लाइव न्यूज़ :

Vat Savitri Vrat 2020: कब है 'वट सावित्री व्रत', जानें व्रत कथा और इसका महत्व

By प्रतीक्षा कुकरेती | Updated: May 21, 2020 11:42 IST

मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दिन उपवास और पूजा करने वाली महिलाओं के पति पर आयी संकट टल जाती है और उनकी आयु लंबी होती है, सिर्फ यही नहीं आपकी शादी-शुदा जिंदगी में भी कोई परेशानी चल रही हो तो वो भी सही हो जाती है.

Open in App

हिन्दू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने की अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत मनाया जाता है. इस साल 22 मई को वट सावित्री व्रत मनाया जाएगा.  ये व्रत महिलाएं के लिए बेहद खास होता है.  मान्यता है कि इस दिन उपवास और पूजा करने वाली महिलाओं के पति पर आयी संकट टल जाती है और उनकी आयु लंबी होती है, सिर्फ यही नहीं आपकी शादी-शुदा जिंदगी में भी कोई परेशानी चल रही हो तो वो भी सही हो जाती है. वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. यह व्रत अखंड सौभाग्य, सभी रोगों, कष्टों को नष्ट करने वाला एवं संतान प्राप्ति के लिए अति महत्वपूर्ण है. इस वर्ष रोहिणी नक्षत्र, सोमवती अमावस्या होने के कारण विशेष फलदायी सिद्ध होगा.

क्यों पूजा जाता है बरगद का पेड़

हिन्दू शास्त्र में बरगद के पेड़ को महत्वपूर्ण बताया जाता है. मान्यता है कि बरगद के पेड़ में त्रिदेवों यानी ब्रह्मा,विष्णु और महेश का वास होता है.  वट सावित्री व्रत के दिन विवाहित महिलाएं वट वृक्ष पर जल चढ़ाकर उसमें कुमकुम और अक्षत लगाती हैं। पेड़ में रोली लपेटी जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे ही अपने मृत पति सत्यवान को जीवित किया था. इसलिए इस व्रत का नाम वट सावित्री पड़ा और इसलिए इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। 

वट सावित्री व्रत कथा 

 वट सावित्री व्रत वाले दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का भी विधान है. पौराणिक कथा के अनुसार, अश्वपति नाम का एक राजा था. राजा के घर कन्या के रूप में सावित्री का जन्म हुआ. जब वह विवाह योग्य हुई तो राजा ने अपने मंत्री के साथ सावित्री को अपना पति चुनने के लिए भेज दिया. सावित्री ने अपने मन के अनुकूल वर सत्यवान को चुन लिया. सत्यवान महाराज द्युमत्सेन का पुत्र था, जिनका राज्य हर लिया गया है, जो अंधे हो गए हैं और अपनी पत्नी सहित वनों में रहते थे. 

वहीं जब सावित्री विवाह घर लौटीं तो नारद जी ने अश्वपति को  यह भविष्यवाणी करते हुए कहा कि सत्यवान अल्पायु का है. उसकी जल्द ही मृत्यु हो जाएगी. नारदजी की बात सुनकर राजा अश्वपति ने बेटी सावित्री से किसी अन्य को अपना पति चुनने की सलाह दी, परंतु सावित्री ने उत्तर दिया कि आर्य कन्या होने के नाते जब मैं सत्यवान का वरण कर चुकी हूं तो अब वे चाहे अल्पायु हो या दीर्घायु, मैं किसी अन्य को अपने हृदय में स्थान नहीं दे सकती. इसके बाद अश्वपति  ने सावित्री का विवाह सत्यवान से करा दिया. 

 सावित्री ने नारदजी से सत्यवान की मृत्यु का समय ज्ञात कर लिया. नारदजी द्वारा बताये हुए दिन से तीन दिन पूर्व से ही सावित्री ने उपवास शुरू कर दिया. नारदजी द्वारा निश्चित तिथि को जब सत्यवान लकड़ी काटने जंगल के लिए चला तो सास−ससुर से आज्ञा लेकर वह भी सत्यवान के साथ चल दी.  सत्यवान जंगल में पहुंचकर लकड़ी काटने के लिए वृक्ष पर चढ़ा. वृक्ष पर चढ़ने के बाद उसके सिर में भयंकर पीड़ा होने लगी. वह नीचे उतरा.  सावित्री ने उसे बरगद के पेड़ के नीचे लिटा कर उसका सिर अपनी गोद पर रख लिया. 

