Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी व्रत कल, इस शुभ मुहूर्त में करें बसोड़ा पूजा, जानें पूजा विधि और महत्व

By रुस्तम राणा | Published: April 1, 2024 04:50 PM2024-04-01T16:50:29+5:302024-04-01T16:50:29+5:30

Sheetala Ashtami 2024: स्कंद पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि को स्वस्थ और निरोगी रखने की जिम्मेदारी शीतला माता को सौंपी है। यही वजह है कि देवी शीतला की उपासना से बच्चे से लेकर बड़े तक सेहतमंद रहते हैं।

Sheetala Ashtami 2024: Sheetala Ashtami fast tomorrow, perform Basoda Puja in this auspicious time | Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी व्रत कल, इस शुभ मुहूर्त में करें बसोड़ा पूजा, जानें पूजा विधि और महत्व

Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी व्रत कल, इस शुभ मुहूर्त में करें बसोड़ा पूजा, जानें पूजा विधि और महत्व

Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी 2 अप्रैल 2024 को है। इसे बसोड़ा के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह व्रत चैत्र मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है या यूं कहें कि होली के 8 दिन बाद यह व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन शीतलता प्रदान करने वाली देवी शीतला की पूजा की जाती है। महिलाएं व्रत रखकर इस दिन सूर्योदय से पूर्व ही मां शीतला की पूजा करती हैं। इस व्रत का संबंध स्वास्थ्य से भी जोड़ा जाता है। दरअसल, स्कंद पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि को स्वस्थ और निरोगी रखने की जिम्मेदारी शीतला माता को सौंपी है। यही वजह है कि देवी शीतला की उपासना से बच्चे से लेकर बड़े तक सेहतमंद रहते हैं। 

इस दिन मां शीतला को लगाते हैं बासी भोजन का भोग

शास्त्रों के अनुसार, शीतला अष्टमी के दिन मां को बासी भोजन का भोग लगाया है। यह भोजन सप्तमी तिथि की शाम को तैयार किया जाता है, क्योंकि अष्टमी तिथि को चूल्हा नहीं जलाया जाता है। सप्तमी तिथि की शाम को गुड़ चावल या फिर चावल और गन्ने का रस मिलाकर खीर तैयार की जाती है। मां को भोग लगाने के पश्चात प्रसाद को घर के सभी सदस्यों में वितरित किया जात है।     

शीतला अष्टमी 2024 मुहूर्त

चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि प्रारंभ -  1 अप्रैल 2024, रात 09.09 बजे से
चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि समापन - 2 अप्रैल 2024, रात 08.08 बचे तक
शीतला पूजा समय - 2 अप्रैल 2024, सुबह 06.10 बजे से - शाम 06.40 बजे तक

शीतला अष्टमी पूजा विधि

शीतला अष्टमी के शुभ अवसर पर सुबह जल्दी स्नान-ध्यान करके साफ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें।
ऐसा करने के बाद पूजा स्थल पर माता शीतला की गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि से विधिवत पूजा करें।
रबड़ी, चावल या पंच फल का भोग अर्पित करें।
पूजा के दौरान शीतला माता के मंत्रों का जाप करें और शीतला अष्टमी व्रत कथा का पाठ जरूर करें।
शीतला माता की आरती के साथ पूजा संपन्न करें। 

शीतला अष्टमी व्रत का महत्व

मान्यता है कि जो भक्त शीतला अष्टमी व्रत को धारण करता है उसे निरोगी काया प्राप्त होती है। इस व्रत के प्रभाव से शरीर में व्याप्त रोगों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि व्रत रखने वाले जातक को कभी भी चेचक, छोटी माता आदि नहीं होती है। 
 

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