Vat Purnima Vrat 2020: कल है वट पूर्णिमा व्रत, पति की लम्बी उम्र के लिए महिलाएं रखेंगी व्रत-जानें पूजा विधि

By मेघना वर्मा | Published: June 4, 2020 10:34 AM2020-06-04T10:34:32+5:302020-06-04T10:34:32+5:30

वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती हैं। मान्यता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापिस ले आई थी।

vat savitri vat purnima 2020 date time importance significanc shubh muhurat puja vidhi in hindi | Vat Purnima Vrat 2020: कल है वट पूर्णिमा व्रत, पति की लम्बी उम्र के लिए महिलाएं रखेंगी व्रत-जानें पूजा विधि

Vat Purnima Vrat 2020: कल है वट पूर्णिमा व्रत, पति की लम्बी उम्र के लिए महिलाएं रखेंगी व्रत-जानें पूजा विधि

Highlightsवट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती हैं। महिलाएं बरगद क पेड़ की पूजा करती हैं।

हिन्दू पंचाग के अनुसार कुछ ही दिनों पहले ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि पर विवाहित महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत रखा था।  स्कंद और भविष्योत्तर पुराण में भी ये व्रत उसी दिन करने का विधान है। मगर  निर्णयामृत ग्रंथों के अनुसार वट सावित्री व्रत की पूजा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अमावस्या पर की जानी चाहिए।

ज्येष्ठ पक्ष की पूर्णिमा कल यानी 5 जून को पड़ रहा है। इस दिन भी महिलाएं वट सावित्री का व्रत करेंगी। जिसमें महिलाएं बरगद क पेड़ की पूजा करती हैं। ये व्रत स्त्रियों के लिए खास बताया जाता है। मान्यता है कि इस दिन उपवास और पूजा करने वाली महिलाओं के पति पर आयी संकट टल जाती है और उनकी आयु लंबी होती है।

कब है वट पू्र्णिमा व्रत

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - जून 05, 2020 को 03:15 AM बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - जून 06, 2020 को 12:41 AM बजे

वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती हैं। मान्यता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापिस ले आई थी। इसलिए वट सावित्री व्रत वाले दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है। आइए आपको बताते हैं इस साल कब पड़ रहा है वट सावित्री व्रत-

वट सावित्री व्रत पूजा-विधि

1. वट सावित्री व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. अब व्रत का संकल्प लें।
3. 24 बरगद फल, और 24 पूरियां अपने आंचल में रखकर वट वृक्ष के लिए जाएं। 
4. 12 पूरियां और 12 बरगद फल वट वृक्ष पर चढ़ा दें। 
5. इसके बाद एक लोटा जल चढ़ाएं।
6. वृक्ष पर हल्दी, रोली और अक्षत लगाएं।
7. फल-मिठाई अर्पित करें। 
7. धूप-दीप दान करें।
7. कच्चे सूत को लपेटते हुए 12 बार परिक्रमा करें।
8. हर परिक्रमा के बाद भीगा चना चढ़ाते जाएं।
9. अब व्रत कथा पढ़ें।
10. अब 12 कच्चे धागे वाली माला वृक्ष पर चढ़ाएं और दूसरी खुद पहन लें।
11. 6 बार इस माला को वृक्ष से बदलें।
12. बाद में 11 चने और वट वृक्ष की लाल रंग की कली को पानी से निगलकर अपना व्रत खोलें।

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