देखते ही देखते यमराज सावित्री के सामने स्पष्ट की और सत्यवान के प्राणों को लेकर चल दिये. ('कहीं−कहीं ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि वट वृक्ष के नीचे लेटे हुए सत्यवान को सर्प ने डंस लिया था') सावित्री सत्यवान के शारीर को वट वृक्ष के नीचे ही लिटाकर यमराज के पीछे−पीछे चल दी. पीछे आती हुई सावित्री को यमराज ने उसे लौट जाने का आदेश दिया. इस पर वह बोली महाराज जहां पति वहीं पत्नी। यही धर्म है, यही मर्यादा है.  सावित्री की धर्म निष्ठा से प्रसन्न होकर यमराज बोले कि पति के प्राणों के अतिरिक्त कुछ भी मांग लो.  सावित्री ने यमराज से सास−ससुर के आंखों की ज्योति और दीर्घायु मांगी. यमराज तथास्तु कहकर आगे बढ़ गए. सावित्री यमराज का पीछा करती रही. यमराज ने अपने पीछे आती सावित्री से वापस लौट जाने को कहा तो सावित्री बोली कि पति के बिना नारी के जीवन की कोई सार्थकता नहीं. यमराज ने सावित्री के पति व्रत धर्म से खुश होकर पुनः वरदान मांगने के लिए कहा.  इस बार उसने अपने ससुर का राज्य वापस दिलाने की प्रार्थना की. 

इसके बाद तथास्तु कहकर यमराज आगे चल दिये.  सावित्री अब भी यमराज के पीछे चलती रही. इस बार सावित्री ने यमराज से सौ पुत्रों की मां बनने का वरदान मांगा. तथास्तु कहकर जब यमराज आगे बढ़े तो सावित्री बोली आपने मुझे सौ पुत्रों का वरदान दिया है, पर पति के बिना मैं मां किस प्रकार बन सकती हूं. अपना यह तीसरा वरदान पूरा कीजिए. सावित्री की धर्मिनष्ठा, ज्ञान, विवेक तथा पतिव्रत धर्म की बात जानकर यमराज ने सत्यवान के प्राणों को अपने पाश से स्वतंत्र कर दिया. सावित्री सत्यवान के प्राण को लेकर वट वृक्ष के नीचे पहुंची जहां सत्यवान का मृत शरीर रखा था.  सावित्री ने वट वृक्ष की परिक्रमा की तो सत्यवान जीवित हो उठा. 

वट सावित्री व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्तवट सावित्री व्रत - 22 मई 2020 अमावस्‍या तिथि प्रारंभ: 21 मई 2020 को शाम 09 बजकर 35 मिनट से अमावस्‍या तिथि समाप्‍त: 22 मई 2020 को रात 11 बजकर 08 मिनट तक 

वट सावित्री व्रत पूजा-विधि1. वट सावित्री व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।2. अब व्रत का संकल्प लें।3. 24 बरगद फल, और 24 पूरियां अपने आंचल में रखकर वट वृक्ष के लिए जाएं। 4. 12 पूरियां और 12 बरगद फल वट वृक्ष पर चढ़ा दें। 4. इसके बाद एक लोटा जल चढ़ाएं।5. वृक्ष पर हल्दी, रोली और अक्षत लगाएं।6. फल-मिठाई अर्पित करें। 7. धूप-दीप दान दिखाएँ ।

8. कच्चे सूत को लपेटते हुए 12 बार परिक्रमा करें।9. हर परिक्रमा के बाद भीगा चना चढ़ाते जाएं।9. अब व्रत कथा पढ़ें।10. अब 12 कच्चे धागे वाली माला वृक्ष पर चढ़ाएं और दूसरी खुद पहन लें।11. 6 बार इस माला को वृक्ष से बदलें।12. बाद में 11 चने और वट वृक्ष की लाल रंग की कली को पानी से निगलकर अपना व्रत खोलें।

टॅग्स :हिंदू त्योहारवट पूर्णिमा
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठMargashirsha Purnima 2025 Date: कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा? जानिए तिथि, दान- स्नान का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और महत्व

पूजा पाठDecember Vrat Tyohar 2025 List: गीता जयंती, खरमास, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, दिसंबर में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

पूजा पाठVivah Panchami 2025: विवाह पंचमी 25 नवंबर को, वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ाने के लिए इस दिन करें ये 4 महाउपाय

भारतदरगाह, मंदिर और गुरुद्वारे में मत्था टेका?, बिहार मतगणना से पहले धार्मिक स्थल पहुंचे नीतीश कुमार, एग्जिट पोल रुझान पर क्या बोले मुख्यमंत्री

पूजा पाठKartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा आज, जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार