पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की घोषणा के बीच ममता बनर्जी का एक सभा में चंडी पाठ करना सुर्खियों में है। ममता ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे हिंदू हैं और उनके साथ हिंदू कार्ड का खेल नहीं चलेगा। उन्होंने ये भी कहा कि वे सुबह चंडी पाठ करके घर से निकलती हैं। इसके बाद करीब तीन मिनट तक ममता बनर्जी ने चंडीपाठ किया।
ममता बनर्जी के इस चंडी पाठ पर विवाद भी शुरू हो गया है। दरअसल टीएमसी से बीजेपी में गए शुवेंदु अधिकारी ने कहा है कि ममता ने गलत मंत्र का पाठ किया है। उन्होंने ममता पर हमला बोलते हुए इसे बंगाल की संस्कृति का अपमान भी बता दिया।
चंडी पाठ पर राजनीति भले ही जारी है, लेकिन क्या आप जानते हैं चंडी पाठ क्या है और हिंदू धर्म में इसका क्या महत्व है। आईए, इस बारे में हम आपको बताते हैं।
Chandipath: चंडी पाठ क्या है और इसका महत्व
चंडी पाठ को दुर्गा सप्तशती या दुर्गा पाठ भी कहा जाता है। ये शक्ति की देवी माता दुर्गा के राक्षस महिषासुर पर जीत की कहानी कहता है। इसमें कुल 700 श्लोक है। साथ ही ये भी जानना जरूर है कि दुर्गा सप्तशती में अध्याय एक से तेरह तक तीन चरित्र विभाग हैं। यह पाठ माता दुर्गा की अराधना का सबसे मुख्य तरीका है।
चंडी पाठ या दुर्गा सप्तशती के छह अंग भी हैं। ये इन तेरह अध्याय को छोड़कर हैं। कवच, कीलक, अर्गला दुर्गा सप्तशती के पहले तीन अंग और प्रधानिकम रहस्यम, वैकृतिकम रहस्यम और मूर्तिरहस्यम आदि तीन रहस्य हैं। इसके अलावा और कई मंत्र भाग है। इन सभी को पूरा करने के बाद ही चंडी पाठ पूरा होता है।
नवरात्रि में इसे विशेष तौर पर कई घरों में पढ़ा जाता है। ऐसी मान्यता है कि चंडी पाठ करने से भय और पापों का नाश होता है। साथ ही संकट से निवारण, शुभ फल मिलते हैं और शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त होती है।
रामायण की कहानी में भी इसका जिक्र जब भगवान राम ने लंकापति रावण से युद्ध की शुरुआत करने से पहले समुद्र तट पर चंडी पाठ किया था।