Vat Savitri Vrat 2020: कब है वट सावित्री व्रत? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

By मेघना वर्मा | Published: May 3, 2020 09:10 AM2020-05-03T09:10:27+5:302020-05-21T11:43:32+5:30

वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती हैं।

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Vat Savitri Vrat 2020: कब है वट सावित्री व्रत? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Highlightsहिन्दू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि पर सावित्री व्रत रखने का विधान है। वट सावित्री व्रत वाले दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है।

हिन्दू धर्म में बरगद क पेड़ की पूजा की जाती है। इसके लिए साल में एक बार वट सावित्री व्रत रखा जाता है। ये व्रत स्त्रियों के लिए खास बताया जाता है। मान्यता है कि इस दिन उपवास और पूजा करने वाली महिलाओं के पति पर आयी संकट टल जाती है और उनकी आयु लंबी होती है। सिर्फ यही नहीं आपकी शादी-शुदा जिंदगी में भी कोई परेशानी चल रही हो तो वो भी सही हो जाती है। 

वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती हैं। मान्यता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापिस ले आई थी। इसलिए वट सावित्री व्रत वाले दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है। आइए आपको बताते हैं इस साल कब पड़ रहा है वट सावित्री व्रत-

कब है वट सावित्री व्रत?

हिन्दू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि पर सावित्री व्रत रखने का विधान है। स्कंद और भविष्योत्तर पुराण में भी ये व्रत उसी दिन करने का विधान है। वहीं निर्णयामृत ग्रंथों के अनुसार वट सावित्री व्रत की पूजा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अमावस्या पर की जानी चाहिए। उत्तर भारत की बात करें तो यहां वट सावत्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को ही किया जाता है। 

वट सावित्री व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त

वट सावित्री व्रत - 22 मई 2020 
अमावस्‍या तिथि प्रारंभ: 21 मई 2020 को शाम 09 बजकर 35 मिनट से 
अमावस्‍या तिथि समाप्‍त: 22 मई 2020 को रात 11 बजकर 08 मिनट तक 

वट सावित्री व्रत पूजा-विधि

1. वट सावित्री व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. अब व्रत का संकल्प लें।
3. 24 बरगद फल, और 24 पूरियां अपने आंचल में रखकर वट वृक्ष के लिए जाएं। 


4. 12 पूरियां और 12 बरगद फल वट वृक्ष पर चढ़ा दें। 
5. इसके बाद एक लोटा जल चढ़ाएं।
6. वृक्ष पर हल्दी, रोली और अक्षत लगाएं।
7. फल-मिठाई अर्पित करें। 
7. धूप-दीप दान करें।
7. कच्चे सूत को लपेटते हुए 12 बार परिक्रमा करें।
8. हर परिक्रमा के बाद भीगा चना चढ़ाते जाएं।
9. अब व्रत कथा पढ़ें।
10. अब 12 कच्चे धागे वाली माला वृक्ष पर चढ़ाएं और दूसरी खुद पहन लें।
11. 6 बार इस माला को वृक्ष से बदलें।
12. बाद में 11 चने और वट वृक्ष की लाल रंग की कली को पानी से निगलकर अपना व्रत खोलें।

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