Ram Katha: जब श्रीराम से युद्ध करने चल पड़े हनुमान जी, फिर क्या हुआ, पढ़ें रोचक कथा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 8, 2020 12:26 PM2020-02-08T12:26:40+5:302020-02-08T12:26:40+5:30

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक मौका ऐसा भी आया जब हनुमान अपने ही प्रभु श्री राम से लड़ने चल पड़े थे। ये कहानी आपको हैरान कर सकती है लेकिन सच है।

When Lord Hanuman fights with Lord Rama, interesting story of Ramayana period | Ram Katha: जब श्रीराम से युद्ध करने चल पड़े हनुमान जी, फिर क्या हुआ, पढ़ें रोचक कथा

श्रीराम और हनुमान के बीच युद्ध की है रोचक कथा

Highlightsराम और हनुमान जी के बीच लड़ाई से जुड़ी है ये रोचक कथाश्रीराम ने राजा सुकंत को मारने की ली थी सौगंध और हनुमान जी ने बचाने की

हनुमान जी की श्रीराम के प्रति भक्ति से भला कौन नहीं परिचित है। श्रीराम पर कभी कोई आंच नहीं आए इसलिए हनुमान जी ने एक बार माता सीता को सिंदूर लगाते हुए देखकर अपने पूरे शरीर पर भी सिंदूर मल लिया था। अब भला ऐसी भक्ति कहां देखने को मिलती है। हालांकि, क्या आपको पता है कि एक बार हनुमान और श्रीराम में भी युद्ध की नौबत आई गई थी। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक मौका ऐसा भी आया था जब हनुमान अपने ही प्रभु श्री राम से लड़ने चल पड़े थे। ये कहानी आपको हैरान कर सकती है लेकिन ये सच है। श्रीराम की कथा में इस घटना का जिक्र आता है। आईए जानते हैं क्या है ये पूरी कहानी...

श्रीराम से जब लड़ने चल पड़े हनुमान जी

कथा के अनुसार एक बार सुमेरू पर्वत पर सभी संतों की एक सभा का आयोजन हुआ। उस सभा में तब कैवर्त देश के राजा सुकंत भी जा रहे थे। रास्ते में उन्हें देवर्षि नारद मिल गए। नारद जी ने सुकंत से कहा कि वे जिस सभा में जा रहे हैं, वे वहां सभी को प्रणाम करें लेकिन विश्वामित्र का अभिवादन बिल्कुल भी नहीं करें।

सुकंत ने कारण पूछा तो नारद जी ने कहा- 'तुम भी राजा हो वह भी पहले राजा ही थे फिर संत हो गए। इसलिए प्रणाम करने की कोई जरूरत नहीं है।' राजा सुकंत उनकी बात मान गए।

सभा खत्म होने के बाद विश्वामित्र श्री राम के पास पहुंच गये और बताया कि उनका अपमान हुआ है। विश्वामित्र श्रीराम के गुरु थे। इसलिए श्रीराम ने गुरुजी के चरणों की सौगंध खाते हुए कहा कि जिसने भी उनका अपमान किया वे उसका वध कर देंगे। सुकंत को जब श्रीराम के संगंध के बारे में पता चला तो वे महर्षि नारद के पास पहुंच गए।

नारद ने पूरी बात सुन सुकंत को माता अंजनी की शरण में जाने को कहा। साथ ही उन्होंने सुकंत को ये भी कहा कि वे माता अंजनी को नहीं बताएंगे कि नारद ने उन्हें ऐसी सलाह दी है। सुकंत अब माता अंजनी के पास पहुंचे और बताया कि विश्वामित्र उन्हें मरवा डालना चाहते हैं।

अंजनी ने सुकंत को उसके प्राण बचाने का वचन दिया। इसके बाद अंजना माता हनुमान के पहुंची और सुकंत के प्राण बचाने को कहा। हनुमान जी ने भी श्रीराम की सौंगध लेकर वचन दे दिया कि वे सुकंत की जान जरूर बचाएंगे। हनुमान ने इसके बाद सुकंत ने पूछा कि कौन उन्हें मारना चाहता है। 

इस पर सुकंत ने कहा कि श्रीराम ने उन्हें मारने की शपथ ली है। यह सुन अंजना और हनुमान हैरान रह गए। अंजना ने फिर पूछा कि अगर राम मारना चाहते थे तो उन्होंने विश्वामित्र का नाम क्यों लिया। राजा सुकंत ने तब कहा कि विश्वामित्र तो उन्हें मरवा डालना चाहते हैं लेकिन मारेंगे तो श्री राम ही। 

श्रीराम और हनुमान जी की लड़ाई

पूरी बात जानकर हनुमान जी सोच में पड़ गये कि आखिर क्या करें। बहरहाल, वे श्रीराम के पास पहुंचे। श्रीराम ने कहा कि अब वे पीछे नहीं हट सकते क्योंकि उन्होंने अपने गुरु की सौगंध ले रखी है। हनुमान ने तब पूछा कि फिर उनके सौगंध का क्या होगा। इस पर श्रीराम ने हनुमान से कहा कि तुम अपना वचन निभाओ, मैं अपना वचन निभाऊंगा।  

हनुमान जी भी क्या करते। उन्हें अपने वचन को पूरा करना था और श्रीराम की सौगंध की भी लाज रखनी थी। वे सुकंत को लेकर एक पर्वत पर जा पहुंचे और राम नाम का कीर्तन करने लगे। दूसरी ओर राम भी सुकंत को खोजते हुए वहां आ पहुंचे। राम जी को आता देख सुकंत डर गए और हनुमान जी से पूछा कि वह वे क्या करें। हनुमान ने उनसे कहा कि प्रभु राम पर पूरा भरोसा रखो और राम नाम जपो। 

इस बीच राम जी वहां पहुंच गए और सुकंत को देखकर बाण चलाना शुरू किया लेकिन वे हैरान रह गये। राम नाम के जाप के आगे सभी बाण विफल होते चले गए। राम जी को हनुमान की चतुराई समझ में आ गई। वे हनुमान से प्रसन्न होकर उनके पास गए और उनके सिर पर हाथ फेरने लगे।

इस पर हनुमान ने सुकंत भी सामने ला दिया और उन्हें क्षमा कर देने की याचिका की। इस बीच विश्वामित्र भी वहां पहुंचे। राजा सुकंत को अपनी गलति का अहसास हुआ और उन्होंने दौड़कर विश्वामित्र जी का अभिवादन किया।

विश्वामित्र इससे पहले कि कुछ कहते वहां नारद प्रकट हो गए और बता दिया कि ये सबकुछ क्यों हुआ। पूरी बात सुन विश्वामित्र ने आखिर महर्षि नारद से पूछा कि उन्होंने ऐसी सलाह संकुत को क्यों दी। इस पर नारद जी ने जवाब दिया कि हमेशा मैं सुनता था कि राम का नाम श्री राम से भी बड़ा है। इसलिए मैंने सोचा कि असल परीक्षा हो ही जाए ताकि लोग भी समझ लें कि प्रभु के नाम की महिमा प्रभु से अधिक है।

Web Title: When Lord Hanuman fights with Lord Rama, interesting story of Ramayana period

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