Valmiki Jayanti 2021: वाल्मीकि जयंती 20 को, जानें शुभ मुहूर्त और इस पर्व का महत्व
By रुस्तम राणा | Published: October 18, 2021 07:15 AM2021-10-18T07:15:52+5:302021-10-18T07:28:09+5:30
धार्मिक मान्यता के अनुसार, महर्षि वाल्मीकि का जन्म आश्विन पूर्णिमा के दिन हुआ था। उनका जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के यहां माना जाता है।
वाल्मीकि जयंती हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है। इस साल वाल्मीकि जयंती 20 अक्टूबर को मनायी जाएगी। पूरे देश में 'आदिकवि' महर्षि वाल्मीकि जयंती को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। वाल्मीकि जयंती देश भर में धूम-धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस मौके पर मंदिरों में पूजा-अर्चना कर वाल्मीकि जी की विशेष आरती की जाती है। साथ ही शोभा यात्रा भी निकाली जाती है, जिसमें लोग बड़े उत्साह से भाग लेते हैं।
वाल्मीकि जयंती का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि शुरू - 19 अक्टूबर को शाम 7 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 20 अक्टूबर को रात 8:20 बजे तक
महर्षि वाल्मीकि के नाम के विषय में भी कहा जाता है कि एक बार महर्षि वाल्मीकि ध्यान में मग्न थे। तब उनके पूरे शरीर को दीमकों ने घर लिया था। साधना पूर्ण होने के बाद वे दीमक को हटा कर बाहर निकले थे। दीमकों के घर को वाल्मीकि कहा जाता है। रामायण काल में ऐसा वर्णन आता है कि जब प्रभु श्रीराम ने माता सीता का त्याग कर दिया था, तब मां सीता ने वाल्मीकि जी के आश्रम में शरण ली थी। यहीं पर उन्होंने लव-कुश को जन्म दिया।
कहते हैं वाल्मीकि जी का नाम पहले रत्नाकर था। वे गलत कार्यों में लिप्त थे। जब उन्हें ये पता चला कि वह गलत मार्ग पर हैं तो उन्होंने गलत कामों को छोड़ने का फैसला किया और नया रास्ता अपनाने का मन बना लिया। इसकी सलाह उन्होंने देवर्षि नारद जी से सलाह सी थी तब उन्होंने राम नाम का जाप करने के लिए कहा। वो प्रभु में मग्न हो एक तपस्वी के रूप में रहकर ध्यान करने लगे। बह्मा जी उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हें ज्ञान दिया जिससे उन्हें रामायण लिखी।