संकटमोचन हनुमान और शनि देव दोनों भगवान शिव के रूप माने जाते हैं और दोनों देवों की पूजा मंगलवार और शनिवार को किया जाता है। लेकिन दोनों में ही देवों में बड़ा अंतर है। स्कंदपुराण के काशीखंड के मुताबिक शनिदेव का जन्म सूर्यदेव और संवर्णा के मिलन से हुआ है और भगवान हनुमान का जन्म पवन देव से हुआ है।
शनिदेव और हनुमान में संबंध
किंवदंती के मुताबिक जब हनुमान जी के गुरु सूर्य देव थे। अपनी शिक्षा पूरी कर ली तो अपने गुरु सूर्य भगवान से गुरु दक्षिणा लेने की बात कही। देव सूर्य ने हनुमान जी से कहा कि मेरा पुत्र शनि देव मेरे आज्ञाओं का पालन नहीं करता है। यदि तुम उसे मेरे पास ला दो तो मैं उसे ही गुरु दक्षिणा समझूंगा। हनुमान जी ने सूर्य देवता की बात मानकर शनि देव को लाने चले गए। हनुमान के लाख मनाने से शनिदेव नहीं माने। दोनों के बीच जमकर युद्ध हुआ। युद्ध में शनिदेव बुरी तरह घायल हो गए। इसके बाद हनुमान ने शनिदेव को तेल लगाने के लिए दिया, जिससे उनका दर्द गायब हो गया। उसके बाद हनुमान जी ने शनि देव को पकड़कर सूर्य देव के पास ले गए।
कुछ ऐसी बाते हैं जो शनि देव और हनुमान में अंतर बतलाती हैं
1. हनुमान जी बेहद शांत स्वभाव के थे। 2. शनि देव में अंहकार था। 3. हनुमान जी निस्वार्थ का प्रतीक हैं।4. शनिदेव में स्वार्थ झलकता था।5. हनुमान जी विनम्रत स्वभाव के थे ।6. शनि देव क्रोधित प्रवृति के थे।
शनिवार को नहीं होता है तेल का व्यवसाय
इसी कारण से शनिवार को शनिदेव को तेल चढ़ाया जाता है। इस दिन तेल चढ़ाने से मनोकामना पूरी हो जाती है। इसके साथ शनिवार के दिन तेल का व्यवसाय करना अशुभ माना जाता है।