कार्तिक का महीना शुरू होते ही तीज-त्योहारों की झड़ी लग जाती है। हिन्दू धर्म के इस महीने में कई त्योहारों और व्रत को मनाया जाता है। इन्हीं व्रतों में से एक है स्कन्द षष्ठी का व्रत। मान्यता है कि इश दिन पूजा करने से लोगों की दरिद्रता दूर हो जाती है। आइए आपको बताते हैं इस साल कब है स्कन्द षष्ठी का व्रत और क्या है इसकी पूजा विधि।
इस साल स्कन्द षष्ठी का व्रत 19 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ उनके पुत्रों गणेश और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। शास्त्रों की मानें तो इस दिन स्कन्द माता की पूजा करने से निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही भक्तों को सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है। स्कन्द षष्ठी का व्रत करने से इंसान के अंदर का लोभ, क्रोध, अहंकार जैसी बुराइयों का अंत भी होता है।
भगवान कार्तिकेय हैं स्कन्द
आपने अभी नवरात्रि में स्कन्द माता की पूजा की होगी। भगवान कार्तिकेय को भी स्कन्द कुमार के नाम से जाना जाता है। दक्षिण भारत में कार्तिकेय भगवान की मूल रूप से पूजा की जाती है। उन्हें दक्षिण भारत में मुरुगन नाम से बुलाया जाता है। मान्यता है कि स्कन्द षष्ठी के दिन इनकी पूजा करने से स्कन्दमाता खुश होती हैं।
क्या है स्कन्द पूजा का महत्व
स्कन्द षष्ठी का व्रत करने और इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से लोगों के बिगड़े काम बनते हैं। बताया जाता है कि इस दिन पूजा के समय दही और सिंदूर को मिलाकर भगवान कार्तिकेय को अर्पित किया जाए तो आने वाले समय में आपके किसी भी काम में अड़चन नहीं आएगी। स्कन्द की पूजा करने से बच्चों को रोग या कोई कष्ट नहीं रहता है।
ये है स्कन्द षष्ठी की पूजा-विधि
1. स्कन्द षष्ठी के दिन सुबह उठकर स्नानआदि करें।2. इस दिन भगवान कार्तिकेय, भगवान शिव, पार्वती माता की तस्वीर या प्रतीमा का पूजा स्थल पर स्थापित करें।3. इसके बाद अक्षत, चंदन, दूध, जले, मौसमी फल, मेवा चढ़ाएं।