी, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती के पुष्प विशेष प्रिय हैं। विष्णु भगवान तुलसी दल चढ़ाने से अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। कार्तिक मास में भगवान नारायण केतकी के फूलों से पूजा करने से विशेष रूप से प्रसन्न होते है। लेकिन विष्णु जी पर आक, धतूरा, शिरीष, सहजन, सेमल, कचनार और गूलर आदि।

सूर्य नारायण: इनकी उपासना कुटज के पुष्पों से की जाती है। इसके अलावा कनेर, कमल, चंपा, पलाश, आक, अशोक आदि के पुष्प भी इन्हें प्रिय हैं।

भगवान श्रीकृष्ण: अपने प्रिय पुष्पों का उल्लेख महाभारत में युधिष्ठिर से करते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं- मुझे कुमुद, करवरी, चणक, मालती, पलाश व वनमाला के फूल प्रिय हैं।

भगवती गौरी: शंकर भगवान को चढऩे वाले पुष्प मां भगवती को भी प्रिय हैं। इसके अलावा बेला, सफेद कमल, पलाश, चंपा के फूल भी चढ़ाए जा सकते हैं।

लक्ष्मीजी: मां लक्ष्मी का सबसे अधिक प्रिय पुष्प कमल है। उन्हें पीला फूल चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है। इन्हें लाल गुलाब का फूल भी काफी प्रिय है।

हनुमान जी: इनको लाल पुष्प बहुत प्रिय है। इसलिए इन पर लाल गुलाब, लाल गेंदा आदि के पुष्प चढ़ाए जा सकते है।

माँ काली: इनको अड़हुल का फूल बहुत पसंद है। मान्यता है की  इनको 108 लाल अड़हुल के फूल अर्पित करने से मनोकामना पूर्ण होती है।

माँ दुर्गा: इनको लाल गुलाब या लाल अड़हुल के पुष्प चढ़ाना श्रेष्ठ है।

माँ सरस्वती: विद्या की देवी माँ सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए सफेद या पीले रंग का फूल चढ़ाएं जाते यही।   सफेद गुलाब, सफेद कनेर या फिर पीले गेंदे के फूल से भी मां सरस्वती वहुत प्रसन्न होती हैं।

शनि देव: शनि देव को नीले लाजवन्ती के फूल चढ़ाने चाहिए, इसके अतिरिक्त कोई भी नीले या गहरे रंग के फूल चढ़ाने से शनि देव शीघ्र ही प्रसन्न होते है।

फूल चढ़ाते वक्त इन 5 बातों का रखें ख्याल- 

1. बासी व सूखे फूलों को देवताओं को अर्पित कतई न करें। 

2. चंपा की कली के अलावा किसी भी पुष्प की कली देवताओं को अर्पित नहीं की जानी चाहिए।

3. आमतौर पर फूलों को हाथों में रखकर भगवान को अर्पित किया जाता है। ऐसा नहीं करना चाहिए। फूल चढ़ाने के लिए फूलों को किसी पवित्र पात्र में रखना चाहिए और इसी पात्र में से लेकर देवी-देवताओं को अर्पित करना चाहिए।

4. तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है। इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है।

5. शास्त्रों के अनुसार शिवजी को प्रिय बिल्व पत्र छह माह तक बासी नहीं माने जाते हैं। अत: इन्हें जल छिड़क कर पुन: शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है।

Web Title: which flower for which god in puja

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